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महोबा के मूक कलाकार ने मूर्तियों से छीना नवरात्रि का ग्लैमर
RTRAJENDRA TIWARI
Sept 13, 2025 09:45:36
Mahoba, Uttar Pradesh
PLACE-MAHOBA
REPORT-RAJENDRA TIWARI
DATE-13-09-2025
एंकर - कहते हैं कि कुछ कर दिखाने का जज्बा पहाड़ जैसी मुश्किलों को भी ठहरने नहीं देता। कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है महोबा जिले के जन्मजात मूक बधिर ओम प्रकाश शुक्ला ने, यह देवी माँ की प्रतिमाओ को इस प्रकार बनाकर सजाते -सवारते है की देखने बाले सिर्फ देखते रह जाते है । नवरात्रि में दूर -दराज से माँ के भक्त आकर माँ की प्रतिमाओ ले जाते है ! इन्होंने इंटर तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद समाज में अपनी अलग पहचान बनाने की ठान ली थी और मूर्तिकला का कारोबार करने लगें।
वी /ओ- महोबा ज़िले के कबरई ब्लाक के रहने बाले उमा दत्त शास्त्री के पुत्र ओम प्रकाश सुनने और बोलने की क्षमता शून्य है और यह असहज एवं समाज में हीनभावना से ग्रसित थे और इनके साथ गाव का कोई भी लड़का खेलने तक को तैयार नहीं होता था ! अकेलापन और हिन् भावना ने इन्हें कुंठित कर दिया था ! अपने पुत्र कि दुर्दशा देखकर माँ दुर्गा के अनन्य भक्त पिता उमादत्त शास्त्री से रहा न गया ! कहते है कि माँ के मंदिर में पुत्रो कि दशा सुनाने पहुचे तो उन्हें मंदिर में ही माँ कि मुर्तिया बनाने कि प्रेरणा मिली ! मिटटी से 8 वर्षों तक कठिन परिश्रम कर मूर्तिकला के काम को नया आयाम दे डाला ! अधिकत्तर मूर्तिकार मिटटी कि मूर्तिया बनाने का काम करते थे लेकिन बोलने और सुनने कि शक्ति न होने के कारण सामान कि खरीददारी पर मुश्किलों का सामना करना पड़ता था ! इन्ही मुस्किलो ने एक बार फिर से इन्हें कुछ अलग करने के लिए मजबूर कर दिया ! अपनी मेहनत और लगन से प्लास्टर ऑफ़ पेरिस से हलकी सुन्दर और आकर्षक मूर्तियों को बनाने लगे और बाजार में लोगो कि जरुरतो को जान कर इन मूर्तियों के हाँथ पैर के साथ साथ शेर के मुहं और गर्दन को बड़ी ही सफाई से मूवमेंट कराने लगे ! और नए-नए तरीके से ओमप्रकाश नवरात्रि से पूर्व मां जगदंबा के विभिन्न रूपों में काली, जयंती, महिषासुर मर्दनी, विंध्यवासिनी, मां शारदा, कालरात्रि कि प्रतिमाओ को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। मूर्ति बनाने में इनका साथ देने बाले शैलेन्द्र बताते है कि हमारे गुरु जी बचपन से बोल नही पाते इन्ही के साथ सात-आठ सालों से हम काम कर रहे है और सबसे अच्छी मूर्ति बनाते है मूर्ति में कई मूमेंट देते है ताकि कुछ अलग मूर्ति बन सके ।
बाइट- :- शैलेन्द्र (मूर्तिकार)
वी/ओ :- माँ की प्रतिमाओं को देखकर ऐसा लगता है की मानो कुदरत ने इनमे कारीगरी कूट -कूटकर भरी हो जिसमे महिषासुर मर्दनी की प्रतिमा को दिए नए-नए रूप में शेर का सिर उठता है, मुंह खुलता है, पीछे सुदर्शन चक्र घूमता है माँ की आकर्षक सजावट श्रद्धालुओं को अनायास ही अपनी ओर खींच लेती हैं। नवरात्रि पर्ब पर इनके द्वारा 200 से अधिक मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इनकी मूर्ति की खास बात यह है की यह हलकी और सुन्दर है जिससे ले जाने में परेशानी नही होती है !
बाईट :- शीतल
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