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बिहार में शिक्षा का हाल: पेड़ की छांव में पढ़ने को मजबूर बच्चे!
Bagaha, Bihar
BIHAR DESK...
LOCATION- BAGAHA
REPORT- IMRAN AZIZ
FORMAT- AVB VISUAL BYTE PIC
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ANCHOR- बिहार में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए सरकार विद्यालयों को अपग्रेड करने के साथ साथ उसके बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने की दावा क़र रही है। बावजूद इसके आज भी कई ऐसे विद्यालय हैं जिनको भूमि तो नसीब हो गईं है लेकिन भवन नहीं वही कई विद्यालय ऐसे भी मिल जाएंगे जिनको ना तो भूमि नसीब है और ना हीं भवन...। फ़िर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे पूरी हो बड़ा सवाल है!
ताज़ा मामला बगहा 2 प्रखंड के अतिपिछड़े थरूहट इलाके का है जहाँ राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय देवरिया को 10+2 में अपग्रेड तो क़र दिया गया है लेकिन सालों से यहाँ बच्चे खुले आसमान के निचे पेड़ की छाँव में पढ़ने को मजबूर हैं । ख़ास बात यह है की कमरों के अभाव में एक क्लास रूम में तीन तीन कक्षाएं संचालित की जा रहीं हैं जबकि पेड़ के निचे भी दो-दो क्लास के छात्रों को जमींन पर बैठकर शिक्षा ग्रहण करने की लाचारी है।
दरअसल राजकीय उत्क्रमित उच्च विद्यालय देवरिया को ग्रामीणों ने जमींन तो मुहैया करा दी है औऱ शिक्षा विभाग ने भवन निर्माण के लिए राशि भी निर्गत क़र दिया है बावजूद इसके संवेदक औऱ जेई की लापरवाही औऱ मनमानी के कारण विद्यालय भवन निर्माण अधर में लटका है।
सबसे बड़ी बात है की सालों पुरानी बिल्डिंग परित्यक्त घोषित हो गया है जो खंडहर बन गया है मजबूरन बच्चे वहां बैठकर पठन पाठन करने के अलावा साईकिल खड़ी क़र अपनी जान जोखिम में डाल रहें हैं क्योंकि अक्सर इस जर्जर भवन की छत से मलबा टूटकर निचे गिरता है इतना हीं नहीं ठीक विद्यालय के ऊपर से हाई टेंशन तार गुजरा है जिसके एक बार टूटकर गिरने से यहाँ आग भी लग गईं थी फ़िर भी निर्माण एजेंसी की अनदेखी से छात्रों के अलावा प्रधान शिक्षक समेत ख़ुद शिक्षा विभाग के अधिकारी परेशान हैं क्योंकि जेई औऱ ठीकेदार फ़रार हैं।बताया जा रहा है की थारू आदिवासी बहुल्य इस इलाके में कई गावों के सैकड़ों बच्चे इसी एक मात्र स्कूल में पढ़ने आते हैं क्योंकि यहाँ से हरनाटांड औऱ बगहा काफ़ी दूर है लिहाजा एक स्वर में सभी निर्माण एजेंसी पर लापरवाही का आरोप लगा रहें भवन निर्माण की मांग क़र रहें हैं।
बता दें की हेडमास्टर से लेकर BEO ने कई बार जेई औऱ ठीकेदार से आग्रह भी किया है फ़िर भी निर्माण एजेंसी की मनमानी बदस्तूर जारी है जो कभी भी जानलेवा साबित हो सकता है। क्योंकि भवन के अभाव में नौनिहाल खुले आसमान के नीचे पढ़ने को विवश हैं। आलम यह है कि चिलचिलाती धूप हो या बरसात साढ़े 500 छात्र-छात्राओं को पेड़ की छांव में हीं पढ़ना पड़ता है ।
गौरतलब हो की वर्ष 2016 में आदिवासी बहुल देवरिया तरुअनवा गांव स्थित 10 +2 विद्यालय बना है जहां महज दो कमरों में कई कक्षाएं संचालित हो रही हैं। 10 +2 के लिए हो रहे भवन निर्माण के कार्य को ठिकेदार अधर में छोड़ मौके से फरार हैं। जिसके बाद ग्रामीणों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस मामले में भी विद्यालय प्रबंधन समेत ग्रामीणों के लाख प्रयास के बावजूद भवन निर्माण कार्य आठ माह से अधर में लटका है और यहीं वज़ह है की सैकड़ों बच्चों को पेड़ के नीचे पढ़ना पड़ता है। जब बारिश होती है तो बच्चों की पढ़ाई बंद हो जाती है औऱ कड़ी चिलचिलाती धूप में बच्चे बीमार पड़ जाते हैं ।
ऐसे में बिहार में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के क्या मायने हैं आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं। क्योंकि मुखिया संजय कुमार भी ज़िला प्रशासन को शिक्षा समिति की बैठकों के बाद पत्राचार क़र थक चुके हैं फ़िर भी नतीजा सिफर है।
बहरहाल बगहा 2 अतिरिक्त BEO विजय कुमार यादव ने भरोसा दिलाया है की शिकायत मिली थी वें ख़ुद स्थल निरिक्षण क़र DEO बेतिया को रिपोर्ट भेज क़र जेई से संपर्क में जुटे आगे की कार्रवाई क़र रहें हैं ताकि जल्दी विद्यालय भवन का निर्माण कराया जा सकें ।
बाइट - विजय कुमार यादव, BEO(ADD) बगहा 2, हॉफ शर्ट पहने हुए
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