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क्या आपकी क्रीम भी है झूठी? अजमेर में खुला बड़ा धोखा!
ADAbhijeet Dave
FollowJul 16, 2025 10:36:32
Ajmer, Rajasthan
अजमेर
विधानसभा अजमेर सिटी
अभिजीत दवे 9829102621
एंकर - प्रतिस्पर्धा के दौर में हर कंपनी अपने प्रोडक्ट को दूसरे से बेहतर बताने की होड़ में लगी है।अपना उत्पाद विक्रय करने के लिए येन केन प्रकारेण ग्राहकों को विश्वास में लेने के लिए बिना प्रमाण के अपने प्रोडक्ट को विश्व का नंबर वन प्रोडक्ट बताने से भी नहीं चूक रही है। ऐसे विज्ञापनों से प्रभावित होकर ही उपभोक्ता सामान या सेवा लेने का मानस बना लेता है लेकिन जब उसे पता चलता है कि नंबर वन होने का कंपनी का दावा हवाहवाई है तो वह स्वयं को ठगा सा महसूस करता है। कई बार जागरुक व्यक्ति कोर्ट की शरण लेकर न्याय भी पाते हैं।
ऐसा ही एक मामला अजमेर की उपभोक्ता अदालत में पेश होकर निर्णित हुआ है जहां कंपनी ने विज्ञापन जारी कर स्वयं को विश्व की नंबर वन क्रीम बताया किन्तु जब मामला अदालत में पहुंचा तो कंपनी का यह दावा खोखला साबित हुआ। अजमेर के एडवोकेट तरुण अग्रवाल ने उपभोक्ता अदालत में वाद पेश कर बताया कि वह बोरोप्लस एंटीसेप्टिक क्रीम का इस्तेमाल करता आया है। क्रीम की निर्माता कंपनी द्वारा एक समाचार पत्र में विज्ञापन दिया जिसमें क्रीम को 'विश्व की नंबर वन' क्रीम बताया गया था, इसके अतिरिक्त कंपनी की वेबसाइट पर इसे 'भारत की नंबर वन' क्रीम बता कर प्रचारित किया जा रहा था। साथ ही क्रीम के रैपर पर 'भारत में सबसे अधिक बेची जाने वाली क्रीम' बताया था।
अग्रवाल ने बताया कि एक ही क्रीम को लेकर कंपनी द्वारा अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। लुभावने विज्ञापन देकर क्रीम को कभी विश्व के नंबर वन क्रीम तो कभी भारत की नंबर वन क्रीम बताया जाता है। जो कि क्रीम विक्रय करने के लिए ग्राहक को गुमराह व भ्रमित करने के लिए ऐसा प्रचार किया जा रहा है। अग्रवाल ने कंपनी को लीगल नोटिस भेजकर विज्ञापन की विरोधाभासी स्थिति को स्पष्ट करने का अनुरोध किया जिसका कोई जवाब नहीं दिया गया। आयोग के समक्ष कंपनी के वकीलों ने दस्तावेज प्रस्तुत कर बताया कि मार्च 2018 को समाप्त होने वाली अवधि में एंटीसेप्टिक क्रीम की स्किन क्रीम की श्रेणी में बोरोप्लस संपूर्ण भारत में प्रथम स्थान पर रही है। विश्व की नंबर वन क्रीम होने के दावे पर कंपनी कोई जवाब और साक्ष्य पेश नहीं कर पाई। अग्रवाल का तर्क था कि क्रीम निर्माता कंपनी ने अपने उत्पाद के बारे में समाचार पत्र, वेबसाइट और उत्पाद पैकिंग पर अलग-अलग दावे किए हैं जो कि भ्रामक विज्ञापन की श्रेणी में आता है।
आयोग अध्यक्ष अरुण कुमावत, सदस्य दिनेश चतुर्वेदी व जय श्री शर्मा ने महत्वपूर्ण निर्णय में लिखा कि कंपनी बेस्ट, अमेजिंग जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर सकती है किंतु बिना ग्लोबल प्रमाण के 'विश्व के नंबर वन क्रीम' जैसे दावे करना भ्रामक विज्ञापन का ही स्वरुप है। आयोग ने दस्तावेजी साक्ष्यों, बहस व न्यायिक दृष्टांतों के आधार पर किए विवेचन में पाया कि इमामी कंपनी द्वारा जारी विरोधाभासी विज्ञापन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अन्तर्गत अनुचित व्यापार व्यवहार की श्रेणी में आता है। ऐसा विरोधाभास उपभोक्ता हित के लिए स्वीकार्य नहीं है। आयोग ने मामला सार्वजनिक हित का मानते हुए परिवारी को परिवाद व्यय 5000 रूपए और 25000 रूपए राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष में जमा कराने के आदेश के साथ ही भ्रामक विज्ञापन को सुधारने के लिए सुधारात्मक विज्ञापन जारी करने तथा वैधानिक प्रमाण के बिना विश्व के नंबर वन जैसे दावे दोबारा नहीं करने हेतु भी पाबंद किया है।
बाइट - तरुण अग्रवाल, परिवादी एडवोकेट
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