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अन्नपूर्णा फूड पैकेट घोटाला: 11 जिलों से ही रिपोर्ट, जांच में देरी
ACAshish Chauhan
Oct 03, 2025 08:16:53
Jaipur, Rajasthan
जयपुर- BCM अन्नपूर्णा फूड पैकेट घोटाले की जांच रिपोर्ट पर ब्रेक लग गया है, क्योंकि आधे से ज्यादा जिला कलक्टर्स अनियमितताओं की रिपोर्ट नहीं भेज रहे है. वित्त विभाग की एसआईटी पूरे मामले की विशेष जांच कर रही है. पहले गरीबों के हक पर डाका, अब रिपोर्ट पर ब्रेक- गरीबों का हक पर डाका डालने वाली अन्नपूर्णा फूड पैकेट योजना में पहले खुलकर अनियमितताएं सामने आई और अब जब वित्त विभाग की एसआईटी पूरे मामले की जांच कर रही है तो जिलों के कलेक्टर्स रिपोर्ट दबाकर बैठ हुए है. अब तक सिर्फ 11 जिलों से ही फूड पैकेट योजना की रिपोर्ट तलब हुई है, जबकि सहकारिता विभाग ने 4 बार कलक्टर्स को इस संबंध में लिखा है. प्रमुख सचिव मंजू राजपाल ने भी चिट्ठी लिख चुकी, फिर भी 22 जिला कलक्टर्स योजना से जुड़ी रिपोर्ट नहीं भेज रहे. वित्त विभाग द्वारा गठित एसआईटी ने मांगी जिला कलक्टर्स से अमिनयत्ताओं की जांच के लिए रिपोर्ट मांगी है, जिसमें गुणवत्ता, फर्मों को भुगतान, खरीद प्रक्रिया शामिल है. कांग्रेस सरकार की 4500 करोड़ की फूड योजना में भारी अनियमित्ताएं हुई है. इस योजना के जरिए 1500 करोड़ के फूड पैकेट बांटे जा चुके है. तत्कालीन अफसरों पर गिर सकती गाज- कांग्रेस सरकार में सहकारिता मंत्री रहे उदयलाल आंजना और अफसरों के बीच टकराव हुआ था. अन्नपूर्णा में देरी पर आंजना ने उच्च अफसरों से स्पष्टीकरण मांगा था. आंजना ने टेंडर दस्तावेजों को लेकर सवाल उठाए थे. उन्होंने कहा था कि अन्नपूर्णा योजना के लिए कॉनफैड एमडी ने तैयार किए टेंडर दस्तावेज तत्कालीन प्रमुख सचिव श्रेया गुहा और रजिस्ट्रार मेघराज रत्नू को भेजे गए. लेकिन 1 महीने 3 दिन बाद भी दस्तावेज राज्य सरकार को प्रेषित नहीं किए गए. आंजना ने पूछा था कि इस योजना में देरी के लिए कौन उत्तरदायी? निविदा की कार्यवाही से मुझे अवगत करवाए. बाद में इस योजना में जिलों में टैंडर हुए. सहकारिता विभाग की जांच कमेटी ने माना है कि बिना नेगोशिएशन के टैंडर किए गए. यदि राज्य स्तर पर टैंडर होते तो रेट्स में इतना अंतर नहीं आता. कॉनफैड ने जताई थी आपत्ति- उस समय नोटशीट में फूड पैकेट के टैंडर के लिए रजिस्ट्रार ने जिक्र किया था कि जिला स्तर के अनुभव वाली फर्म को शामिल किया जाए. जबकि कॉनफैड ने आपत्ति जताई थी कि 90% से अधिक राशन की दुकाने तो ग्रामीण या तहसील क्षेत्रों में है.जब फर्म को ग्राम स्तर या तहसील स्तर पर अनुभव ही नहीं होगा तो जिला स्तर वाली फर्म कैसे 1 करोड 6 लाख परिवारों तक फूड पैकेट बांट पाएगी? PTC- आशीष चौहान, जी मीडिया, जयपुर. नोट-इस खबर की फीड ओएफसी से BJPR_FOOD_R_SLAG से भेजी गई है,जब योजना के शॉट्स 2 सी में अटैच है.
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