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महुआ के पेड़ से डोरी फल: ग्रामीणों के लिए अद्भुत लाभ!
Latehar, Jharkhand
एंकर :- लातेहार महुआ का सीजन भले ही ऑफ हो गया हो, लेकिन महुआ का पेड़ सालों भर ग्रामीणों के लिए उपयोगी साबित होता है । महुआ के बाद अब महुआ के पेड़ में बड़े पैमाने पर डोरी फल लग रहे हैं महुआ पेड़ का फल डोरी अपने बहुउपयोगी गुण के कारण ग्रामीणों के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है । ग्रामीणों के अनुसार डोरी के तेल से जहां खाद्य पदार्थ और पकवान बनाए जाते हैं, वहीं कई बीमारियों में भी डोरी का तेल कारगर साबित होता है । इतना ही नहीं ग्रामीणों का दावा है कि डोरी के फल के अवशिष्ट अर्थात खली को जलाने से सांप, बिच्छू, कीड़े-मकोड़े और मच्छर भी घर से दूर भाग जाते हैं हालाकि इस दावे का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है । लातेहार जिले में बड़े पैमाने पर महुआ के पेड़ पाए जाते हैं मई महीने के अंत में जब महुआ का सीजन पूरी तरह ऑफ हो जाता है तो उसके बाद पेड़ पर महुआ का फल डोरी लगने लगता है । जून माह के अंत तक डोरी तैयार हो जाता है डोरी तैयार होने के बाद ग्रामीण पेड़ से उसे तोड़ते हैं और उसका बीज निकाल कर उसे सुखा देते हैं । बाद में डोरी के बीज से तेल निकाला जाता है तेल निकालने के पश्चात बीज के जो अवशिष्ट बचते हैं उसे खली के रूप में ग्रामीण घर में रख लेते हैं । डोरी के तेल से जहां खाद्य पदार्थ और पकवान बनाए जाते हैं वहीं हल्का बुखार अथवा बदन दर्द में इस तेल की मालिश रामबाण साबित होता है । ग्रामीणों का कहना है कि इसका तेल शरीर पर लगाने के बाद बुखार में काफी राहत मिलती है । इसी कारण गांव के अधिकांश लोग अपने घर में डोरी का तेल कम से कम दवा के रूप में जरूर रखते हैं ।
बाइट :- सबिता देवी ग्रामीण
बाइट :- सुशीला देवी ग्रामीण
बाइट :- रमेश उरांव ग्रामीण
बाइट :- सुगिया देवी ग्रामीण
संजीव कुमार गिरी लातेहार
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