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सरकारी योजनाओं का इंतजार: सिरका पीड़ी गांव में विकास की कमी
Khunti, Jharkhand
रिपोर्ट - ब्रजेश कुमार
क्षेत्र - खूँटी।
स्लग - लांदुप पंचायत के सिरकापीड़ी गांव आज भी जोह रहा है विकास का बाट
खेत के बीच दाढ़ी का पानी पीने को मजबूर सर का पीड़ी गांव के ग्रामीण
सिरका पीढ़ी गांव में एक भी नहीं बना सरकारी पक्का मकान
डेढ़ वर्ष से बन रहा जल मीनार का काम केवल दिखावा
सिरकापीड़ी गांव में आज भी नहीं पहुँचा बिजली व्यवस्था
बीमार पड़ने पर ईलाज के लिए झोलाछाप डॉक्टर ही एक सहारा
एंकर - खूँटी जिले का विकास करने के लिए दो विधानसभा क्षेत्र और एक लोकसभा क्षेत्र के प्रतिनिधि के अलावे पंचायत और ग्राम स्तर तक नेता बनकर समाज का विकास करने के लिए बातें करते है। लेकिन आज भी कई ऐसे गाँव देश की आजादी के बाद से अब तक विकास की बाट जोह रहा है। खूँटी जिला अन्य प्रखंड क्षेत्र नहीं बल्कि खूंटी प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत लांदुप पंचायत के सिरकापीड़ी गांव के लोगों को न तो अंबुजा आवास मिला है और न ही प्रधानमंत्री आवास । लगभग 30 घरों का इस सिरका पीड़ी गांव जंगलों से घिरा है। यहां तक तो पक्की सड़क पहुंच गया है । पर यहांँ के लोग आज भी ढिबरी युग में जीवन बसर कर रहे हैं । हालांकि ढिबरी में किरासन तेल खरीदने तक के लिए पैसे नहीं जुटा पा रहे लोग सोलर प्लेट खरीदकर इमरजेंसी लाईट से रात को काम चला लेते हैं । ग्रामीण बतलाते हैं कि सरकारी योजना के नाम पर मात्र एक स्कूल है। वहां न तो शौचालय हैं और न ही पानी का व्यवस्था । गांव के लोग सालोंभर डाड़ी का पानी पीते हैं। जो खेतों से पानी उछलकर उस डाड़ी से होकर गुजरता है उसी गंद पानी को पीने के लिए ग्रामीण मजबूर हैं। यही कारण है कि गांव के लोग बीमार पड़ते रहते हैं। और जब बीमार पड़ते हैं तो उन्हें किसी झोलाछाप डाक्टर से दवा लेना पड़ता है। यही कारण है कि ग्रामीण कमजोर और कम आयु में ही उम्रदराज लगते हैं। गांव में ठीकेदारी के नाम पर जलमीनार बनाने का काम शुरू तो किया गया था पर आजतक उसका केवल नीला हिस्सा का शुरुआत दिखाई देता है। और डेढ़ वर्ष बीत जाने के बाद भी योजना का कहीं पता नहीं कि आखिर ये योजना कहां चला गया । सीधे-सादे भोलेभाले ग्रामीणों का जीवन काफी समस्या से ग्रसित है। वहीं लोग बतलाते हैं कि इन समस्याओं को लेकर जाएं तो कहां जाएं । जबकि काम के नाम पर कुछ होता ही नहीं । गांव में अखरा के पास एक सोलर मिनी लाइट बहुत पहले मिलट्री लोग दिये थे वो भी बहुत पहले से खराब है। राशन लाने के लिए भी चार किमी दूर जाना पड़ता है। और एक दिन में राशन भी नहीं मिल पाता है। क्योंकि अंगूठा लगता ही नहीं है। मशीन काम करता भी नहीं है तो डीलर दूसरा दिन फिर बुलाता है। ऐसे में कितना दौड़-धूप करेंगे। हालांकि ग्रामीणों ने बतलाया कि इन सभी व्यथा से कहीं अधिक व्यथा पानी की है। खेत के बीच बने गाड़ी का पानी पीना और खेत के पानी से ही नहाना पड़ता है। जितनी पानी की समस्या से ग्रामीण जूझ रहे हैं यह काफी कष्टकारी है। गर्मी के दिनों में तो डाड़ी का पानी छानकर पी लेते हैं। लेकिन बरसात में भी इस दाढ़ी का पानी पीते हैं जी दाढ़ी के ऊपर का खेत का पानी वह कर नीचे की ओर जाता है। दाड़ी तक जाने के लिए सड़क भी नहीं है और खेतों के बीच से होकर पानी लाना जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने मांग किया है कि गांव में बिजली तो नहीं है लेकिन सोलर लाइट दे दिया जाता तो कुछ समस्या निदान हो जाता। पानी की समस्या के लिए जो डेढ़ वर्षो से सोलर जल मीनार निर्माण का इंतजार कर रहे हैं इसकी जांच हो और यहां सोलर जलमीनार बने। गांव के विद्यालय में एक शिक्षक है और जब कोई मीटिंग होती है तो विद्यालय को छुट्टी करना पड़ता है। गांव में एक भी सरकारी आवास निर्गत नहीं हुआ है अगर योजना धरातल तक हमारे लिए नहीं पहुंचा है तो ऐसी जगह पर वोट देकर क्या फायदा। केवल हम लोग वोट देने की मात्र के लिए बनकर रह गये हैं। ग्रामीण चाहते हैं राज्य बना फिर जिला बना और इतना दिन बीतने के बाद भी समस्या से ग्रसित हैं तो इसका निष्पादन अवश्य होना चाहिए यह अपेक्षा रखते हैं।
बाईट - नन्दी देवी, ग्रामीण महिला, सिरका पीड़ी।
बाईट - करुणा हंस, ग्रामीण पुरुष।
बाईट - मनोहर हंस ग्रामीण।
1-2-1 - ब्रजेश कुमार जी मिडिया संग ग्रामीण, सिरका पीड़ी गाँव।
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