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पहली बार: देवताल समेत तीन तालों की रहस्यमय कहानी चैनल ने उजागर की
PCPUSHKAR CHAUDHARY
Sept 27, 2025 07:31:51
Jokhanalagga Bura, Uttarakhand
*पैकेज स्टोरी*
पहली बार ये स्टोरी किसी चैनल के द्वारा की गई है ।
नोट - देव ताल में - चैनल आईडी का प्रयोग नहीं किया जाता है क्यों उसके ठीक सामने ही चीन सीमा है ।
बाकी से मानव ताल और राक्षस ताल में चैनल आईडी का प्रयोग किया गया है।
फ़ीड - 2 सी से दिनांक - 27/9/2025
रिपोर्ट - पुष्कर चौधरी- चमोली/ उत्तराखंड
एंकर - चमोली , उत्तराखंड के चमोली में कई प्राकृतिक और रहस्यमयी ताल ( झील ) आज भी मौजूद हैं जिनको लेकर आज भी कई तरह के रहस्य चुपे हैं ।
हम बात कर रहे हैं - 18 हजार फ़ीट की ऊंचाई पर माना दर्रे (माना पास )के ऊपर स्थित एक पवित्र झील है देवताल और ठीक उसी के नीचे मानव ताल और उसके नीचे राक्षस ताल की जो कि तीनों ताल (झीलें) हैं । जिनकी आपस में एक दूसरे से दूरी सौ से लेकर दो सौ मीटर है ।
आपको अगर माना दर्रे (माना पास ) जाना है तो सबसे पहले आपको चमोली प्रशासन से इनर लाइन का परमिट लेना पड़ेगा । उसके बाद आपको बद्रीनाथ पहुंचना होगा वहाँ रात्री विश्राम करने के बाद अगले दिन आपको सुबह 7 बजे निकलना होगा माना पास- देवताल के लिए शुरुवात भारत के प्रथम गांव माना के पास पर पहला चेक पोस्ट आर्मी का पढ़ता है जहाँ पे आपकी पूरी चैकिंग होती है ।
उसके बाद भी तीन चैकिंग और होती हैं जो कि अलग अलग आर्मी के द्वारा होती है ।
और खास बात यह है कि देवताल जाने के लिए काफी गर्म कपड़े आपके पास होने चाहिए क्यूंकि वहाँ पर जो तापमान होता है वो -10 से लेकर-20 डिग्री तक होता है ।
और जिस गाड़ी से आप यात्रा करते हैं वो भी पावरफुल होनी चाहिए क्यूंकि 18 हजार फिट पर यह सड़क मार्ग बना है जहाँ केवल चड़ाई ही है और आसपास हिमालय और साथ ही ऑक्सिजन की कमी भी यहाँ महसूस होती है और काफी खतरनाक ये सपर होता है । और बद्रीनाथ से करीबन 60 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है देवताल जहाँ पहुँचने के लिए कठिन भरा सफ़र होता है और रास्ते में कई बार गाड़ी ख़ुद रुक जाती है क्यूंकि गाड़ी का तापमान अधिक बढ़ जाता है फिर गाड़ी को रोकना पड़ता है और फिर इंजन को ठंडा करना पड़ता है फ़िर आगे का सफ़र तय करना पड़ता है और ये कई बार करना पड़ता है ।
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए 12 बजे तक देवताल पहुंचना पड़ता है ।
ताकि समय पर आप अपनी यात्रा व धार्मिक पूजा पाठ कर सकें क्यूंकि 2 बजे से पहले आर्मी के जवान आपको देवताल छोड़ने को कहते हैं क्यूंकि बताया जाता है कि उसके बाद उस एरिया में चाईना की सेना भी वहाँ पर रेखी करती है ।
लेकिन जब आप माना दर्रे (माना पास ) जाते हैं तो सबसे पहले आपको राक्षस ताल के दर्शन होते हैं और उसके बाद मानव ताल के दर्शन होते हैं और सबसे ऊपर देव ताल के दर्शन होते हैं और ये तीनों आस पास ही हैं जिनकी ऊंचाई 18 फ़ीट है और देवताल एशिया की सबसे ऊँची झील भी है ।
बताया जाता है कि देव ताल के दर्शन करने मात्र से मनुष्य के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं ।
और यहाँ पर अपने पूर्वजों का तर्पण करना भी बेहद शुभ माना जाता है । इसलिए लोग यहाँ अपने पित्रों का तर्पण करने आते हैं ।
देव ताल की यात्रा 1962 में भारत चीन के युद्ध के बाद से बंद हो गई थी लेकिन केंद्र सरकार ने फिर दुबारा 2022 में इसे फिर से खोल दिया है ।
बी ओ- 1 पहला - राक्षस ताल-
राक्षस ताल की कहानी रामायण के राक्षस राजा रावण से जुड़ी है, जिसके अनुसार रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने और अलौकिक शक्तियां प्राप्त करने के लिए राक्षस ताल में तपस्या की और अपने दस सिरों की बलि दी। इस झील को नकारात्मक ऊर्जा से भरा हुआ और विषैला माना जाता है, जिस कारण इसमें स्नान करना वर्जित है। इसके विपरीत, बौद्ध धर्म में इसे संतुलन और विपरीतताओं के सह-अस्तित्व का प्रतीक माना जाता है।
रावण से जुड़ाव तपस्या और सिरों का बलिदान: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, रावण ने कैलाश पर्वत के पास स्थित इस झील में बैठकर भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। तपस्या के दौरान उसने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने दस सिरों में से एक-एक करके दसों सिरों की बलि देने का प्रयास किया था। शिवजी उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसे वरदान दिया।
नकारात्मक ऊर्जा और विषैला पानी
नकारात्मक प्रभाव: माना जाता है कि रावण के स्नान के बाद इस झील में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ गया था, इसलिए इसे 'राक्षसों की झील' या 'श्रापित झील' भी कहते हैं।
पीटीसी 1 - पुष्कर चौधरी
बी ओ 2 - दूसरा - मानव ताल- मानव ताल भी पवित्र तालों में से एक है इस दर्शन करना भी कलयुग में बहुत शुभ माना गया है ।माना जाता है कि- मानव ताल के क्षेत्र में अर्जुन ने अज्ञातवास में तपस्या की थी और इस दिव्य ताल को मानवों को समर्पित किया था ।
पीटीसी 2 - पुष्कर चौधरी
बी ओ 3 - तीसरा- देवताल -हिंदू पौराणिक कथाओं से जुड़ी है, जिसमें इसे देवताओं का निवास और सरस्वती नदी का उद्गम स्थल माना जाता है, जहाँ पांडवों ने भी अपनी प्यास बुझाने के लिए इसे खोजा था। यह एशिया की सबसे ऊंची झीलों में से एक है और धार्मिक महत्व के कारण तीर्थयात्रियों के लिए एक पवित्र और आध्यात्मिक स्थान है।
देवताओं का स्थान हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, देवता इस झील में स्नान करते थे, और इसी कारण इसका नाम देवताल पड़ा।
इस झील को सरस्वती नदी का उद्गम स्थल भी माना जाता है, जो ऋग्वेद में वर्णित प्रमुख नदियों में से एक है।
यह भी माना जाता है कि महाभारत में यक्ष ने पांडवों से प्रश्न पूछे थे, वह स्थान भी यही झील थी।
एक मान्यता के अनुसार, भीम ने अपनी प्यास बुझाने के लिए इस झील का निर्माण किया था, जबकि युधिष्ठिर ने उन्हें ऐसा करने का सुझाव दिया था।
कुछ मान्यताओं के अनुसार, भगवान कृष्ण ने देव ताल से होकर ही कैलाश मानसरोवर की यात्रा की थी।
देवताल उत्तराखंड में भारत-तिब्बत सीमा पर स्थित है और समुद्र तल से लगभग 18,000 फीट की ऊंचाई पर है, जो इसे एशिया की सबसे ऊंची झीलों में से एक बनाती है।
भारत-चीन सीमा के पास होने के कारण, इस क्षेत्र में जाने के लिए प्रशासनिक अनुमति की आवश्यकता होती है।
तीर्थयात्री और भक्तजन यहाँ प्रार्थना करने, अनुष्ठान व अपने पित्रों का तर्पण करने और आशीर्वाद लेने के लिए आते हैं।
पीटीसी 3 - पुष्कर चौधरी
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