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हरियाणा बाढ़ में किसानों की बर्बादी: नायब सैनी का निकम्मा जवाब
AKAshok Kumar1
Sept 12, 2025 15:18:09
Noida, Uttar Pradesh
रणदीप सिंह सुरजेवाला, सांसद व महासचिव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बयानः-हरियाणा में बाढ़ से बर्बादी बाढ़ प्रबंधन के नाम पर 'भयंकर कुप्रबंधन' !
11 शहर, 72 कस्बे बाढ़ग्रस्त 22 लाख एकड़ फसल तबाह 6,017 गाँव जलमग्न सरकार गुमशुदा !
न जलनिकासी का प्रबंध, न मुआवजे की घोषणा, न तटबंध कटाव पर रोकथाम सिर्फ 'नायब' बातें व चुटकुले !
चौतरफा बाढ़ से ग्रस्त हरियाणा अब "भाजपाई डबल इंजन" के धोखे और नाकारापन के भंवर में फँसा है तथा सरकारी बेपरवाही और बाढ़ की तबाही झेलने को मजबूर है।
हरियाणा के 7,353 गाँव में से 6,017 गाँव बाढ़ग्रस्त हैं। 41 से अधिक लोग जान गँवा चुके हैं।
किसान की 22,00,000 एकड़ से ज्यादा फसल बाढ़ के पानी से डूबकर बर्बाद हो गई है। कपास हो, धान हो, गन्ना या सब्जियाँ, बेतहाशा नुकसान हुआ है।
यमुना, घग्गर, मार्कंडा, टांगरी, रूण, वेगना, सोम-पथराला नदियों के उफान से अनेकों जगह तटबंध टूट गए हैं।
सारे ट्यूबवैल व मोटरें खत्म हो गए हैं। सभी पीने के पानी के वॉटरवर्क्स बाढ़ के पानी से दूषित हो गए हैं। सैकड़ों की संख्या में मवेशी बह गए हैं। गाँव की अंदरूनी व लिंक सड़कें सब बाढ़ग्रस्त हैं।
नरवाना और धरौदी के बीच खेतों में दोनों तरफ जलभराव है और इसमें से काफी इलाका सेमग्रस्त है। नरवाना क्षेत्र के गांव दनौदा, भिखेवाला, फरैण, दबलैन, ईस्माइलपुर समेत दर्जनों गांव की गालियां और खेत जलभराव से ग्रस्त हैं। हमारे दबाव में मुख्यमंत्री, श्रीमान नायब सैनी, नरवाना से टोहाना वाया धमतान तो जरूर गए, लेकिन नरवाना क्षेत्र में गाड़ी से उतरकर बाढ़ग्रस्त किसी खेत या गांव की गली में जाकर किसान या गरीब आमजन की पीड़ा को नहीं समझा। भाजपा के नेताओं और मुख्यमंत्री ने क्षेत्र के किसान, मजदूर गरीब की कोई सुध नहीं ली।
नायब सैनी सरकार गुमशुदा, भाजपाई निकम्मापन व नाकारापन बना बाढ़ का सबब
एक तरफ पूरा हरियाणा बाढ़ से ग्रस्त है, तो दूसरी ओर प्रदेश के हवा-हवाई मुख्यमंत्री, श्रीमान नायब सैनी वीडियो शूट और जुबानी जमाखर्च में व्यस्त हैं।
प्रदेश में बारिश से पहले कहीं भी न तो ड्रेनों की सफाई की गई, और न ही बाढ़ की रोकथाम के कोई और कदम उठाए गए। मुख्यमंत्री सहित सारी सरकार केवल चुटकुले सुनाने में व्यस्त रही। इसका परिणाम आज हरियाणावासी भुगत रहे हैं।
भाजपा सरकार द्वारा न तो राज्य फ्लड कंट्रोल बोर्ड की बैठक बुला बारिश के सीज़न से पहले बाढ़ प्रबंधन व रोकथाम का प्रोटोकॉल तैयार किया गया, न ही निर्देश दिए गए, न ही बजट आवंटन किया गया। मुख्यमंत्री द्वारा न ही बाढ़ प्रबंधन व रोकथाम के लिए जिला कलेक्टर्स की बैठक बुलाई, न ही हिदायत दी, न ही जिला स्तर पर ड्रेन और नदियों के तटों को मजबूत करने का कोई पुख्ता इंतजाम किया गया, न ही कटाव को रोकने के लिए मिट्टी से भरे कट्टों व मशीनरी का इंतजाम किया गया, न ही छोटे और बड़े पंपिंग सेट्स व ऑपरेटर्स का इंतजाम किया गया, तथा न ही और जरूरी कदम उठाए गए। बाढ़ से हाल बेहाल, असल में सरकारी निकम्मेपन व आपराधिक लापरवाही का नतीजा है।
जान-माल के नुकसान के बावजूद नहीं जाग रही नायब सैनी सरकार, मुआवजे के नाम पर लोगों का मजाक उड़ा रही
आज तक भी बाढ़ राहत व बचाव कार्यों के लिए भाजपा सरकार ने NDRF, पैरा मिलिट्री, सेना या किसी अन्य केंद्रीय एजेंसी से मदद लेने की कोई पहल नहीं की। दूसरी ओर, मोदी सरकार भी ऐसे सोई पड़ी है, जैसे हरियाणा में कुछ हुआ ही न हो।
प्रधानमंत्री मोदी को तो हरियाणा देश के नक्शे पर नज़र ही नहीं आता। 09 सितंबर को प्रधानमंत्री हवाई जहाज से पंजाब व हिमाचल आए, परंतु हरियाणा आने की तकलीफ भी नहीं की और न ही एक फूटी कौड़ी राष्ट्रीय आपदा कोष से हरियाणा को दी। हरियाणा की इससे बड़ी अनदेखी और क्या हो सकती है?
लाखों किसानों ने 22,00,000 एकड़ से अधिक फसल की बर्बादी का ब्यौरा सरकारी पोर्टल पर दर्ज करवा दिया। सब जानते हैं कि हरियाणा में खेती की एक एकड़ जमीन का पट्टा भी सालाना ₹70,000 है। परंतु श्रीमान नायब सैनी से ₹7,000 प्रति एकड़ मुआवजे की घोषणा कर किसानों का क्रूर मजाक उड़ाया है। गरीब भूमिहीन एससी और बीसी समाज के मजदूरों को तो एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी। नष्ट हुए मकानों का मुआवजा ₹100,000 तक है, जबकि नुकसान तीसियों लाख में है। बाढ़ में मरे हुए एक गाय या भैंस की कीमत 1.5 से 2 लाख रुपये है, पर मुआवज़ा केवल ₹30,000 है। इससे बड़ा मजाक क्या होगा कि बाढ़ में मरने वाले व्यक्तियों के जीवन की कीमत केवल ₹4,00,000 रुपये है यह भाजपा सरकार कह रही है।
समय आ गया है कि मुख्यमंत्री, श्रीमान नायब सैनी हरियाणा के लोगों से बाढ़ कुप्रबंधन के लिए माफी मांगें, मुआवजे के नाम पर हरियाणा के लोगों का मजाक उड़ाना बंद करें और ₹50,000 प्रति एकड़ फसल खराबे का मुआवज़ा, ₹40,00,000 बाढ़ से जान जाने का मुआवज़ा, हर एससी व बीसी परिवार को रोजगार खोने का मुआवज़ा, ₹100,000 ट्यूबवेल के नुकसान का मुआवज़ा, ₹1,50,000 मवेशी खोने का मुआवज़ा तथा 15 दिन में पानी निकासी का फौरन प्रबंध करवाएं।
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