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सिरसा के रिसालियाखेड़ा ने बिना खर्ची, बिना पर्ची से युवाओं को दी नौकरी!

VKVIJAY KUMAR
Jul 08, 2025 10:36:29
Sirsa, Haryana
एंकर रीड कहते है कि मेहनत करने से क्या कुछ नहीं मिलता। बस लग्न से अपने काम में जुट जाओ उसके बाद कामयाबी आपके कदम चूमेगी। ऐसा ही कुछ हुआ है सिरसा जिले में , सिरसा के गांव रिसालियाखेड़ा की करे तो भाजपा सरकार के 11 साल के कार्यकाल में एक ही गांव से करीब 200 से 250 युवाओं को नौकरियां मिली है। इसके साथ ही हरियाणा के पूर्व सीएम मनोहर लाल ने पिछले साल इस गांव से करीब 40 युवाओं को एक साथ ही नौकरियां दी थी जिसके बाद से इस गांव की दिशा और दशा और भी सुधर गई है। गांव में एक बड़ी गोशाला है जहाँ युवाओं के साथ साथ बुजुर्ग और महिलाएं भी गोसेवा में ततपर रहते है। इस गांव में लाइब्रेरी भी है जहाँ बच्चे स्कूल , कॉलेज से आने के बाद बड़े सुकून से अपनों पढ़ाई करते है।  वोल 1 2014 से लेकर 2024 तक योग्यता के आधार पर नौकरी मनोहर सरकार का नारा था और इसी नारे को अब सूबे में सीएम नायब सिंह सैनी ने तेज गति से आगे बढ़ाया है। 2024 में जब हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने ग्रुप सी का परिणाम घोषित किया तो यह नारा सिरसा जिला के लिए वरदान के रूप में साबित हो गया है। मंडी डबवाली के रिसालियाखेड़ा गांव के 40 से ज्यादा युवाओं का एक साथ चयन हुआ है। चयनित युवाओं का कहना है कि खर्ची-पर्ची का नियम चलता तो वे कभी चयनित नहीं होते थे। जानकारी के अनुसार हर सरकारी नौकरी की भर्ती में हर बार सबसे ज्यादा भर्ती सिरसा जिला में गांव रिसालियाखेड़ा से ही युवा होते है जिनका जिक्र पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल और मौजूदा सीएम नायब सिंह सैनी खुद अपने भाषणों में बिना पर्ची बिना खर्ची नौकरी पाने वाले इस गांव के युवाओं को लेकर कर चुके है। वोल 2 रिसालियाखेड़ा में सरकार ने बिना खर्ची, बिना पर्ची के योग्य युवाओं को रोजगार देने का वायदा किया था। आज जब ग्रुप सी का परिणाम आया तो यह बात साफ हो गई। गांव में चयनित हुए 90 प्रतिशत युवा ऐसे हैं, जो गरीबी रेखा से नीेच जीवन यापन कर रहे थे। उनके पास खर्ची तो दूर की बात सिफारिश तक नहीं थी। ऐसे युवाओं को सरकारी नौकरी मिलना गांव के लिए गर्व की बात है। वोल 3 वहीं रिसालियाखेड़ा के नजदीकी गांव रामगढ़ में आठ, दारेवाला में 7 बिज्जूवाली में 8 समेत दर्जनों गांवों के युवाओं को नौकरी मिली है। ग्रामीणों का कहना है कि सिफरिश का समय गया। नहीं तो लोग गट्टे में पर्ची डाल के लग जाते थे। आज भी वो समय होता तो कभी भी योग्यता का नंबर नहीं आना था। वोल 4 वहीं चयनित युवाओं ने बताया कि वे सुबह शाम रात को मन लगा पढ़ाई करते है सफलता में लाइब्रेरी का काफी योगदान रहा। उसने आनलाइन क्लासिज अटेंड की। इसका फायदा मिला। उसके पास सिफारिश या नौकरी के लिए खर्ची देने का माध्यम नहीं था। बिना खर्ची, बिना पर्ची उसे नौकरी मिली है। बाईट चयनित युवा तथा ग्रामीण। 
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