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कोंडागांव बायपास: क्या सुरक्षा के लिए खतरा बन गया है?
CJCHAMPESH JOSHI
FollowJul 11, 2025 06:04:41
Kondagaon, Chhattisgarh
कोंडागांव शहर को भारी ट्रैफिक से राहत देने के उद्देश्य से तैयार किया गया बायपास अब सवालों के घेरे में है।
8.89 किलोमीटर यह लंबा बायपास सड़क, जिसकी लागत 77 करोड़ रूपये है | जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग-30 से जोड़ना था, अब यह सड़क हादसों की आशंका का कारण बन रहा है।
कारण — दोनों ओर बने अंधा मोड़ जिन्हें टी-जंक्शन की तरह डिजाइन कर दिया गया है, यानी 90 डिग्री मे बनाया गया है जबकि राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग के जानकारों व रिटायर्ड अधिकारी ने बताया यहां यू-टर्न होना चाहिए था। यह मार्ग एन एच आई के मापदंडो पर संही नहीं बना है
एन एच आई के मापदंड यह भी कहता है की इस मार्ग को 90 डिग्री मे नहीं जोड़ा जाना था मोड़ को यू सेफ मे या पहले जिस राष्ट्रीय राजमार्ग से इसे जोड़ा गया है उसे भी चौड़ा किया जाना था यंहा दुर्घटनाये होने की सम्भावनाये बढ़ गईं है|
ड्राइवरों की शिकायत — "नज़र नहीं आता, अचानक से मुड़ना पड़ता है"
बायपास से जुड़ने वाली सड़क पर भारी वाहन जब मुख्य मार्ग में प्रवेश करते हैं, तो सामने से आ रहे वाहन अक्सर दिखाई ही नहीं देते। लोकल ट्रक ड्राइवर रमेश नेताम बताते हैं —
"ये ब्लाइंड टर्न है, सामने से आने वाले वाहन दिखते ही नहीं। यू-टर्न होता तो सामने से आने वाले ट्रैफिक को देखकर मुड़ सकते थे। अभी तो एक तरह से अंदाज़े पर गाड़ी मोड़नी पड़ती है।"
किसे दी गई ज़िम्मेदारी?
आमतौर पर राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ी परियोजनाएं नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को सौंपी जाती हैं, जो सख्त इंजीनियरिंग मानकों के तहत निर्माण कराती है। लेकिन इस बायपास सड़क का निर्माण लोक निर्माण विभाग (PWD) को सौंपा गया है। जानकार बताते हैं कि
"पीडब्ल्यूडी अपने राज्य सड़क मानकों से काम कर रही है, जो NHAI की अपेक्षा कम सख्त हैं।"
ब्लाइंड टर्न के पीछे कौन ज़िम्मेदार?
यह सवाल अब ज़ोर पकड़ रहा है कि आखिर इस बायपास के नक्शे, ड्रॉइंग और डिजाइन को किस आधार पर मंजूरी दी गई? क्या इसमें दुर्घटना संभावित बिंदुओं का तकनीकी सर्वे किया गया था? क्या स्पीड-मैनेजमेंट या सिग्नलिंग का कोई प्लान है?
हर सेकंड गुजरते हैं भारी वाहन, सुरक्षा खतरे में
कोंडागांव-जगदलपुर मार्ग पर चलने वाले हजारों वाहनों का लोड अब बायपास पर शिफ्ट हो रहा है। लेकिन जिस सड़क पर ट्रैफिक डाइवर्जन किया गया है, वहां पर बेसिक सेफ्टी फीचर्स की कमी है —न तो पर्याप्त साइनेज हैन ही टर्न पर स्पीड ब्रेकर या इंडिकेटर लाइट्सन कोई ट्रैफिक वार्निंग सिग्नल
स्थानीय लोगों का कहना जान-माल की कीमत पर न हो विकास,,सड़क बनाना अच्छी बात है, लेकिन उस सड़क पर चलने वालों की ज़िंदगी भी सुरक्षित रहनी चाहिए। ये टर्न आज नहीं तो कल किसी हादसे का कारण जरूर बनेगा।
प्रशासन से मांग — इंजीनियरिंग ऑडिट हो, डिजाइन की समीक्षा हो
लोगों की मांग है कि इस बायपास सड़क की स्वतंत्र इंजीनियरिंग जांच करवाई जाए। साथ ही, जहां-जहां दुर्घटनाओं की आशंका है, वहांटर्न को सुधारनेस्पीड ब्रेकर या इंडिकेटर लगानेयू-टर्न का इंजीनियरिंग मॉडल लागू होयह सिर्फ एक सड़क का मामला नहीं यह आम जनता की सुरक्षा और ज़िम्मेदार विभागों की जवाबदेही का सवाल है।
अब देखना होगा कि प्रशासन इसे कितनी गंभीरता से लेता है
बाइट -ए. आर. मरकाम मुख्य अभियंता लोक निर्माण विभाग
बाइट-2 वाहन चालको की बाइट
वाक थ्रू...
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