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सतना न्यायालय ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र पर सुनाया बड़ा फैसला!

SLSanjay Lohani
Jul 11, 2025 06:38:30
Satna, Madhya Pradesh
सतना जिला न्यायालय में एक सनसनीखेज मामले में बड़ा फैसला सुनाया गया है। फर्जी अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र के जरिए 9 साल तक नौकरी करने वाले साक्ष्य लेखक (बाबू) राधेश्याम बर्डे को माननीय नवम अपर सत्र न्यायाधीश शशिकांत वर्मा की कोर्ट ने 7 साल की सजा और 3,000 रुपये के जुर्माने का दंड सुनाया है। अब यह शातिर अपराधी जेल की सलाखों के पीछे है। बालाघाट के बरा शिवानी निवासी राधेश्याम बर्डे ने फर्जी दस्तावेजों के दम पर सतना जिला न्यायालय में 26 मार्च 2008 से 7 अप्रैल 2017 तक साक्ष्य लेखक के पद पर नौकरी की और मोटी तनख्वाह हासिल की। लेकिन कहते हैं, अपराध कितना भी छिपा हो, कानून की नजर से बच नहीं सकता। कोर्ट के ही एक अन्य बाबू, विजय कुमार नागर को राधेश्याम के दस्तावेजों पर शक हुआ। उनकी शिकायत पर जांच शुरू हुई, जिसमें राधेश्याम का अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। जांच के बाद सिविल लाइन थाने में राधेश्याम के खिलाफ धारा 420 (धोखाधड़ी), 467, 468, और 471 (जालसाजी) के तहत मामला दर्ज किया गया। लंबे समय तक कोर्ट में विचाराधीन रहे इस मामले में न्यायाधीश शशिकांत वर्मा ने फैसला सुनाया। राधेश्याम को फर्जीवाड़े का दोषी ठहराते हुए 7 साल की कैद और 3,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
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