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प्रतापगढ़ का मानसूनी जादू: दो दर्जन झरनों की खूबसूरती!
Pratapgarh, Rajasthan
Slug : 0207ZRJ_PRTP_WATERFALL_R
जिला : प्रतापगढ़
विधानसभा : प्रतापगढ़
खबर की लोकेशन : प्रतापगढ़
जिला संवादाता : हितेष उपाध्याय, 9079154796
हेडर/हेडलाईन : प्रतापगढ़ की वादियां बनीं मानसूनी स्वर्ग, अरावली की गोद में बह रहे दो दर्जन से ज्यादा झरने
एंकर/इंट्रो : जहां नजर घुमाओ वहां हरियाली ही हरियाली... और जहां कान लगाओ, सुनाई देती है झरनों की मधुर धुन… मानसून ने प्रतापगढ़ को फिर से जीवंत कर दिया है… दो दर्जन से ज्यादा झरनों की अठखेलियाँ और पहाड़ियों की मुस्कान… सब कुछ कह रहा है – वेलकम टू द पैराडाइज़।... देखिए यह विशेष खबर...
जैसे ही मानसून की बारिश ने धरती को छुआ, वैसे ही प्रतापगढ़ की पहाड़ियां हरियाली में नहाने लगीं। अरावली की वादियों में बिखरी हरियाली और बहते झरनों ने जिले को एक बार फिर प्राकृतिक स्वर्ग में बदल दिया है। इन दिनों प्रतापगढ़ जिले की दो दर्जन से अधिक जगहों पर झरने अपने वेग से बह रहे हैं, जो पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को आकर्षित कर रहे हैं। यह पूरा क्षेत्र जुलाई से सितंबर तक हरे रंग की चादर में ढका रहता है, और झरनों की गूंज यहां की खास पहचान बन जाती है।
इस समय जिले के कई प्रसिद्ध जलप्रपात पूरी रफ्तार में हैं। इनमें सबसे पहले नाम आता है भनेज के झरने का, जो रामपुरिया वनखंड के भनेज गांव के किनारे पहाड़ियों से गिरता है। यह झरना दो चरणों में गिरता है और जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर स्थित है। धरियावद क्षेत्र में स्थित झरनी माता झरना भी लोगों को खूब आकर्षित कर रहा है, जिसकी ऊंचाई लगभग 80 फीट है। वहीं गौतमेश्वर महादेव मंदिर, जिसे "कांठल का हरिद्वार" भी कहा जाता है, वहां भी 80 मीटर ऊंचाई से दो चरणों में झरना गिरता है। छोटीसादड़ी क्षेत्र का प्रसिद्ध भंवरमाता मंदिर भी पीछे नहीं है, मंदिर के सामने लगभग 70 फीट ऊंचाई से गिरता झरना मानसूनी नज़ारों में चार चांद लगा देता है। जिले में एक दर्जन से अधिक बड़े और आकर्षक झरने हैं जो पर्यटकों को खासा आकर्षित कर रहे हैं। इनमें प्रमुख हैं: सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य, गौतमेश्वर, भंवरमाता, कमलेश्वर, योगेश्वर, जटाशंकर, ऋषि महादेव, भरकामाता, कामाता, खजूरी, नरसिंह माता,
भनेज मालिया, खेड़ी, झरनी माता, रातीकांकर, मेहंदीखेड़ा, झरनामाता, भड़क माता, और देवझर का झरना। हर झरने की अपनी एक खासियत है, कोई ऊंचाई से गिरता है, तो कोई चौड़ी धाराओं में फैलकर आसपास की हरियाली को नहलाता है।
बाईट- मंगल मेहता, पर्यावरण प्रेमी
अगर बात करे प्रतापगढ़ जिले की भौगोलिक स्थिति की तो वह अपने आप में अनोखी है। मालवा के पठार और अरावली पर्वत श्रृंखला के संगम पर बसा यह क्षेत्र जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य का खज़ाना है। जिले का कुल क्षेत्रफल 44,495 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें से 1,044 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र वनाच्छादित है — जो कि कुल क्षेत्र का 23.47 प्रतिशत है। अरावली की उपत्यकाओं में फैली हरियाली और बहते झरने इस जिले को पहाड़ और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन बना देते हैं। सीतामाता वन्यजीव अभयारण्य तो खुद में जैव विविधता का संगम है, जो मानसून में और भी अधिक सुंदर हो जाता है।
- पीटीसी
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