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दमोह में किसानों ने सड़कों पर धान रोपकर किया अनोखा विरोध!
MDMahendra Dubey
FollowJul 17, 2025 04:34:03
Damoh, Madhya Pradesh
दमोह
एंकर/ देश और दुनिया चांद तक पहुंच गई भारत लगातार तरक्की कर रहा है और विकास के दावे भी लगातार किये जा रहे हैं लेकिन उसी भारत मे कुछ ऐसे भी इलाके हैं जो आज़ादी के बाद से आजतक बदहाली ही झेल रहे हैं और इन इलाकों में लोग परेशान हैं, आलम ये है कि उन्हें सरकार और सिस्टम को जगाने कुछ अलग करना पड़ रहा है। आखिर क्यों और क्या देखिए दमोह से इस खास रिपोर्ट में..
वीओ- ये समय खेतो में धान की रुपाई का है, अन्नदाता खेतो में धान रोप रहा है ताकि देश को खाने के लिए चावल नसीब हो लोगो का पेट भरे और देश आगे बढे लेकिन वही अन्नदाता खेतो की जगह दलदल वाली सड़क पर धान के रोपे लगा रहा है, मतलब बौनी कर रहा है एक दो नही बल्कि गांव के तमाम किसान खेतो को छोड़ सड़क पर धान लगाते दिख रहे हैं और ये रुपाई सरकार और सिस्टम को जगाने के लिए है। ये तश्वीरें है सूबे के पशुपालन मंत्री लखन पटेल के विधानसभा क्षेत्र के तहत आने वाले कुमरवारा गावँ की जहां लोगों ने विरोध का नया तरीका अपनाया और धान की रुपाई खेतो में न करके सड़क पर ही कर दी। वो इसलिए भी की इस गावँ में सड़क और खेत मे कोई फर्क नही है, खेत फिर भी चलने लायक है लेंकिन सड़क जिस तरह से दलदल बनी हुई है उस पर चलना मतलब हादसों को बुलाना है। इस गावँ के लोगो का इस तरह का विरोध लाजिमी है। जिले के बटियागढ़ ब्लाक के तहत आने वाली सेडारा ग्राम पंचायत का कुमरवारा गावँ आज़ादी के बाद से आजतक विकास की राह देख रहा है। मुख्य मार्ग से जोड़ने वाली गांव की चार किलोमीटर की सड़क आज तक नही बनी। बाकी दिनों में तो जैसे तैसे लोग काम चला लेते हैं लेकिन बारिश के चार महीने इन लोगों को किसी सज़ा से कम नही। बच्चे दूसरे गांव स्कूल जाते हैं लेकिन बरसात में उनकी छुट्टी हो जाती है मतलब जब सड़क ही नही तो स्कूल कैसे जाएं। बीमार लोगों और गर्भवती महिलाओं को प्रसव के लिए खाट पर रखकर मेन रोड मतलब चार किलोमीटर लाना पड़ता है। और ऐसे में कई दफा कई दुर्घटनाएं भी हो चुकी है।
बाईट- रेखा लोधी ( छात्रा)
बाईट- गीता बाई ( ग्रामीण)
बाईट- नन्नी बाई ( ग्रामीण)
वीओ- सालों से ये दंश झेल रहे लोग सिस्टम और नेताओं के दावों पर सवाल भी खड़े करते है, ग्रामीणों को विकसित भारत जैसे नारे याद है और ठेठ देहाती आदमी दलील रखते हैं कि ये हालात भारत को विकसित नही कर सकते और उनकी दलील सुनकर आप भी कहेंगे कि बात तो सही है।
बाईट- हरिसिंह ( ग्रामीण)
बाईट- केशर बाई ( ग्रामीण)
बाईट- महराज सिंह ( ग्रामीण)
वीओ- इन हालातों से जब सिस्टम को अवगत कराया गया मतलब जिम्मेदार अधिकारियों को बताया गया तो दृश्य देखकर वो भी आश्चर्य में आ गए, अच्छी बात ये है कि लोगो की तकलीफ का एहसास अधिकारी साहब को हुआ और उन्होंने चिंता भी जाहिर की और अब अफसर की दलील है कि फौरी तौर पर सड़क का सुधार कराया जाएगा और जल्दी ही किसी योजना में इसे शामिल करके इसका पक्का निर्माण भी होगा।
बाईट- अश्विनी कुमार सिंह ( सीईओ जनपद पंचायत बटियागढ़ दमोह)
वीओ- बहरहाल ये दृश्य कहीं न कहीं सिस्टम औऱ सरकार को कटघरे में जरूर खड़ा कर रहे हैं, सवाल है? कि ग्रामीण विकास के दावे कितने सही है? क्या देश मे आज़ादी के बाद से अब तक हम सड़क भी नही बना पाए? क्या लोगों की दिक्कतों से नेताओ को कोई सरोकार नही है? और क्या अब भी यहां के लोगो को खेतों की जगह सड़क पर धान लगानी पड़ेगी?
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