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Jaisalmer345001

रामगढ़ के पास खनन प्रदूषण से गंभीर बीमारी का खतरा, ग्रामीण संगठित हो उठे

SDShankar Dan
Dec 26, 2025 06:51:21
Jaisalmer, Rajasthan
रामगढ़ के निकट खनन हेतु आवंटित की गई जमीन में खनन के दौरान होने वाले प्रदूषण से फैलने वाली गम्भीर बीमारियों को लेकर रामगढ़ क्षेत्रवासी आशंकित हैं। इस संबंध में मैसर्स डालमिया भारत ग्रीन विजन लिमिटेड की ओर से रामगढ़ में आयोजित बैठक में ग्रामीणों ने अपना विरोध दर्ज कराया और खनन क्षेत्र स्थान्तरित करने की मांग की। डालमिया कंपनी को रामगढ़ के निकट एक हजार बीघा जमीन आवंटित की गई है जिसकी जद करीब डेढ़ सौ घर व कई खातेदारी खेत आ रहे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि कंपनी की ओर से आयोजित बैठक की कोई सूचना सार्वजनिक रूप से नहीं दी गई एक माह पूर्व केवल अखबार में विज्ञप्ति देकर खानापूर्ति की गई थी। बैठक की सूचना सार्वजनिक रूप से नहीं देने से आपत्तियां नहीं हो पाई दर्ज हो पाई, जिससे कंपनी की पर्यावरणीय मंजूरी का रास्ता लगभग आसान कर दिया गया। जद में आ रहे कई गांव व ढाणीयां इस खनन क्षेत्र में रामगढ़ कस्बे के कई घर, कमियों की ढाणी के कुछ मकान व कमी समाज के अधिकांश खेत, सुथार समाज की आवासीय ढाणी, खेत मे काटी गई आवासीय कॉलोनी, पेट्रोल पंप के पास स्थित आवास तथा खत्री परिवारों के कुछ खातेदारी खेत सीधे प्रभावित क्षेत्र में आ रहे हैं। इस खनन से होने वाले प्रदूषण से नेतसी, हेमा, राघवा, सेउवा, रायधन भील की ढाणी, भोजराज की ढाणी, गैस तापीय विद्युत गृह, बीएसएफ की दोनों बटालियन, सेना व वायु सेना के कैंप आदि भी प्रभावित होंगे। यह केवल भूमि या संपत्ति का मामला नहीं है, बल्कि पूरे रामगढ़ के भविष्य का प्रश्न है। खानन के दौरान होने वाले प्रदूषण से गम्भीर बीमारियों के फैलने को लेकर ग्रामीण आशंकित हैं। सबसे गंभीर चिंता इस परियोजना से उत्पन्न होने वाला धूल-प्रदुषण (डस्ट) है। विशेषज्ञों के अनुसार आगामी वर्षों में इससे रामगढ़ मूल गांव में अस्थमा, सांस संबंधी बीमारियाँ और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ बढ़ने की प्रबल संभावना है, जिसे किसी भी स्थिति में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। ग्रामीणों को बैठक से दूर रखने हो सकती है सोची समझी साजिश। अगर यह बैठक समस्त ग्रामीणों की मौजूदगी में होती और कंपनी के लाभ-हानि, प्रदूषण नियंत्रण, स्वास्थ्य प्रभाव तथा प्रभावित घरों-खेतों के उचित मुआवजे पर खुलकर चर्चा होती, तो यह गांव के हित में बेहतर निर्णय की दिशा में एक मजबूत कदम होता। लेकिन कुछ चुनिंदा लोगों के साथ बैठक कर यह आभास दिया गया कि मानो गांव को कोई आपत्ति ही नहीं है। यह स्थिति या तो ग्रामीणों की उदासीनता को दर्शाती है या फिर कुछ जिम्मेदार प्रतिनिधियों द्वारा जानबूझकर गांव को दूर रखकर निजी लाभ के लिए रामगढ़ के भविष्य से समझौता करने का संकेत देती है। ग्रामीणों की होने पड़ेगा संघठित अब भी स्थिति पूरी तरह हाथ से नहीं निकली है। एकमात्र रास्ता यही बचता है कि रामगढ़ के ग्रामीण संगठित होकर जैसलमेर जाएँ और उपखंड अधिकारी तथा जिला कलेक्टर महोदय के समक्ष इस पूरे मामले को तथ्यों के साथ मजबूती से रखें। रामगढ़ के घरों, खेतों, स्वास्थ्य और पर्यावरण की रक्षा के लिए यह संघर्ष आवश्यक है, क्योंकि आज की चुप्पी आने वाली पीढ़ियों के लिए भारी कीमत बन सकती है।
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DGDeepak Goyal
Dec 26, 2025 08:51:19
Jaipur, Rajasthan:आस्था के केंद्रों के संरक्षण और पूजा-सेवा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से देवस्थान विभाग की ओर से दी जाने वाली सहायता अनुदान राशि का अधिकांश मंदिर आज भी राह देख रहे हैं। प्रदेशभर में 10 हजार 9 राजकीय सहायता प्राप्त मंदिर हैं.....चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 15 वर्षों से जिन मंदिरों को अनुदान मिल रहा है, वह महज़ 100 प्रतिमाह है। यानी सालाना 1200 और प्रतिदिन सिर्फ 3.33 रूपए। इतनी राशि में न तो पूजा-पाठ की समुचित व्यवस्था संभव है और न ही मंदिरों के संरक्षण, सफाई या दीप-धूप की नियमित व्यवस्था। प्रदेश के मंदिरों के घंटियों की आवाज़ आज भी गूंजती है, लेकिन उनके भीतर की व्यवस्था खामोशी से बदहाली बयान कर रही है। देवस्थान विभाग की जिस सहायता अनुदान योजना को आस्था के केंद्रों का संबल बनना था, वह अब कागजों और फाइलों तक सिमटकर रह गई है। हालात यह हैं कि सरकार द्वारा चिन्हित करीब दस हजार नौ राजकीय सहायता प्राप्त मंदिरों में से गिने-चुने मंदिरों तक ही अनुदान पहुंच पा रहा है, जबकि राजकीय सहायता प्राप्त अधिकांश मंदिर आज भी भक्तों के भरोसे पूजा-सेवा और भोग की परंपरा निभाते हैं। आस्था का यह तंत्र सरकारी संरक्षण के बजाय दानपात्रों और स्थानीय सहयोग पर टिका हुआ है। विडंबना यह है कि जिन राजकीय सहायता प्राप्त मंदिरों को सरकार से सहायता मिल भी रही है....वहां राशि इतनी कम है कि उसे सहायता कहना भी कठिन हो जाता है। सालाना 1200 रूपए, प्रतिमाह सौ रुपये, यानी प्रतिदिन करीब तीन रूपए तैंतीस पैसे.....इतनी राशि में न तो ठाकुरजी का भोग संभव है और न ही पूजा की मूल सामग्री का प्रबंध........धूप-बत्ती तक की व्यवस्था उस रकम में मुश्किल हो जाती है.......जहां एक ओर पूजा सामग्री, तेल, घी, फूल और श्रमिक लागत में लगातार बढ़ोतरी हुई है, वहीं मंदिरों को मिलने वाली सहायता राशि पिछले डेढ़ दशक से जस की तस बनी हुई है। देवस्थान विभाग द्वारा करीब दस हजार राजकीय सहायता प्राप्त मंदिर चिन्हित किए गए हैं.....इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे मंदिर हैं, जो वर्षों से सहायता अनुदान की प्रतीक्षा में हैं.......कहीं नाम दर्ज नहीं हो पाया, तो कहीं पुजारी के निधन के बाद नामांतरण की प्रक्रिया अटक गई। नियमों के तहत यह प्रक्रिया सीधे देवस्थान आयुक्त स्तर से होती है, जो ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के मंदिरों के लिए एक बड़ी बाधा बन चुकी है। कई पुजारी वर्षों तक कार्यालयों के चक्कर लगाने के बावजूद अपने नाम दर्ज नहीं करवा पाते और सरकारी सहायता से वंचित रह जाते हैं। अनुदान योजना से जुड़ी एक और बड़ी समस्या है हर साल उपयोगिता प्रमाण पत्र देने की अनिवार्यता। छोटे और साधनहीन मंदिरों के लिए यह प्रक्रिया आसान नहीं है। न तो उनके पास लेखा-जोखा संभालने की व्यवस्था होती है और न ही तकनीकी जानकारी। परिणामस्वरूप, कई मंदिर जानबूझकर या मजबूरी में सहायता अनुदान नहीं ले पाते हैं। जबकि जरूरत इस बात की है कि आस्था के इन केंद्रों को सम्मानजनक और सरल सहायता मिले, ताकि मंदिरों की मूल परंपराएं सुरक्षित रह सकें। करीब 15 वर्ष पहले देवस्थान विभाग ने सहायता प्राप्त मंदिरों को न्यूनतम 1200 रुपए प्रतिवर्ष देने के आदेश जारी किए थे। उस समय प्रदेश में ऐसे हजारों मंदिर थे, जिन्हें 25 से लेकर 120 रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा था। निर्णय लिया गया था कि सभी सहायता प्राप्त मंदिरों को कम से کم 1200 रुपए सालाना दिए जाएंगे, ताकि पूजा-सेवा में कुछ राहत मिल सके। लेकिन डेढ़ दशक बीत जाने के बावजूद आज भी अधिकांश मंदिरों को वही 100 रुपए प्रतिमाह की राशि मिल रही है, जो समय और महंगाई दोनों के हिसाब से बेहद अपर्याप्त है। आस्था के ये केंद्र केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन की धुरी हैं। त्योहार, परंपराएं और लोकविश्वास इन्हीं से जुड़े हैं, लेकिन संरक्षण की जिम्मेदारी अब केवल भक्तों पर छोड़ दी गई है। जरूरत इस बात की है कि सरकार आस्था को योजना नहीं, संवेदनशीलता के नजरिए से देखे......अनुदान राशि को सम्मानजनक बनाए और नामांतरण और प्रक्रियाओं को सरल करें। तभी मंदिरों की घंटियों के साथ-साथ व्यवस्था की आवाज़ भी मजबूत हो सकेगी।
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RKRakesh Kumar Bhardwaj
Dec 26, 2025 08:51:01
Jodhpur, Rajasthan:फलोदी जिले को पर्यटन के क्षेत्र में विशेष पहचान दिलाने के उद्देश्य से फलोदी जिला प्रशासन व पर्यटन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में कुरजां महोत्सव का दो दिवसीय आयोजन आज 26 दिसंबर से 27 दिसंबर को खींचन गांव में होने जा रहा है। कुरंजा महोत्सव की शुरुआत आज कुरंजा नगरी खीचन से की गई जहां से जिला प्रशासनिक अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व जनसाधारण के साथ आज सुबह खीचन गांव में स्थित कुरजा विचरण क्षेत्र, प्राचीन हवेलियों व ऐतिहासिक विरासतों, धरोहरों का भ्रमण कर उनकी मातृत्व का अवलोकन किया। बता दें कि फलोदी जिला बनने के बाद पहली बार आयोजित होने जा रहे इस कुरजा महोत्सव की पूर्व संध्या पर फलोदी दुर्ग, खींचन में दीपदान का कार्यक्रम आयोजित किया गया। आज सुबह खींचन गांव कुरंजा महोत्सव की शुरुआत की गई। प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार लोक कलाकारों के संग खींचन हवेलियों का भ्रमण व कुरजां दृश्यावलोकन किया गया। इसके बाद आज मेजर शैतान सिंह स्टेडियम में शाम 4 बजे हस्तशिल्प उत्पाद एवं चित्रकला प्रदर्शनी का अवलोकन होगा। साथ ही cam camel डांस, कबड्डी प्रतियोगिता, मल्ला श्री सहित विभिन्न प्रतियोगिताएं आकर्षण का केंद्र रहेगी। 26 दिसंबर को मेजर शैतान सिंह स्टेडियम में आयोजित सांस्कृतिक संध्या में प्रख्यात राजस्थानी गायक सवाई भाट व इंडियन आईडल फेम गायिका रेनू नागर की प्रस्तुति होगी। साथ ही स्थानीय लोककलाकारों की प्रस्तुति भी होगी। जिला कलक्टर ने बताया कि 27 दिसंबर को लटियाल माता मंदिर प्रांगण से रानीसर तालाब तक शोभा यात्रा का आयोजन प्रातः 10 से किया जाएगा। इसके बाद मेजर शैतान सिंह स्टेडियम में मनोरंजन प्रतियोगिताएं जैसे फैंसी ड्रेस, साफा बांध, मिस्टर एंड मिसेज फलोदी, मटका दौड़ का आयोजन किया जाएगा।
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SNShashi Nair
Dec 26, 2025 08:50:46
Hisar, Haryana:रेलूराम पूनिया हत्याकांड भारतीय अपराध इतिहास का एक कुख्यात मामला है, जो संपत्ति लालच, पारिवारिक विवाद और न्यायिक प्रक्रिया की जटिलताओं को उजागर करता है। यह घटना 23 अगस्त 2001 को हरियाणा के हिसार जिले के उकलाना मंडी के पास ल Litani मोड़ गांव प्रभुवाला में हुई। जहां पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया (उम्र 50 वर्ष), उनकी दूसरी पत्नी कृष्णा (41), बेटी प्रियंका (16), सौतेला बेटा सुनील (23), बहू शकुंतला (20), और तीन नाती-पोतियां-लोकेश (4), शिवानी (2), और प्रीति (1.5 महीने)-की लोहे की रॉड से निर्मम हत्या कर दी गई। हत्यारों में मुख्य आरोपी रेलू राम की बड़ी बेटी सोनिया और उसका पति संजीव कुमार थे। फिलहाल दोनों आरोपी संजीव और सोनिया अंतरिम बेल पर 2 महीने के लिए बाहर आ गए हैं। स्टेट लेवल कमेटी को 2 महीने के अंदर ही अपनी रिपोर्ट देनी है। चर्चित रेलूराम हत्याकांड के वक्त उनकी विशालकाय कोठी भी खूब चर्चा में आई थी। आपको बता दें कि लितानी मोड़ पर गांव प्रभुवाला में यह कोठी लगभग दो एकड़ में बनी है और 1996 में उस वक्त भी कोठी में एक स्विमिंग पूल और ऊपर के फ्लोर पर गाड़ी के जाने के लिए सीधा एक लंबा गलियारा बनाया गया था। रेलूराम पूनिया के परिवार में छह भाई और एक बहन थे। रेलूराम की हत्या के बाद उनकी सारी संपत्ति उनके छह भाइयों के हिस्से में आई; उनके 6 भाई भी फिलहाल इस दुनिया में नहीं हैं और उनके परिवार के बच्चे फिलहाल इस कोठी में रह रहे हैं। आपको बता दें कि रेलूराम पूनिया एक गरीब परिवार से थे, जिन्होंने कड़ी मेहनत से संपत्ति अर्जित की। पहले गांव प्रभुवाला के निर्विरोध सर्वसम्मति से सरपंच बने फिर 1996 में वे विधायक बने। परिवार में संपत्ति के बंटवारे को लेकर तनाव था, खासकर सोनिया और उनके सौतेले भाई सुनील के बीच। 23 अगस्त 2001 को सोनिया के जन्मदिन पर हत्याकांड को अंजाम दिया गया। आरोप है सोनिया ने प्लान के तहत ड्रामा करके आत्महत्या का केवल प्रयास किया और गिरफ्तार हुई। अदालत ने संपत्ति हड़पने के इरादे से अपराध सिद्ध किया। 1996 में वे बरवाला विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते, जहां उनका नारा था "रेलूराम की रेल चलेगी, बिन पानी बिन तेल चलेगी"। वे पूर्व मुख्यमंत्री बंसी लाल की हरियाणा विकास पार्टी का समर्थन करते थे और चौधरी देवी लाल व ओम प्रकाश चौटाला से जुड़े थे। रेलूराम पूनिया हत्याकांड के मुख्य आरोपी संजीव और सोनिया के अंतरिम बेल पर बाहर आने के बाद से यह मामला एक बार फिर से सुर्खियों में आ गया है। रेलूराम के भाइयों के बच्चों ने मुख्यमंत्री और सरकार से सुरक्षा की गुहार लगाई है । गाव प्रभुवाला में रेलू राम पूनिया के निवास के बाहर सुरक्षा की दृष्टि से एक पीसीआर तैनात की गई है। रेलूराम हत्याकांड को लेकर अभी भी गांव के लोगों में नाराजगी और गुस्सा है। हालांकि उस वक्त के बहुत से लोग अब नहीं हैं लेकिन गांव के लोगों का साफ तौर पर कहना है कि संजीव और सोनिया की अंतरिम बेल मिलने से उन्हें नाराज़गी है। फिलहाल इस मामले के फिर से उठने के बाद अब लोग भी रेलूराम के इस निवास स्थान पर आने लगे हैं। वहां पर मौजूद पूनिया खाप के लोगों का साफ तौर पर कहना है कि जरूरत पड़ी तो एक बार फिर से इस मामले को उठायेंगे। आपको बता दें कि पहले भी पूनिया और बेनैन खाप ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया था। रेलूराम हत्याकांड को लेकर परिवार के वकील सीनियर एडवोकेट लाल बहादुर खोवाल ने बताया कि फिलहाल स्टेट लेवल कमेटी को इन 2 महीने के अंदर दोबारा से अपनी रिपोर्ट देनी है, लेकिन वह इस मामले को लेकर परिवार की तरफ़ से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की तैयारी कर रहे हैं तथा रेनूराम पुनिया का परिवार भी सरकार से मांग कर रहा है कि सरकार भी सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी फाइल करें। कर्मचारियों के साथ 2004: हिसार सत्र न्यायालय- सोनिया-संजीव को 8 हत्याओं के लिए मौत की सजा। अप्रैल 2005: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट- मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया। फरवरी 2007: सुप्रीम कोर्ट- मौत की सजा बहाल। अप्रैल 2013: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी- दया याचिका खारिज। आरोपी सोनिया भारत की पहली फांसी पाने वाली महिला बन सकती थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया। 12 दिसंबर 2025: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने दोनों आरोपियों को अंतरिम जमानत पर रिहा किया.
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KCKashiram Choudhary
Dec 26, 2025 08:50:23
Jaipur, Rajasthan:उत्तर-पश्चिम रेलवे में 1 जनवरी से लागू होगी ट्रेनों की नई समय सारिणी - नए शेड्यूल में 12 जोड़ी नई ट्रेनें शामिल, 4 जोड़ी ट्रेनों का किया गया है विस्तार - 66 ट्रेनों के समय में 30 मिनट या ज्यादा बदलाव, ट्रेनों की गति में वृद्धि और समय की बचत होगी जयपुर। उत्तर पश्चिम रेलवे की नई समय सारणी 1 जनवरी 2026 से लागू होगी। नई ट्रेनों के संचालन, ट्रेनों के विस्तार, फेरों में बढ़ोतरी, नए ठहराव और ट्रेनों की विभिन्न स्टेशनों पर आगमन/प्रस्थान समय में परिवर्तन लागू होंगे। उत्तर पश्चिम रेलवे पर हो रहे दोहरीकरण, विद्युतीकरण आदि आधारभूत संरचना के कार्यों के कारण ट्रेन संचालन की गति में वृद्धि होने के साथ ही समय में बचत हुई है। इसके फलस्वरूप ट्रेनों के संचालन की समय सारणी में बदलाव हुआ है। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशि किरण के अनुसार ट्रेनों के संचालन की नई समय सारिणी 1 जनवरी 2026 को जारी की जा रही है। नई समय सारणी में नई ट्रेनों के संचालन, ट्रेनों के विस्तार, फेरों में वृद्धि, ट्रेन संख्या में बदलाव, नए ठहराव तथा विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेनों के आगमन व प्रस्थान समय में हुए बदलाव को शामिल किया गया है। नई समय सारणी में 61 ट्रेनों के विभिन्न स्टेशनों पर 1 जनवरी 2026 से नए ठहराव भी शुरू होंगे। ये होंगे महत्वपूर्ण बदलाव - नई समय सारणी में 12 जोड़ी नई ट्रेनें शामिल - 4 जोड़ी ट्रेनों के विस्तार, 2 ट्रेनों के टर्मिनल स्टेशन में बदलाव होंगे - 2 जोड़ी ट्रेनों के फेरों में विस्तार, 12 ट्रेनों के नंबरों में बदलाव होंगे - 164 ट्रेनों के नए ठहराव, जिनमें से 61 ट्रेनों के नए ठहराव 1 जनवरी से होंगे - 2 ट्रेनों के मेल/एक्सप्रेस से सुपरफास्ट में परिवर्तन से समय में बचत होगी - 89 ट्रेनों की गति में वृद्धि के कारण ट्रेनों के आगमन-प्रस्थान समय बदलेंगे - 66 ट्रेनों के विभिन्न स्टेशनों पर आगमन व प्रस्थान समय में 30 मिनट या अधिक बदलाव
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SKSantosh Kumar
Dec 26, 2025 08:48:00
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PSPrabhanjan Singh
Dec 26, 2025 08:47:51
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RKRANJEET Kumar OJHA
Dec 26, 2025 08:47:32
Jamshedpur, Jharkhand:जमशेदपुर में सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों बाबा अजीत सिंह, बाबा जुझार सिंह, बाबा जोरावर सिंह एवं बाबा फतेह सिंह की अद्वितीय शहादत को नमन करते हुए वीर बाल दिवस के अवसर पर भाजपा जमशेदपुर महानगर के तत्वावधान में एक चित्र प्रदर्शनी सह विचार गोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है. आयोजन का उद्देश्य शहीद साहिबजादों के बलिदान को स्मरण करते हुए युवाओं में देशभक्ति, त्याग और साहस की भावना को प्रोत्साहित करना था, कार्यक्रम में पूर्व सांसद एवं झारखंड भाजपा की प्रदेश प्रवक्ता गीता कोड़ा मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रही. इस अवसर पर साहिबजादों के जीवन, संघर्ष और शहादत से संबंधित चित्रों की प्रदर्शनी लगाई जाएगी तथा विषय पर विचार गोष्ठी आयोजित कर उनके बलिदान से समाज को प्रेरणा लेने का संदेश दिया गया.
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SBSharad Bhardwaj
Dec 26, 2025 08:47:20
New Delhi, Delhi:साउथ वेस्ट दिल्ली मोती बाग इलाके पार्क में देर रात झगड़े के दौरान दो लडकों को चाकू मारा गया, एक घायल एक की मौत. पुलिस हत्या के कारणों की जांच में जुटी. घटना स्थल पार्क में DCP, ACP और SHO जांच करने पहुंचे. लोकेशन: मोती बाग. साउथ वेस्ट डिस्ट्रिक्ट के साउथ कैंपस के इलाके मोती बाग में पार्क के अंदर देर रात झगड़ा हुआ. कुशल नाम के लडके की मौत हो गई, कार्तिक नाम का लडका घायल हो गया, जहाँ अस्पताल जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है. मृतक की बहन के कहना घर के नजदीक पार्क में दो को चाकू मार दिए, सुबह उनके भाई को अस्पताल में लेकर गये, उसकी मौत; दूसरे लडके भी कहीं चाकू मारे हैं. लोगो ने कहा पार्क चारों तरफ से खुला है, कोई भी कहीं से आ सकता. देर रात चाकूबाजी हुई. सुबह से ही पुलिस पार्क में मौजूद है; पुलिस जाँच कर रही है. हत्या के कारणों की जांच में पुलिस जुटी हुई. आखरी देर रात को दोनों लडके क्या करने गये थे, आरोपी कौन है.
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ADArvind Dubey
Dec 26, 2025 08:46:54
Obra, Uttar Pradesh:ANCHOR : सोनभद्र जनपद के दुद्धी कोतवाली क्षेत्र से एक किसान की संदिग्ध मौत ने इलाके में सनसनी फैला दी है। धनौरा गांव के पास लकड़ा बांध के गेट वाल्व के नजदीक बहती नहर में शुक्रवार की सुबह एक किसान का शव उतराया हुआ मिलने से हड़कंप मच गया। शव की हालत और सिर पर गंभीर चोट के निशान मौत को संदिग्ध बना रहे हैं। घटना की सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को बाहर निकलवाकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। अब सवाल ये है कि क्या ये हादसा है या फिर किसी साजिश का नतीजा। VO: शुक्रवार की सुबह धनौरा गांव के ग्रामीण रोज़ की तरह शौच के लिए निकले थे, तभी उनकी नजर लकड़ा बांध के गेट वाल्व के पास बह रही नहर में उतराए एक शव पर पड़ी। शव देखते ही गांव में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों ने तत्काल ग्राम प्रधान सुभाष भारती को सूचना दी। सूचना मिलते ही ग्राम प्रधान मौके पर पहुंचे और दुद्धी कोतवाली पुलिस को पूरे मामले से अवगत कराया। इसके बाद कोतवाली प्रभारी निरीक्षक और कस्बा पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों की मदद से कड़ी मशक्कत के बाद शव को गेट वाल्व से बाहर निकाला गया।शिनाख्त होने पर मृतक की पहचान 46 वर्षीय भागीरथी प्रसाद पुत्र स्वर्गीय जियुत प्रसाद, निवासी ग्राम धनौरा, स्थायी पता रामनगर वार्ड नंबर 7, नगर पंचायत दुद्धी के रूप में हुई।मृतक एक किसान थे और उनके परिवार में दो बेटे और दो बेटी हैं। अचानक हुई इस मौत से चार बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया है। घटना के बाद से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों ने मौत को संदिग्ध बताते हुए कोतवाली में तहरीर दी है। मृतक के बेटे का आरोप है कि जब उन्होंने शव देखा तो पिता के सिर से काफी खून बह रहा था, जिससे आशंका और गहराती जा रही है। वहीं इस पूरे मामले में दुद्धी कोतवाली प्रभारी निरीक्षक स्वतंत्र कुमार सिंह का कहना है कि सुबह ग्राम प्रधान द्वारा सूचना दी गई थी कि लकड़ा बांध से निकलने वाली नहर के प्रारंभिक छोर पर एक व्यक्ति का शव औंधे मुंह पानी में उपलाया हुआ है। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के वास्तविक कारणों का खुलासा हो सकेगा। फिलहाल पुलिस हर पहलू से मामले की जांच में जुटी है। अब सबकी निगाहें पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर टिकी हैं, जो यह तय करेगी कि किसान की मौत हादसा थी या फिर इसके पीछे कोई और वजह।
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PGPARAS GOYAL
Dec 26, 2025 08:46:41
:मेरठ के दौराला थाना क्षेत्र के मवीमीरा गांव में एक युवती ने प्रेमी से शादी करने के लिए बिजली के टॉवर पर चढ़कर हाई वोल्टेज ड्रामा किया। युवती कई घंटे तक टॉवर पर चढ़ी रही और प्रेमी से शादी करने की जिद पर अड़ी रही। प्रेमिका को मनाने के लिए प्रेमी टॉवर के नीचे पहुंचा और उसे मनाने की कोशिश की। काफी मशक्कत के बाद प्रेमिका को टॉवर से उतारा गया। पुलिस ने बताया कि दोनों पक्षों ने आपस में समझौता कर लिया है और युवती को उसके परिवार के हवाले कर दिया गया है। बताया जा रहा है कि युवती और युवक के बीच लंबे समय से प्रेम संबंध थे, लेकिन परिवार वाले शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी के चलते युवती ने यह कदम उठाया। पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है और आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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DGDeepak Goyal
Dec 26, 2025 08:45:51
Jaipur, Rajasthan:एंकर-आस्था के केंद्रों के संरक्षण और पूजा-सेवा को सुदृढ़ करने के उद्देश्य से देवस्थान विभाग की ओर से दी जाने वाली सहायता अनुदान राशि का अधिकांश मंदिर आज भी राह देख रहे हैं। प्रदेशभर में 10 हजार 9 राजकीय सहायता प्राप्त मंदिर हैं.....चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले 15 वर्षों से जिन मंदिरों को अनुदान मिल रहा है, वह महज़ 100 प्रतिमाह है। यानी सालाना 1200 और प्रतिदिन सिर्फ 3.33 रूपए। इतनी कम अनुदान राशि में न तो पूजा-पाठ की समुचित व्यवस्था संभव है और न ही मंदिरों के संरक्षण, सफाई या दीप-धूप की नियमित व्यवस्था। वीओ-1- प्रदेश के मंदिरों में घंटियों की आवाज़ आज भी गूंजती है, लेकिन उनके भीतर की व्यवस्था खामोशी से बदहाली बयान कर रही है। देवस्थान विभाग की जिस सहायता अनुदान योजना को आस्था के केंद्रों का संबल बनना था, वह अब कागजों और फाइलों तक सिमटकर रह गई है। हालात यह हैं कि सरकार द्वारा चिन्हित करीब दस हजार नौ राजकीय सहायता प्राप्त मंदिरों में से गिने-चुने मंदिरों तक ही अनुदान पहुंच पा रहा है, जबकि राजकीय सहायता प्राप्त अधिकांश मंदिर आज भी भक्तों के भरोसे पूजा-सेवा और भोग की परंपरा निभा रहे हैं। आस्था का यह तंत्र सरकारी संरक्षण के बजाय दानपात्रों और स्थानीय सहयोग पर टिका हुआ है। विडंबना यह है कि जिन राजकीय सहायता प्राप्त मंदिरों को सरकार से सहायता मिल भी रही है....वहां राशि इतनी कम है कि उसे सहायता कहना भी कठिन हो जाता है। सालाना 1200 रूपए, प्रतिमाह सौ रुपये, यानी प्रतिदिन करीब तीन रूपए तैंतीस पैसे.....इतनी राशि में न तो ठाकुरजी का भोग संभव है और न ही पूजा की मूल सामग्री का प्रबंध........धूप-बत्ती तक की व्यवस्था इस रकम में मुश्किल हो जाती है.......जहां एक ओर पूजा सामग्री, तेल, घी, फूल और श्रमिक लागत में लगातार बढ़ोतरी हुई है, वहीं मंदिरों को मिलने वाली सहायता राशि पिछले डेढ़ दशक से जस की तस बनी हुई है। बाइट-महेन्द्र देवतवाल, सहायक आयुक्त द्वितीय, जयपुर वीओ-2- देवस्थान विभाग द्वारा करीब दस हजार राजकीय सहायता प्राप्त मंदिर चिन्हित किए गए हैं.....इनमें से बड़ी संख्या में ऐसे मंदिर हैं, जो वर्षों से सहायता अनुदान की प्रतीक्षा में हैं.......कहीं नाम दर्ज नहीं हो पाया, तो कहीं पुजारी के निधन के बाद नामांतरण की प्रक्रिया अटक गई। नियमों के तहत यह प्रक्रिया सीधे देवस्थान आयुक्त स्तर से होती है, जो ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के मंदिरों के लिए एक बड़ी बाधा बन चुकी है। कई पुजारी वर्षों तक कार्यालयों के चक्कर लगाने के बावजूद अपने नाम दर्ज नहीं करवा पाते और सरकारी सहायता से वंचित रह जाते हैं। अनुदान योजना से जुड़ी एक और बड़ी समस्या है हर साल उपयोगिता प्रमाण पत्र देने की अनिवार्यता। छोटे और साधनहीन मंदिरों के लिए यह प्रक्रिया आसान नहीं है। न तो उनके पास लेखा-जोखा संभालने की व्यवस्था होती है और न ही तकनीकी जानकारी। परिणामस्वरूप, कई मंदिर जानबूझकर या मजबूरी में सहायता अनुदान नहीं ले पाते हैं। जबकि जरूरत इस बात की है कि आस्था के इन केंद्रों को सम्मानजनक और सरल सहायता मिले, ताकि मंदिरों की मूल परंपराएं सुरक्षित रह सकें। करीब 15 वर्ष पहले देवस्थान विभाग ने सहायता प्राप्त मंदिरों को न्यूनतम 1200 रुपए प्रतिवर्ष देने के आदेश जारी किए थे। उस समय प्रदेश में ऐसे हजारों मंदिर थे, जिन्हें 25 से लेकर 120 रुपए तक का अनुदान दिया जा रहा था। निर्णय लिया गया था कि सभी सहायता प्राप्त मंदिरों को कम से कम 1200 रुपए सालाना दिए जाएंगे, ताकि पूजा-सेवा में कुछ राहत मिल सके। लेकिन डेढ़ दशक बीत जाने के बावजूद आज भी अधिकांश मंदिरों को वही 100 रुपए प्रतिमाह की राशि मिल रही है, जो समय और महंगाई दोनों के हिसाब से बेहद अपर्याप्त है। बाइट-महेन्द्र देवतवाल, सहायक आयुक्त द्वितीय, जयपुर बहरहाल, आस्था के ये केंद्र केवल पूजा स्थल नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन की धुरी हैं। त्योहार, परंपराएं और लोकविश्वास इन्हीं से जुड़े हैं, लेकिन संरक्षण की जिम्मेदारी अब केवल भक्तों पर छोड़ दी गई है। जरूरत इस बात की है कि सरकार आस्था को योजना नहीं, संवेदनशीलता के नजरिए से देखे......अनुदान राशि को सम्मानजनक बनाए और नामांतरण और प्रक्रियाओं को सरल करें। तभी मंदिरों की घंटियों के साथ-साथ व्यवस्था की आवाज़ भी मजबूत हो सकेगी। दीपक गोयल जी मीडिया जयपुर
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KCKashiram Choudhary
Dec 26, 2025 08:45:25
Jaipur, Rajasthan:काशीराम चौधरी लोकेशन- जयपुर फीड- 2सी हैडर- - उत्तर-पश्चिम रेलवे की नई समय सारणी - 1 जनवरी 2026 से लागू होगा नया शेड्यूल - नए शेडूल में 12 जोड़ी नई ट्रेनें हो रही शुरू - 4 जोड़ी ट्रेनों का किया जाएगा विस्तार - 66 ट्रेनों के समय में 30 मिनट या ज्यादा बदलाव - ट्रेनों की गति में वृद्धि और समय की बचत होगी एंकर उत्तर पश्चिम रेलवे की नई समय सारिणी 1 जनवरी 2026 से लागू होगी। नई ट्रेनों के संचालन, ट्रेनों के विस्तार, फेरों में बढ़ोतरी, नए ठहराव और ट्रेनों की विभिन्न स्टेशनों पर आगमन/प्रस्थान समय में परिवर्तन लागू होंगे। उत्तर पश्चिम रेलवे पर हो रहे दोहरीकरण, विद्युतीकरण आदि आधारभूत संरचना के कार्यों के कारण ट्रेन संचालन की गति में वृद्धि होने के साथ ही समय में बचत हुई है। इसके फलस्वरूप ट्रेनों के संचालन की समय सारणी में बदलाव हुआ है। उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी शशि किरण के अनुसार ट्रेनों के संचालन की नई समय सारणी 1 जनवरी 2026 को जारी की जा रही है। नई समय सारणी में नई ट्रेनों के संचालन, ट्रेनों के विस्तार, फेरों में वृद्धि, ट्रेन संख्या में बदलाव, नए ठहराव तथा विभिन्न स्टेशनों पर ट्रेनों के आगमन व प्रस्थान समय में हुए बदलाव को शामिल किया गया है। नई समय सारणी में 61 ट्रेनों के विभिन्न स्टेशनों पर 1 जनवरी 2026 से नए ठहराव भी शुरू होंगे。 ये होंगे महत्वपूर्ण बदलाव - नई समय सारणी में 12 जोड़ी नई ट्रेनें शुरू होंगी - 4 जोड़ी ट्रेनों के विस्तार, 2 ट्रेनों के टर्मिनल स्टेशन में बदलाव होंगे - 2 जोड़ी ट्रेनों के फेरों में विस्तार, 12 ट्रेनों के नंबरों में बदलाव होंगे - 164 ट्रेनों के नए ठहराव, जिनमें से 61 ट्रेनों के नए ठहराव 1 जनवरी से होंगे - 2 ट्रेनों के मेल/एक्सप्रेस से सुपरफास्ट में परिवर्तन से समय में बचत होगी - 89 ट्रेनों की गति में वृद्धि के कारण ट्रेनों के आगमन-प्रस्थान समय बदलेंगे - 66 ट्रेनों के विभिन्न स्टेशनों पर आगमन व प्रस्थान समय में 30 मिनट या अधिक बदलाव
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