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जैसलमेर में शिकारी पक्षियों पर रिसर्च: जीपीएस ट्रांसमीटर से होगा अध्ययन!
SDShankar Dan
Aug 05, 2025 11:03:23
Jaisalmer, Rajasthan
जिला-जैसलमेर
विधानसभा-जैसलमेर
खबर की लोकेशन-जैसलमेर
रिपोर्टर-शंकर दान
मोबाइल-9799069952
जैसलमेर में शुरू हुआ शिकारी पक्षियों पर रिसर्च,
गिद्ध-ईगल पर लगाए जीपीएस ट्रांसमीटर, व्यवहार का करेंगे अध्ययन
जैसलमेर
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया देहरादून और राजस्थान वन विभाग ने संयुक्त रूप से थार के रैप्टर इकोलॉजी पर एक प्रोजेक्ट शुरू किया है।
इस प्रोजेक्ट को ''रेप्टर इकोलॉजी इन द थार डेजर्ट'' नाम से शुरू हुआ शिकारी पक्षियों पर रिसर्च प्रोजेक्ट जैसलमेर में जारी है और हाल ही में एक इजिप्शियन वल्चर और एक टॉनी ईगल पर ट्रांसमीटर लगाने का काम हुआ है।
वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक वरुण खेर बताया की इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य थार क्षेत्र में पाए जाने वाले शिकारी पक्षियों जैसे बाज, मृत पशुओं को खाने वाले गिद्धों की पारिस्थितिकी को समझना है।
इस रिसर्च के तहत पहली बार थार क्षेत्र में रैप्टर प्रजातियों पर जीपीएस ट्रांसमीटर आधारित टेलीमेट्री अध्ययन शुरू किया गया है।
उन्होंने बताया कि जैसलमेर का डेजर्ट नेशनल पार्क रैप्टर पक्षियों के लिए देश का बहुत ही महत्वपूर्ण क्षेत्र है, जहां इनकी संख्या देश के अन्य हिस्सों की तुलना में बहुत अधिक है। यह अध्ययन इन प्रजातियों की आवाजाही, निवास स्थान, प्रजनन व्यवहार और खतरों को समझने में मदद करेगा।
वही जैसलमेर में स्थित राष्ट्रीय मरु उद्यान (डेजर्ट नेशनल पार्क) गिद्ध और अन्य शिकारी पक्षियों के लिए काफी खास है। यहां भारत में पाए जाने वाले 9 गिद्धों की प्रजाति में 8 प्रजातियां पाई जाती हैं।
इसी पर नजर रखते हुए भारतीय वन्यजीव संस्थान देहरादून ने राजस्थान वन विभाग की सहायता से इन शिकारी पक्षियों पर अध्ययन के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया है। जिसका नाम "रेप्टर इकोलॉजी इन द थार डेजर्ट" रखा गया है।
इसी प्रोजेक्ट के तहत पिछले सप्ताह 1 इजिप्शियन वल्चर और 1 टॉनी ईगल को जीपीएस ट्रांसमीटर लगाए गए हैं। जीपीएस ट्रांसमीटर की मदद से इन दोनों पक्षियों की लोकेशन रिसर्च टीम को मिलती रहेगी, जिससे ग्राउंड पर मॉनिटरिंग करने नें मदद होगी। दोनों पक्षी अभी स्वस्थ हैं और डेजर्ट नेशनल पार्क में विचरण कर रहे हैं।
वही इसके लिए 6 प्रमुख प्रजातियों को चुना गया है, जिसमें रेड हैडेड वल्चर, व्हाइट रम्प्ड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, इंडियन वल्चर, टॉनी ईगल और लग्गर फाल्कन भी शामिल है। इन सभी पक्षियों में ट्रांसमीटर लगाने की अनुमति मिल चुकी है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वरुण खेर ने बताया कि-जीपीएस सिस्टम लगाकर शिकारी पक्षियों पर रिसर्च करना अपने आप में एक उपलब्धि रहेगी।
वही जीपीएस से यह पता लगा पाएगा कि यह गिद्ध किस मौसम में कहां आते-जाते हैं, उनकी दिनचर्या क्या है, क्या खाते हैं। साथ ही इससे शिकारी गिद्धों के संदर्भ में डेटा एकत्रित हो पाएगा जिससे गिद्ध संरक्षण में एक बड़ी मदद मिलेगी।
टेलीमेट्री के साथ-साथ रिसर्च टीम घोंसलों की निगरानी कर रही है, और क्षेत्र में इन पक्षियों को होने वाले खतरों की पहचान भी कर रही है। इससे संरक्षण की दिशा में ठोस कदम उठाने में सहायता मिलेगी।
बाइट- वरुण खेर,वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक
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