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हापुड - 10 वर्ष से नरकीय जीवन जी रहे शिवगढ़ी वासियों ने डीएम अभिषेक पांडे से लगाई गुहार।
Hapur, Uttar Pradesh
खबर यूपी के हापुड़ से है जहां मौहल्ला शिवगढ़ी के निवासी रास्ता न होने व जल भराव की समस्या से पिछले 10 वर्षों से जूझते हुए नजर आ रहे हैं रास्ता ने होने व बरसात में जल भराव की समस्या के चलते छोटे बच्चों का स्कूल आना-जाना भी दुर्भर हो रहा है इसके चलते उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है। साथ ही लोगों का कहना है रास्ता न होने के चलते व जल भराव की समस्या से आए दिन बच्चे व बड़े बूढ़े हादसों का शिकार भी हो रहे हैं। साथ ही जल भराव व रास्ता न होने के चलते लोगों के घरों में बच्चों की शादियां भी नहीं हो पा रही हैं आज शिवगढ़ी के सैकड़ो महिला व पुरुष हापुड डीएम से इस समस्या को लेकर मिले हैं अब देखना होगा कब तक शिवगढ़िवासी इस नरकीय जीवन जीने से मुक्ति पाते हैं।
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YMYadvendra Munnu
FollowSept 01, 2025 17:00:44Hazaribagh, Jharkhand:
हजारीबाग जिले के ग्रामीण क्षेत्र में भी अब अपराधियों का मनोबल बढ़ चुका है। आज शाम फुरूका पुल के पास तीन अज्ञात अपराधियों ने अलौंजा कला गांव के रहने वाले राजेश कुमार मेहता पर लोहे की छड़ से हमला कर दिया। अचानक हुए इस हमले में राजेश मेहता गंभीर रूप से घायल हो गए। परिजनों ने बताया कि वे चोरिया गांव की ओर से अपने घर लौट रहे थे तभी अपराधियों ने वारदात को अंजाम दिया है। घायल को आनन-फानन में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, ईचाक ले जाया गया लेकिन हालत गंभीर होने पर डॉक्टरों ने उन्हें शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल, हजारीबाग रेफर कर दिया। वहां से भी गंभीर स्थिति देखते हुए रांची रिम्स भेजने की तैयारी की जा रही है। इधर घटना की जानकारी मिलने पर ईचाक थाना प्रभारी राजदीप कुमार ने बताया कि पुलिस मामले की छानबीन में जुटी है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही अपराधियों को पकड़कर सलाखों के पीछे भेजा जाएगा। वहीं इस घटना को लेकर ग्रामीणों आक्रोश है। स्थानीय मंटू प्रसाद मेहता और पंचायत के मुखिया सकेन्द्र मेहता ने कहा कि क्षेत्र में लगातार अपराध बढ़ रहे हैं और पुलिस को कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
बाइट-
मंटू प्रसाद मेहता, स्थानीय
सकेन्द्र मेहता, मुखिया, अलौंजा कला पंचायत
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ANAbhishek Nirla
FollowSept 01, 2025 17:00:39Jamui, Bihar:
जमुई : जिले में स्वास्थ्य सेवाओं पर बड़ा असर डालते हुए 102 एंबुलेंस कर्मी सोमवार से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं। बिहार राज्य चिकित्सा कर्मचारी संघ के बैनर तले सदर अस्पताल परिसर स्थित एसीएमओ कार्यालय के समक्ष कर्मियों ने जमकर नारेबाजी की और अपनी तीन सूत्री मांगों को लेकर विरोध दर्ज कराया।
सोमवार की शाम तक चले इस आंदोलन के दौरान मरीजों और उनके परिजनों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। रेफर मरीजों को समय पर एंबुलेंस उपलब्ध नहीं होने से निजी वाहनों के सहारे सदर अस्पताल लाना पड़ा।
संघ के जिला अध्यक्ष राजीव कुमार सिंह ने बताया कि लंबे समय से वेतन, सुविधा और गाड़ियों की मरम्मत व्यवस्था को लेकर लगातार गुहार लगाई जा रही है, लेकिन आश्वासन के बावजूद अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। इसी उपेक्षा के विरोध में सभी कर्मियों ने सेवाएं ठप कर हड़ताल का निर्णय लिया है।
उन्होंने अपनी तीन प्रमुख मांगों को विस्तार से रखा—
1. श्रम अधिनियम के तहत उचित वेतन व सुविधाएं – अतिरिक्त कार्य का भुगतान सुनिश्चित हो।
2. समय पर वेतन भुगतान – हर महीने वेतन की निश्चित तिथि तय की जाए और पे-स्लिप दी जाए।
3. गाड़ियों की मरम्मत और वेतन सुरक्षा – एंबुलेंस खराब होने पर कर्मियों के वेतन में कटौती न की जाए तथा समय पर मरम्मत कराई जाए।
कर्मचारियों का कहना है कि वे जैन पल्स कंपनी के अधीन कार्यरत हैं, लेकिन कंपनी की ओर से भी कोई समाधान नहीं दिया गया है। वहीं स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों तक हड़ताल की सूचना पहुंच चुकी है, पर अब तक किसी स्तर से वार्ता या पहल का संकेत नहीं मिला है।
प्रदर्शन में सुभाष कुमार, रवि कुमार, सच्चिदानंद शाह, पंकज कुमार, निवास सिंह, बाल्मिकी मंडल, राजीव कुमार मंडल, सूरज जरासंध, सुनील सिंह, योगेंद्र कुमार, वीरेंद्र कुमार, नंदन कुमार, शेखर मंडल, चुनचुन कुमार, मनोज यादव, राजा कुमार, रमन कुमार, रणवीर सिंह, नरेश यादव, सोनू पांडेय सहित जिले के सभी ईएमटी और चालक शामिल रहे।
बाइट : राजीव कुमार सिंह, जिला अध्यक्ष एंबुलेंस चालक संघ
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MKMANOJ KUMAR
FollowSept 01, 2025 17:00:30Purnia, Bihar:
एंकर - रियल स्टेट कि दुनियां के बेताज़ बादशाह पेनोरमा ग्रुप आज अपना दशवा वर्षागांठ मनाया है. इस मौके पर पूर्णियाँ मे आयोजित कार्यक्रम मे पेनोरमा ग्रुप के CMD संजीव मिश्रा ने पेनोरमा ग्रुप के तमाम कार्यकर्ताओं के साथ केक काटकर पेनोरमा ग्रुप का दसवां वर्षगाँठ मनाया. इस मौके पर भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें कई कलाकारों ने गीत संगीत पेश किया. मालूम हो की अपनी मेहनत ईमानदारी और भरोसे के दम पर पेनोरमा ग्रुप ने पुरे 10 सालों का बेमिसाल सफर तय किया है.
पेनोरमा ग्रुप के CMD सुपौल जिले के छातापुर निवासी संजीव मिश्रा ने कहा कि पेनोरमा ग्रुप इन दस वर्षों में न सिर्फ अनगिनत सपनो का घर बनाया है बल्कि लोगों के विश्वास को भी मजबूती दिया है. उन्होंने कहा कि पेनोरमा ग्रुप कि सबसे बड़ी पहचान गुनावत्ता, समय पर कार्य और ग्राहक का भरोसा है. पेनोरमा ग्रुप के माध्यम से हजारों लोगो को रोजगार भी मिला है. आज पेनोरमा ग्रुप दस साल का हो गया है.
बाइट - संजीव मिश्रा, CMD, पेनोरमा ग्रुप.
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JCJitendra Chaudhary
FollowSept 01, 2025 17:00:17Begusarai, Bihar:
जितेन्द्र कुमार बेगूसराय
एंकर बेगूसराय में एक युवक ने पिटाई से आहत होकर पानी में कूद कर जीवन लीला समाप्त कर लिया है। इस युवक की मौत के बाद इलाके में सनसनी फैल गई है। मामला फुलवरिया थाना क्षेत्र के नगर परिषद वार्ड नंबर 15 की है। मृतक युवक की पहचान शोकहरा निवासी राम विलास महतो के 19 वर्षीय पुत्र घनश्याम कुमार के रूप में हुई है। इस घटना के संबंध में बताया जाता है की कुछ दिन पहले सोना चांदी दुकान में काम कर रहा था। काम करने के दौरान ही मृतक की वह घनश्याम कुमार ने दुकान से सोना चुरा लिया था। सोना चुराने के बाद दुकानदार ने उसे पकड़ लिया और जमकर पिटाई कर दी। इस टी से आहत होकर युवक ने तालाब में खुद कर आत्महत्या कर लिया। इस घटना की सूचना मिलते ही फुलवड़िया थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए बेगूसराय सदर अस्पताल भेज दिया है और आगे की कार्रवाई में जुट हुई है। हालांकि इस घटना को लेकर स्थानीय लोगों में कई तरह की चर्चाएं हैं। कुछ इसे हादसा मान रहे हैं तो कुछ दबी जुबान में आत्महत्या की आशंका जता रहे हैं।
बाइट परिजन
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KJKamran Jalili
FollowSept 01, 2025 17:00:11Ranchi, Jharkhand:
*रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित "करम पूर्व संध्या समारोह-2025" कार्यक्रम में सम्मिलित हुए मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन।*
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*★ समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को आगे बढ़ाना सभी की जिम्मेदारी*
*★ आदिवासी समाज के लोग एकजुट होकर राज्य के विकास में अपनी भूमिका निभाएं*
*-- श्री हेमन्त सोरेन, मुख्यमंत्री*
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मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन आज रांची के मोरहाबादी मैदान में आयोजित "करम पूर्व संध्या समारोह-2025" कार्यक्रम में सम्मिलित हुए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने समस्त झारखंडवासियों को करम महोत्सव की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं दी। मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे पूर्वजों ने एक समृद्ध सामाजिक, सांस्कृतिक विरासत हमें दिया है। पूरा आदिवासी समाज एकजुट रहकर इस विरासत को इसी प्रकार आगे बढ़ाएं। आदिवासी समुदाय की संरक्षा के लिए देश में कई कायदे-कानून बनाए गए हैं, कई सारी व्यवस्थाएं भी बनाई गई हैं। मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि पूरी दुनिया में आदिवासी समाज के प्रति हमेशा विचार-विमर्श होता रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज आदिवासी समाज कई कारणों से, कई नीतियों की वजह से इधर-उधर बिखर जा रहे हैं, लेकिन हमारी वर्तमान पीढ़ियों ने हमारी सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्थाओं को अलग-अलग प्लेटफार्म, अलग-अलग माध्यमों का उपयोग कर सामाजिकता को निरंतर आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।
*सभी लोग करम महोत्सव धूमधाम से मनाएं*
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बहुत ही खुशी का माहौल है। राज्य के अलग-अलग गांव, मोहल्ले, टोलों में करम महोत्सव मनाया जा रहा है। करम महोत्सव सिर्फ झारखंड में ही नहीं बल्कि जहां-जहां हमारे आदिवासी समुदाय के लोग बसे हैं, वहां भी करम महोत्सव की तैयारी की गई है। सभी लोग करम महोत्सव धूमधाम से मना रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग इसी तरह एक साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ेंगे तो परिणाम अवश्य बेहतर होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज करम पूर्व संध्या समारोह में यहां राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से हजारों की संख्या में महिला-पुरुष बच्चे-बच्चियां एकत्रित हुए हैं, एक खुशनुमा माहौल बना है। मुख्यमंत्री ने कहा कि करम महोत्सव के अवसर पर ऐसा ही हर्ष और खुशी का माहौल पूरे राज्य में बना रहे, यही हमसभी की प्राथमिकता होनी चाहिए।
* हर हाल में समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाना चाहिए*
मुख्यमंत्री श्री हेमन्त सोरेन ने कहा कि हमारे अगुवा मार्गदर्शकों ने जो सांस्कृतिक विरासत हमें सौंपी है, इस समृद्ध विरासत को हर हाल में आगे बढ़ाना है ।यही राज्य सरकार के साथ-साथ हम सभी की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार आदिवासी समाज के अंदर की कमियों को दूर करने का निरंतर प्रयास कर रही है लेकिन इस प्रयास में सफलता तभी मिलेगी जब पूरा समाज एक होकर राज्य के सर्वांगीण विकास में अपनी भूमिका निभाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप सभी जिस उत्साह के साथ संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं यह हमें प्रेरित करती है। आज बहुत ही खुशी का दिन है आप सबों को मैं अपनी ओर से करम महोत्सव की ढेर सारी शुभकामनाएं देता हूं। मैं उन सभी के प्रति आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने इस कार्यक्रम को सफल बनाया है। जोहार! जय झारखंड!
*इस अवसर पर मंत्री श्री चमरा लिंडा, विधायक श्री जिगा सुसारन होरो सहित अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।*
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ATAnuj Tomar
FollowSept 01, 2025 17:00:060
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MPMAHESH PARIHAR1
FollowSept 01, 2025 16:46:05Jhalawar, Rajasthan:
झालावाड़
एंकर इंट्रो_ झालावाड़ शहर के हबीब नगर में गत 29 अगस्त को अपने घर लौट रहे पिता पुत्र पर कार में सवार होकर आए आधा दर्जन बदमाशों ने जानलेवा हमला किया था। मामले में पुलिस ने वारदात में शामिल तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है, वही एक अन्य आरोपी को भी डिटेन किया गया है। कार्रवाई के दौरान पुलिस से बचने के लिए भाग रहे तीन आरोपी गिर कर चोटिल हो गए हैं।
मामले में जानकारी देते हुए झालावाड़ पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि झालावाड़ शहर के हबीब नगर में गत 29 अगस्त को बाइक से अपने घर लौट रहे पिता पुत्र तनवीर और नासिर को बदमाशों ने कार से टक्कर मारकर गिरा दिया था और इसके बाद तनवीर पर चाकू से ताबड़तोड़ हमला कर गंभीर घायल कर दिया। इस दौरान बीच बचाव कर रहे पिता नासिर पर भी बदमाशों ने चाकू से हमला कर घायल कर दिया। जिला अस्पताल में पुलिस द्वारा दर्ज बयान में पीड़ित ने नामजद आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया था। जिस पर पुलिस ने आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए टीम गठित थी और मामले में सफलता प्राप्त करते हुए आरोपी अमजद, अल्फेज और अब्दुल सोमिन को गिरफ्तार किया है। एक अन्य आरोपी शाहनवाज को भी पुलिस ने डिटेन कर लिया है।
कोतवाली पुलिस ने बताया कि पुलिस कार्रवाई के दौरान आरोपियों ने भागने का प्रयास किया ऐसे में वह गिरकर चोटिल हो गए हैं। 3 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है। एक अन्य आरोपी शाहनवाज को भी डिटेन कर लिया गया है। चोट लगने से वह घायल हो गया है, जिसे उपचार के बाद गिरफ्तार किया जाएगा।
पुलिस द्वारा गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ की जा रही है की वारदात में और कौन आरोपी शामिल थे।
Mahesh Parihar Zee Media Jhalawar
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PKPradeep Kumar
FollowSept 01, 2025 16:46:00Sri Ganganagar, Rajasthan:
विजुअल we transfer से लिंक
https://we.tl/t-jE1HztCSZd
हैडलाइन:-मिनी सचिवालय के बाहर 5 दिन से चल रहा धरना हुआ समाप्त,
एंकर:-
रायसिंहनगर ।मिनी सचिवालय के बाहर पिछले 5 दिनों से जारी धरना आखिरकार सोमवार को समाप्त हो गया। ग्राम ठंडी निवासी महेंद्र कुमार लगातार बरसात से हुए नुकसान और प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने की मांग को लेकर धरने पर बैठे था। धरना स्थल पर सोमवार को पंचायत समिति विकास अधिकारी छगनलाल पहुंचे और पीड़ित को आश्वासन दिया कि प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ दिलाने की लेकर पोर्टल शुरू होने के बाद शीघ्र शुरू की जाएगी। वहीं, बारिश से हुए नुकसान का सर्वे कर जिला कलेक्टर को रिपोर्ट भेज दी गई है। धरना समाप्त होने के बाद महेंद्र कुमार ने जी राजस्थान न्यूज़ ने उन्होंने चैनल का आभार जताया । इस मौके पर कांग्रेस नेता *पवन देदड़, विकास ज्याणी, महेंद्र थोरी और अशोक गोदारा भी मौजूद रहे और पीड़ित को भरोसा दिलाया कि हर संभव मदद दिलाई जाएगी।
बाइट 1 महेंद्र कुमार पीड़ित
बाइट 2 छगनलाल विकास अधिकारी पंचायत समिति रायसिंहनगर
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HBHeeralal Bhati
FollowSept 01, 2025 16:45:55Jalore, Rajasthan:
आहोर जालोर
जिले के आहोर के भवरानी गांव में चारों तरफ पानी का भराव होने से ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। इसी बीच गांव में एक महिला का निधन हो गया। शव को दाह संस्कार स्थल तक ले जाने के लिए रास्ता पूरी तरह से बंद हो गया था। मजबूरी में ग्रामीणों ने शव को ट्रैक्टर-ट्रॉली में रखकर नाला पार करवाया और उसके बाद अंतिम संस्कार किया गया।इधर खारी नदी आईपुरा व सराणा के बीच पूरे वेग से बह रही है। भैंसवाड़ा डायवर्जन के नाले में लगातार पानी की आवक बनी हुई है, वहीं जवाई नदी में भी पानी का बहाव तेज बना हुआ है।
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NSNeeraj Sharma
FollowSept 01, 2025 16:45:190
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TSTHANESHWAR SAHU
FollowSept 01, 2025 16:45:12Gariyaband, Chhattisgarh:
ACCIDENT
गरियाबंद ब्रेकिंग...तेज रफ्तार कार पेड़ से
टकराया...हादसे में 3 लोग गंभीर रूप से हुए घायल...हादसे में घायल लोगो की हालत गंभीर...मैनपुर नेशनल हाइवे मार्ग नवागढ़ के पास हुआ है हादसा...हादसे के बाद अफ़रातफ़री मच गया घायलों का इलाज जिला अस्पताल में जारी।
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Makdone, Madhya Pradesh:
विधायक जिला कांग्रेस ग्रामीण अध्यक्ष महेश परमार का महिदपुर कार्यक्रम में जातेसमय घोंसला में स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी के साथ स्वागत कर पुष्प हार पहनाए
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Hapur, Uttar Pradesh:
बड़ी खबर यूपी के हापुड़ से है जहां तेज रफ्तार स्कार्पियो ने बाइक व स्कूटी सवार तीन लोगों को रौंद दिया है। इस दर्दनाक हादसे में पिता पुत्र सहित तीनों की दर्दनाक मौत हुई है। बताया जा रहा है पिलखुवा कोतवाली क्षेत्र में NH -9 पर एक तेज रफ्तार स्कार्पियो ने बाइक व स्कूटी सवार पिता पुत्र व एक अन्य युवक को बुरी तरह टक्कर मार दी। जिसमें बाइक व स्कूटी सवार तीन लोगों की मौत हो गई है। इस दर्दनाक हादसे को अंजाम देकर स्कार्पियो सवार मौके से फरार हो गया है। फिलहाल पुलिस ने शवो को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। और इस हादसे को अंजाम देने वाले स्कॉर्पियो चालक की तलाश में जुट गई है। वहीं पिता उमेद व पुत्र सचिन सहित तीनों लोगों की मौत के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है।
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KHKHALID HUSSAIN
FollowSept 01, 2025 16:31:15Badgam, :
( TVU 9 )
EXCLUSIVE GROUND REPORT
1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद के कारण कश्मीरी पंडितों के कश्मीर घाटी से पलायन के साथ बंद हुए प्राचीन मंदिरों को फिर से खोला जा रहा है। इसे कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत को पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है और माना जा रहा है इससे घाटी के कश्मीरी पंडितों में विश्वास और आशा की बहाली में मदद मिलेगी।
जम्मू-कश्मीर सरकार की विरासत संरक्षण और धार्मिक अवसंरचना योजनाओं के तहत, सदियों पुराने ऐतिहासिक मंदिरों और धार्मिक स्थलों को फिर से खोला जा रहा है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के उभार और कश्मीरी पंडितों के बड़े पैमाने पर पलायन के बाद नष्ट हुए हैं या वीरान पड़े रहे।
मध्य कश्मीर का बडगाम ज़िला कश्मीरी विरासत से समृद्ध है और प्राचीन धार्मिक स्थलों में सदियों पुराने मंदिर भी शामिल हैं। बडगाम में लगभग 25 बड़े और छोटे मंदिर हैं जो 90 के दशक से खंडहर हो गए थे। इनमें से पाँच का पहले चरण में जीर्णोद्धार किया जा रहा है और सबसे प्राचीन दो मंदिर वासुकनाग मंदिर और शारदा माता स्थापना हैं।
बडगाम ज़िले के हुशरू में स्थित वासुकी नाग मंदिर, विशेष रूप से कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए, धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़ा है। यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं के एक प्रमुख पात्र वासुकी को समर्पित है, जिन्हें नागों का राजा कहा जाता है। हिंदू प्रतिमाओं में वासुकी को भगवान शिव के गले में लिपटे हुए दिखाया गया है और समुद्र मंथन में उनकी भूमिका के लिए उन्हें याद किया जाता है। यह मंदिर अपनी गहरी ऐतिहासिक जड़ों के लिए प्रसिद्ध है, ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण लगभग 1000 साल पहले हुआ था।
कश्मीरी पंडितों का दावा है कि वासुकी नाग मंदिर में झरना "गणेश भून" नामक एक चिनार के पेड़ से निकलता है, जिसका तना भगवान गणेश जैसा दिखता है, जिसे "गणेश भून" कहा जाता है, जो एक चिनार का पेड़ (भगवान गणेश से जुड़ा एक पेड़) है। पंडितों का दावा है कि आध्यात्मिक झरना उस पेड़ के तने से निकलता है और इस पेड़ की भी वृद्ध गणेश के रूप में पूजा की जाती है।
वृक्ष के साथ WT और बबलू जी पंडित की बाइट।
बबलू जी पंडित ने कहा, "पहले यह झरना वागम गांव में था जिसका मतलब वागेश्वरी माता है, फिर यह वागम बन गया, फिर वहां कुछ अपवित्र चीज हुई, हमने अपने बुजुर्गों से जो सुना है वह वहीं बंद हो गया और इस "गणेश बूनी" से यहां झरना निकला, तब से यह यहां है, इस चिनार के पेड़ से पानी आता है और इस कुंड में जाता है जिसका हाल ही में जीर्णोद्धार किया गया है, हम प्रशासन के आभारी हैं लेकिन हमें यहां और भी बहुत कुछ करना है। हम कोशिश कर रहे हैं कि जो भी मंदिर वीरान हो हम सरकार को सूचित करें और फिर सरकार मदद करे। अगर हम जिले की बात करें तो 10-15 मंदिरों का काम किया गया है। हमने 40 साल बाद हवन किया, 90 के दशक से पहले हमारे यहां दो बार कार्यक्रम होते थे। अगर मुसलमानों ने मदद नहीं की होती तो मैं 40 साल बाद में यहां नहीं होता, मुझे 40 साल बाद शांति वापस मिल गई।"
बडगाम में लगभग तीन दशकों के बाद पंडित धार्मिक गतिविधियों के पुनरुद्धार प्रारंभिक नवीनीकरण के लिए धनराशि जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा प्रदान की गई थी।
बाइट
गाँव के एक अन्य स्थानीय कश्मीरी पंडित प्यारे कृष्ण भट्ट ने कहा, "मैं भी 70 साल का हूँ। हमारे बुजुर्गों ने बताया था कि वास्की नाग पहले गाँव में था। कुछ अपवित्रता के बाद वह यहाँ प्रकट हुआ। हम यहाँ साल में दो बार पूजा करते थे, लेकिन 40 साल पहले। इस साल 40 साल बाद फिर से यहाँ पूजा हुई। सभी की इसमें गहरी आस्था थी। यह एक खूबसूरत जगह है और इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता था।
एक साल पहले जब हम यहाँ आए थे, तब यहाँ कुछ भी नहीं था। हमारा यहाँ एक आश्रम था, यहाँ केवल पत्थर थे, लेकिन अचानक यहाँ पानी निकलने लगा। यह भगवान शिव से जुड़ा वास्की झरना है। हमने यहाँ माता गंगा को भी रखा है। यहाँ एक हज़ार साल पुराना पेड़ है। हम उसे काटना चाहते थे, लेकिन काट नहीं पाए। हमें भगवान से अनुमति नहीं मिली। हम शौचालय बनाना चाहते थे, लेकिन उसके लिए भी भगवान ने अनुमति नहीं दी। हम इस पेड़ में एक कील भी नहीं ठोक सकते। यहाँ तक कि मुसलमान भी इसमें आस्था रखते हैं। आजकल मैं महीने में दो बार घर जाता हूँ। हम कई दिनों से यहाँ हैं, लेकिन हमने एक बार सब्ज़ी या दूध खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ी, गाँव वाले हमें सब कुछ देते हैं। हमें विश्वास है कि अब यहाँ नब्बे के दशक से बेहतर होगा। हमें पूरी उम्मीद है कि यह फिर से वही कश्मीर होगा।
जब पूजा चल रही थी, तब WT।
इस समारोह में जिला प्रशासन और स्थानीय समुदाय का सहयोग रहा, जो सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाता है। स्थानीय मुसलमान भी बहुत सहयोगी रहे और मंदिर परिसर में रहने वाले पंडितों को गाँव वालों द्वारा हर संभव मदद दी जा रही है और वे भी भाईचारे की पुरानी कश्मीरी संस्कृति को वापस पाना चाहते हैं।
स्थानीय लोगों की बाइट
स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद अशरफ गनई ने कहा, "हमें भी इस मंदिर में गहरी आस्था है। यह बहुत पुराना मंदिर है, 10 या 20 साल पुराना नहीं, बल्कि 1000 साल पुराना है। पिछले 40 सालों से यहाँ कोई गतिविधि नहीं हुई थी, लेकिन पिछले एक-दो महीने से यह फिर से शुरू हो गया है। हम सभी बहुत खुश हैं कि पंडित भाई वापस आ गए हैं और हम उन्हें हर सुविधा प्रदान कर रहे हैं जिसकी उन्हें ज़रूरत है। वे हमारे भाई हैं। हमें खुशी है कि वे वापस आ रहे हैं।"
पंडित समुदाय ने प्राचीन मंदिर को चालू तो कर दिया है, लेकिन वे मंदिर की सुरक्षा के लिए एक स्थायी सुरक्षा चौकी चाहते हैं।
बाइट
बबलू जी पंडित ने सुरक्षा के बारे में कहा, "सुरक्षा के लिए हमने एसएसपी और डिप्टी कमिश्नर को आवेदन दिया है, लेकिन उन्होंने हमें कुछ अस्थायी पीएसओ तो दिए हैं, लेकिन वे भी मेरी तरह बिना हथियारों के हैं। हथियारों वाली सुरक्षा अभी तक नहीं दी गई है। अब एक महीना हो गया है, हमें देखना होगा कि वे हमें कब सुरक्षा प्रदान करते हैं। हमें नहीं पता कि सुरक्षा न देने में क्या अड़चन है, लेकिन हमें सुरक्षा चाहिए। मंदिर में सुरक्षा होनी चाहिए।"
बडगाम में एक और मील का पत्थर इछकूट गाँव में शारदा भवानी मंदिर का फिर से खुलना है, जो आतंकवाद और घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के कारण 36 वर्षों से अधिक समय तक बंद रहा था। यह गाँव बडगाम में कश्मीरी पंडितों के सबसे बड़े गाँवों में से एक है। 90 के दशक से पहले यहाँ 35 पंडित परिवार रहते थे। मंदिर की 'मुहूर्त' और 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोहों के साथ पुनर्स्थापना की गई, जो देवता की पुनर्स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
जब पूजा चल रही थी, तब WT।
यह मंदिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित प्रतिष्ठित शारदा माता मंदिर की एक शाखा माना जाता है। प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और बौद्धिक केंद्रों में से एक, जो अब पीओके में स्थित है।
कहा जाता है कि इस गाँव के एक पंडित, जो माता शारदा के उपासक थे, 18वीं शताब्दी में हर साल शारदा पीठ की यात्रा करते थे और 1830 में जब वह व्यक्ति बूढ़ा हो गया और ज़्यादा चलने-फिरने में असमर्थ हो गया, तो देवी शारदा उसके सपने में आईं और उससे कहा कि मुझे पता है अब तुम बूढ़े हो गए हो और चल नहीं सकते, अब मैं तुम्हारे साथ चलूँगी। उसी समय देवी शारदा एक शारदा पीठ के पुजारी के सपने में आईं और उसे सलाह दी कि वह उपासक कें गाँव में यहाँ से एक लकड़ी की छड़ी लेकर जाए और उसे उसके गाँव में लगाने के लिए कहे। पुजारी ने ऐसा ही किया और वह छड़ी, एक बड़े चिनार के पेड़ के रूप में निकली आई और उस चिनार के पेड़ को तब से कश्मीर के पंडित देवी शारदा के रूप में मानते हैं।
बाइट
सुनील भट्ट कश्मीरी पंडित ने कहा, "ऐसा कहा जाता है कि इसका इतिहास 18वीं शताब्दी से है। हमने सुना है कि इस गाँव का एक व्यक्ति शारदा पीठ जाता था, जो नीलम घाटी, पीओके में है, जहाँ माता शारदा मंदिर है और वह हर साल वहाँ जाता था और पूजा करता था। जब वह बूढ़ा हुआ, तो माता शारदा उसके सपने में आईं माता ने उससे कहा कि मुझे पता है कि तुम बूढ़े हो गए हो। अब तुम यहाँ नहीं आ सकते, कोई चिंता नहीं, मैं वहाँ आऊँगी और उसी दिन, माता पुजारी के सपने में आईं माता ने पुजारी को इस स्थान पर जाकर यहाँ एक चिनार का पेड़ लगाने का निर्देश दिया। पुजारी आए और उन्होंने यहाँ पेड़ लगाया। तब से हम मानते हैं कि यह पेड़ देवी शारदा है और यह 18वीं शताब्दी से चल रहा है। हम इस पेड़ की माता शारदा के रूप में पूजा करते थे। 90 के दशक से पहले यहाँ रामनवमी पर एक उत्सव हुआ करता था, इसलिए हमने इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश की और कल हमने यहाँ पूजा की और हमें उम्मीद है कि हम हर साल ऐसा करेंगे। सरकार ने हमें आश्वासन दिया है कि वे मंदिर के ढांचे का पुनर्निर्माण करेंगे। 90 के दशक से पहले यहाँ कश्मीरी पंडितों के 35 घर थे। इसे इलाके के बड़े गाँवों में से एक माना जाता था, लेकिन कल हमने जो देखा, वह यह था कि जब हम यहाँ पूजा कर रहे थे, तो पूरा गाँव हमारे साथ था। इससे हमें उम्मीद जगी है कि कश्मीरी पंडित वापस लौटेंगे।
35 वर्षों के बंद रहने के बाद शारदा भवानी मंदिर को फिर से खोल दिया गया। बडगाम स्थित शारदा अस्थापना समुदाय ने मंदिर के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन प्रयासों को निवासियों का समर्थन भी प्राप्त था, जिससे क्षेत्र की साझा विरासत को संरक्षित करने की सामूहिक इच्छा उजागर हुई। मंदिर का पुनः खुलना क्षेत्र में कश्मीरी पंडित समुदाय के सांस्कृतिक और धार्मिक पुनरुत्थान की दिशा में एक कदम है।
बाइट
गाँव के निवासी रहे संजय मचामा ने कहा, "हम रोज़ यहाँ आते थे और पूजा करते थे। मुख्य समारोह रामनवमी पर होता था, यह एक बड़ा उत्सव हुआ करता था, सभी पड़ोसी गाँव के लोग यहाँ आते थे और भाग लेते थे। यहाँ एक अलग ही माहौल हुआ करता था। गाँव वालों ने हमारा पूरा साथ दिया है, जैसा कि हमने कल देखा जब 36 साल बाद हमने यहाँ पूजा की, वे हमारे साथ खड़े थे। इसलिए, हमें लगा कि मानवता अभी भी जीवित है। कल हमें जो कुछ भी चाहिए था, उन्होंने हमें दिया, और हमें उम्मीद है कि हम फिर से वही कश्मीर देखेंगे।"
यहाँ भी इस कार्यक्रम में स्थानीय मुस्लिम समुदाय की महत्वपूर्ण भागीदारी देखी गई।वही सरकार ने भी मंदिर की संरचना का पुनर्निर्माण करने का वादा किया है, जो अब उस स्थान पर मौजूद नहीं है क्योंकि यह दशकों से वीरान पड़ा था। निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रहे पंडितों ने बताया कि जीर्णोद्धार की एक योजना स्वीकृत हो गई है, और बहुत जल्द काम शुरू हो जाएगा।
देवी शारदा मंदिर से WT
जम्मू और कश्मीर सरकार ने कई पहल की हैं, जिनमें विरासत पुनरुद्धार योजना और "जम्मू कश्मीर में वास्तुकला और विरासत का पुनरुद्धार, जीर्णोद्धार, संरक्षण और रखरखाव" शामिल हैं। इस योजना का उद्देश्य कई धार्मिक स्थलों और मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण करना है, जिनमें से कई दशकों के आतंकवाद के दौरान क्षतिग्रस्त हो गए थे। इन परियोजनाओं में कश्मीर की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए पारंपरिक सामग्रियों और तकनीकों का उपयोग करके चरणबद्ध तरीके से सैकड़ों मंदिरों का जीर्णोद्धार शामिल है।
ख़ालिद हुसैन
जी मीडिया बड़गाम
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KHKHALID HUSSAIN
FollowSept 01, 2025 16:31:09Badgam, :
( TVU 9 )
EXCLUSIVE GROUND REPORT
1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद के कारण कश्मीरी पंडितों के कश्मीर घाटी से पलायन के साथ बंद हुए प्राचीन मंदिरों को फिर से खोला जा रहा है। इसे कश्मीर की सांस्कृतिक विरासत को पुनः प्राप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है और माना जा रहा है इससे घाटी के कश्मीरी पंडितों में विश्वास और आशा की बहाली में मदद मिलेगी।
जम्मू-कश्मीर सरकार की विरासत संरक्षण और धार्मिक अवसंरचना योजनाओं के तहत, सदियों पुराने ऐतिहासिक मंदिरों और धार्मिक स्थलों को फिर से खोला जा रहा है, जो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के उभार और कश्मीरी पंडितों के बड़े पैमाने पर पलायन के बाद नष्ट हुए हैं या वीरान पड़े रहे।
मध्य कश्मीर का बडगाम ज़िला कश्मीरी विरासत से समृद्ध है और प्राचीन धार्मिक स्थलों में सदियों पुराने मंदिर भी शामिल हैं। बडगाम में लगभग 25 बड़े और छोटे मंदिर हैं जो 90 के दशक से खंडहर हो गए थे। इनमें से पाँच का पहले चरण में जीर्णोद्धार किया जा रहा है और सबसे प्राचीन दो मंदिर वासुकनाग मंदिर और शारदा माता स्थापना हैं।
बडगाम ज़िले के हुशरू में स्थित वासुकी नाग मंदिर, विशेष रूप से कश्मीरी पंडित समुदाय के लिए, धार्मिक और ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है और सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपराओं से जुड़ा है। यह मंदिर हिंदू पौराणिक कथाओं के एक प्रमुख पात्र वासुकी को समर्पित है, जिन्हें नागों का राजा कहा जाता है। हिंदू प्रतिमाओं में वासुकी को भगवान शिव के गले में लिपटे हुए दिखाया गया है और समुद्र मंथन में उनकी भूमिका के लिए उन्हें याद किया जाता है। यह मंदिर अपनी गहरी ऐतिहासिक जड़ों के लिए प्रसिद्ध है, ऐसा कहा जाता है कि इसका निर्माण लगभग 1000 साल पहले हुआ था।
कश्मीरी पंडितों का दावा है कि वासुकी नाग मंदिर में झरना "गणेश भून" नामक एक चिनार के पेड़ से निकलता है, जिसका तना भगवान गणेश जैसा दिखता है, जिसे "गणेश भून" कहा जाता है, जो एक चिनार का पेड़ (भगवान गणेश से जुड़ा एक पेड़) है। पंडितों का दावा है कि आध्यात्मिक झरना उस पेड़ के तने से निकलता है और इस पेड़ की भी वृद्ध गणेश के रूप में पूजा की जाती है।
वृक्ष के साथ WT और बबलू जी पंडित की बाइट।
बबलू जी पंडित ने कहा, "पहले यह झरना वागम गांव में था जिसका मतलब वागेश्वरी माता है, फिर यह वागम बन गया, फिर वहां कुछ अपवित्र चीज हुई, हमने अपने बुजुर्गों से जो सुना है वह वहीं बंद हो गया और इस "गणेश बूनी" से यहां झरना निकला, तब से यह यहां है, इस चिनार के पेड़ से पानी आता है और इस कुंड में जाता है जिसका हाल ही में जीर्णोद्धार किया गया है, हम प्रशासन के आभारी हैं लेकिन हमें यहां और भी बहुत कुछ करना है। हम कोशिश कर रहे हैं कि जो भी मंदिर वीरान हो हम सरकार को सूचित करें और फिर सरकार मदद करे। अगर हम जिले की बात करें तो 10-15 मंदिरों का काम किया गया है। हमने 40 साल बाद हवन किया, 90 के दशक से पहले हमारे यहां दो बार कार्यक्रम होते थे। अगर मुसलमानों ने मदद नहीं की होती तो मैं 40 साल बाद में यहां नहीं होता, मुझे 40 साल बाद शांति वापस मिल गई।"
बडगाम में लगभग तीन दशकों के बाद पंडित धार्मिक गतिविधियों के पुनरुद्धार प्रारंभिक नवीनीकरण के लिए धनराशि जम्मू और कश्मीर सरकार द्वारा प्रदान की गई थी।
बाइट
गाँव के एक अन्य स्थानीय कश्मीरी पंडित प्यारे कृष्ण भट्ट ने कहा, "मैं भी 70 साल का हूँ। हमारे बुजुर्गों ने बताया था कि वास्की नाग पहले गाँव में था। कुछ अपवित्रता के बाद वह यहाँ प्रकट हुआ। हम यहाँ साल में दो बार पूजा करते थे, लेकिन 40 साल पहले। इस साल 40 साल बाद फिर से यहाँ पूजा हुई। सभी की इसमें गहरी आस्था थी। यह एक खूबसूरत जगह है और इसे पिकनिक स्पॉट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता था।
एक साल पहले जब हम यहाँ आए थे, तब यहाँ कुछ भी नहीं था। हमारा यहाँ एक आश्रम था, यहाँ केवल पत्थर थे, लेकिन अचानक यहाँ पानी निकलने लगा। यह भगवान शिव से जुड़ा वास्की झरना है। हमने यहाँ माता गंगा को भी रखा है। यहाँ एक हज़ार साल पुराना पेड़ है। हम उसे काटना चाहते थे, लेकिन काट नहीं पाए। हमें भगवान से अनुमति नहीं मिली। हम शौचालय बनाना चाहते थे, लेकिन उसके लिए भी भगवान ने अनुमति नहीं दी। हम इस पेड़ में एक कील भी नहीं ठोक सकते। यहाँ तक कि मुसलमान भी इसमें आस्था रखते हैं। आजकल मैं महीने में दो बार घर जाता हूँ। हम कई दिनों से यहाँ हैं, लेकिन हमने एक बार सब्ज़ी या दूध खरीदने की ज़रूरत नहीं पड़ी, गाँव वाले हमें सब कुछ देते हैं। हमें विश्वास है कि अब यहाँ नब्बे के दशक से बेहतर होगा। हमें पूरी उम्मीद है कि यह फिर से वही कश्मीर होगा।
जब पूजा चल रही थी, तब WT।
इस समारोह में जिला प्रशासन और स्थानीय समुदाय का सहयोग रहा, जो सांप्रदायिक सद्भाव को दर्शाता है। स्थानीय मुसलमान भी बहुत सहयोगी रहे और मंदिर परिसर में रहने वाले पंडितों को गाँव वालों द्वारा हर संभव मदद दी जा रही है और वे भी भाईचारे की पुरानी कश्मीरी संस्कृति को वापस पाना चाहते हैं।
स्थानीय लोगों की बाइट
स्थानीय ग्रामीण मोहम्मद अशरफ गनई ने कहा, "हमें भी इस मंदिर में गहरी आस्था है। यह बहुत पुराना मंदिर है, 10 या 20 साल पुराना नहीं, बल्कि 1000 साल पुराना है। पिछले 40 सालों से यहाँ कोई गतिविधि नहीं हुई थी, लेकिन पिछले एक-दो महीने से यह फिर से शुरू हो गया है। हम सभी बहुत खुश हैं कि पंडित भाई वापस आ गए हैं और हम उन्हें हर सुविधा प्रदान कर रहे हैं जिसकी उन्हें ज़रूरत है। वे हमारे भाई हैं। हमें खुशी है कि वे वापस आ रहे हैं।"
पंडित समुदाय ने प्राचीन मंदिर को चालू तो कर दिया है, लेकिन वे मंदिर की सुरक्षा के लिए एक स्थायी सुरक्षा चौकी चाहते हैं।
बाइट
बबलू जी पंडित ने सुरक्षा के बारे में कहा, "सुरक्षा के लिए हमने एसएसपी और डिप्टी कमिश्नर को आवेदन दिया है, लेकिन उन्होंने हमें कुछ अस्थायी पीएसओ तो दिए हैं, लेकिन वे भी मेरी तरह बिना हथियारों के हैं। हथियारों वाली सुरक्षा अभी तक नहीं दी गई है। अब एक महीना हो गया है, हमें देखना होगा कि वे हमें कब सुरक्षा प्रदान करते हैं। हमें नहीं पता कि सुरक्षा न देने में क्या अड़चन है, लेकिन हमें सुरक्षा चाहिए। मंदिर में सुरक्षा होनी चाहिए।"
बडगाम में एक और मील का पत्थर इछकूट गाँव में शारदा भवानी मंदिर का फिर से खुलना है, जो आतंकवाद और घाटी से कश्मीरी पंडितों के पलायन के कारण 36 वर्षों से अधिक समय तक बंद रहा था। यह गाँव बडगाम में कश्मीरी पंडितों के सबसे बड़े गाँवों में से एक है। 90 के दशक से पहले यहाँ 35 पंडित परिवार रहते थे। मंदिर की 'मुहूर्त' और 'प्राण प्रतिष्ठा' समारोहों के साथ पुनर्स्थापना की गई, जो देवता की पुनर्स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा का प्रतीक है।
जब पूजा चल रही थी, तब WT।
यह मंदिर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित प्रतिष्ठित शारदा माता मंदिर की एक शाखा माना जाता है। प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक और बौद्धिक केंद्रों में से एक, जो अब पीओके में स्थित है।
कहा जाता है कि इस गाँव के एक पंडित, जो माता शारदा के उपासक थे, 18वीं शताब्दी में हर साल शारदा पीठ की यात्रा करते थे और 1830 में जब वह व्यक्ति बूढ़ा हो गया और ज़्यादा चलने-फिरने में असमर्थ हो गया, तो देवी शारदा उसके सपने में आईं और उससे कहा कि मुझे पता है अब तुम बूढ़े हो गए हो और चल नहीं सकते, अब मैं तुम्हारे साथ चलूँगी। उसी समय देवी शारदा एक शारदा पीठ के पुजारी के सपने में आईं और उसे सलाह दी कि वह उपासक कें गाँव में यहाँ से एक लकड़ी की छड़ी लेकर जाए और उसे उसके गाँव में लगाने के लिए कहे। पुजारी ने ऐसा ही किया और वह छड़ी, एक बड़े चिनार के पेड़ के रूप में निकली आई और उस चिनार के पेड़ को तब से कश्मीर के पंडित देवी शारदा के रूप में मानते हैं।
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सुनील भट्ट कश्मीरी पंडित ने कहा, "ऐसा कहा जाता है कि इसका इतिहास 18वीं शताब्दी से है। हमने सुना है कि इस गाँव का एक व्यक्ति शारदा पीठ जाता था, जो नीलम घाटी, पीओके में है, जहाँ माता शारदा मंदिर है और वह हर साल वहाँ जाता था और पूजा करता था। जब वह बूढ़ा हुआ, तो माता शारदा उसके सपने में आईं माता ने उससे कहा कि मुझे पता है कि तुम बूढ़े हो गए हो। अब तुम यहाँ नहीं आ सकते, कोई चिंता नहीं, मैं वहाँ आऊँगी और उसी दिन, माता पुजारी के सपने में आईं माता ने पुजारी को इस स्थान पर जाकर यहाँ एक चिनार का पेड़ लगाने का निर्देश दिया। पुजारी आए और उन्होंने यहाँ पेड़ लगाया। तब से हम मानते हैं कि यह पेड़ देवी शारदा है और यह 18वीं शताब्दी से चल रहा है। हम इस पेड़ की माता शारदा के रूप में पूजा करते थे। 90 के दशक से पहले यहाँ रामनवमी पर एक उत्सव हुआ करता था, इसलिए हमने इसे पुनर्जीवित करने की कोशिश की और कल हमने यहाँ पूजा की और हमें उम्मीद है कि हम हर साल ऐसा करेंगे। सरकार ने हमें आश्वासन दिया है कि वे मंदिर के ढांचे का पुनर्निर्माण करेंगे। 90 के दशक से पहले यहाँ कश्मीरी पंडितों के 35 घर थे। इसे इलाके के बड़े गाँवों में से एक माना जाता था, लेकिन कल हमने जो देखा, वह यह था कि जब हम यहाँ पूजा कर रहे थे, तो पूरा गाँव हमारे साथ था। इससे हमें उम्मीद जगी है कि कश्मीरी पंडित वापस लौटेंगे।
35 वर्षों के बंद रहने के बाद शारदा भवानी मंदिर को फिर से खोल दिया गया। बडगाम स्थित शारदा अस्थापना समुदाय ने मंदिर के जीर्णोद्धार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन प्रयासों को निवासियों का समर्थन भी प्राप्त था, जिससे क्षेत्र की साझा विरासत को संरक्षित करने की सामूहिक इच्छा उजागर हुई। मंदिर का पुनः खुलना क्षेत्र में कश्मीरी पंडित समुदाय के सांस्कृतिक और धार्मिक पुनरुत्थान की दिशा में एक कदम है।
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गाँव के निवासी रहे संजय मचामा ने कहा, "हम रोज़ यहाँ आते थे और पूजा करते थे। मुख्य समारोह रामनवमी पर होता था, यह एक बड़ा उत्सव हुआ करता था, सभी पड़ोसी गाँव के लोग यहाँ आते थे और भाग लेते थे। यहाँ एक अलग ही माहौल हुआ करता था। गाँव वालों ने हमारा पूरा साथ दिया है, जैसा कि हमने कल देखा जब 36 साल बाद हमने यहाँ पूजा की, वे हमारे साथ खड़े थे। इसलिए, हमें लगा कि मानवता अभी भी जीवित है। कल हमें जो कुछ भी चाहिए था, उन्होंने हमें दिया, और हमें उम्मीद है कि हम फिर से वही कश्मीर देखेंगे।"
यहाँ भी इस कार्यक्रम में स्थानीय मुस्लिम समुदाय की महत्वपूर्ण भागीदारी देखी गई।वही सरकार ने भी मंदिर की संरचना का पुनर्निर्माण करने का वादा किया है, जो अब उस स्थान पर मौजूद नहीं है क्योंकि यह दशकों से वीरान पड़ा था। निर्माण कार्य का निरीक्षण कर रहे पंडितों ने बताया कि जीर्णोद्धार की एक योजना स्वीकृत हो गई है, और बहुत जल्द काम शुरू हो जाएगा।
देवी शारदा मंदिर से WT
जम्मू और कश्मीर सरकार ने कई पहल की हैं, जिनमें विरासत पुनरुद्धार योजना और "जम्मू कश्मीर में वास्तुकला और विरासत का पुनरुद्धार, जीर्णोद्धार, संरक्षण और रखरखाव" शामिल हैं। इस योजना का उद्देश्य कई धार्मिक स्थलों और मंदिरों का जीर्णोद्धार और संरक्षण करना है, जिनमें से कई दशकों के आतंकवाद के दौरान क्षतिग्रस्त हो गए थे। इन परियोजनाओं में कश्मीर की समृद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने के लिए पारंपरिक सामग्रियों और तकनीकों का उपयोग करके चरणबद्ध तरीके से सैकड़ों मंदिरों का जीर्णोद्धार शामिल है।
ख़ालिद हुसैन
जी मीडिया बड़गाम
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