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खैरथल तिजारा के सरकारी स्कूल ने नवाचार से बदली तस्वीर, बच्चों में दिखा नया विश्वास
KMKuldeep Malwar
Dec 18, 2025 03:50:18
Bagheri Kalan, Rajasthan
कहते हैं अगर किसी काम को शिद्दत से किया जाए, तो वही शिद्दत तक़दीर भी बदल देती है। खैरथल तिजारा जिले के कादर नगला गांव में स्थित शहीद श्याम सिंह राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय इसकी जीती-जागती मिसाल बन चुका है। कभी बदहाली, जर्जर इमारत और असामाजिक गतिविधियों के लिए पहचाना जाने वाला यह सरकारी स्कूल आज अपने नवाचार, अनुशासन और आधुनिक शिक्षा व्यवस्था के लिए पूरे इलाके में चर्चा का विषय है। आज इस स्कूल में कदम रखते ही सबसे पहले नजर जाती है उसकी साफ-सुथरी व्यवस्था पर। परिसर में बरसात के पानी को सहेजने के लिए पानी संग्रहण व्यवस्था बनाया गया है, जहां पाइपलाइन के जरिए पानी स्टोरेज टैंक तक पहुंचता है। स्वच्छता के लिए अलग से डंपिंग यार्ड तैयार किया गया है। हर व्यवस्था यही संदेश देती है कि संसाधन सीमित हों, तब भी सोच बड़ी हो तो बदलाव मुमकिन है। इस बदलाव की कहानी शुरू होती है साल 2012 से जब यहां अंग्रेजी विषय के अध्यापक के रूप में सुमित यादव की नियुक्ति हुई। उस वक्त स्कूल की हालत ऐसी थी कि ग्रामीण कक्षा आठवीं के बाद अपने बच्चों को यहां पढ़ाने से हिचकते थे। जर्जर भवन और अव्यवस्था के कारण स्कूल पर भरोसा टूट चुका था। लेकिन सुमित यादव ने हालात से समझौता करने के बजाय उन्हें बदलने की ठान ली। उन्होंने अपनी सैलरी का एक हिस्सा स्कूल के विकास में लगाना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी यह पहल अन्य शिक्षकों और स्टाफ के लिए भी प्रेरणा बन गई। फिर गांव के लोग और भामाशाह भी इस मुहिम से जुड़ते चले गए। सामूहिक प्रयासों का नतीजा यह हुआ कि स्कूल की तस्वीर और तक़दीर दोनों बदल गईं। आज हालात यह हैं कि इस स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे पूरे अनुशासन के साथ यूनिफॉर्म और आईडी कार्ड में नजर आते हैं। पहले स्टाफ के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया और फिर बच्चों के लिए समान यूनिफॉर्म की व्यवस्था की गई। स्कूल का माहौल देखकर कोई भी यह नहीं कह सकता कि यह एक छोटे से गांव का सरकारी विद्यालय है। सुमित यादव बताते हैं कि वे अब तक करीब 15 लाख रुपये से अधिक की राशि अपने वेतन से स्कूल पर खर्च कर चुके हैं। उनका कहना है कि उन्हें सबसे बड़ी खुशी तब मिलती है, जब उनके पढ़ाए हुए बच्चे आज अच्छे पदों पर नौकरी कर रहे हैं और समाज में अपनी पहचान बना रहे हैं। ग्रामीणों और भामाशाहों के सहयोग से स्कूल में डिजिटल क्लासरूम, शांत वातावरण और बेहतर शिक्षा सुविधाएं भी विकसित की गई हैं। बच्चे अब आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई कर रहे हैं और अभिभावकों का भरोसा भी इस स्कूल पर लौट आया है। कादर नगला का यह सरकारी स्कूल आज सिर्फ एक शिक्षण संस्थान नहीं बल्कि यह साबित करता है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत सच्ची हो, तो किसी भी व्यवस्था को बदला जा सकता है। यह कहानी उस जुनून की है जिसने एक जर्जर स्कूल को इलाके के सर्वश्रेष्ठ विद्यालयों में खड़ा कर दिया।
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