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बेगूसराय विधानसभा चुनाव: विकास के वादे कैसे हवा हो गए?
JCJitendra Chaudhary
Sept 13, 2025 09:48:03
Begusarai, Bihar
जितेन्द्र कुमार बेगूसराय
एंकर बिहार में विधानसभा चुनाव इसी साल होने वाला है इस विधानसभा चुनाव को लेकर एक तरफ जहां लोगों में चुनावी चर्चा आम हो गई है। वही इस विधानसभा चुनाव को लेकर लोग अपने-अपने तरीके से प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इसी करी में चुनावी चुस्की में हमारे संवाददाता जितेंद्र कुमार ने बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र के हड़ताली चौक पर चुनावी चुस्की के तहत लोगों से बातचीत किया। इस दौरान लोगों ने बताया है कि पिछले 5 वर्षों में बेगूसराय विधानसभा में जो विकास होना चाहिए वह विकास नहीं हुआ है जिसके कारण से इस बार का मुद्दा विकास का मुद्दा रहेगा। लोगों ने बताया है कि बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में भाजपा विधायक कुंदन कुमार सिंह आम जनता को ठगने का काम किया है। चुनाव के समय आये और चुनावी वादे करके निकल गये। उनके द्वारा जो वादा किया गया वह उस पर खड़े नहीं उतरे है। इसलिए इस बार परिवर्तन होना जरूरी है। वहीं कुछ लोगों ने बताया है कि बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में एनडीए की सरकार रहने के कारण विकास हुआ है। लोगों ने बताया कि सबसे बड़ी समस्या यहां पर जाम की समस्या है और जल जमाव की स्थिति काफी दयनीय है । थोड़ी सी भी बारिश होने के कारण पूरा शहर पानी पानी हो जाता है जिससे आम जनता काफी प्रभावित होते हैं। कुल मिलाकर मैं आपको बता दूं कि बेगूसराय विधानसभा के जनता ने अपने-अपने तरीके से प्रतिक्रिया दिया है। आपको बताते चले कि बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होता है। साल 2020 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के कुंदन कुमार ने बेगूसराय सीट पर जीत दर्ज की थी, जो उनकी पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि थी। हालांकि, पिछले कुछ चुनावों के नतीजे बताते हैं कि यह सीट कांग्रेस के लिए भी मजबूत रही है। जहां से अमिता भूषण ने जीत हासिल की थी. जो यह दिखाता है कि इस सीट पर मुकाबला कड़ा और दिलचस्प रहा है। बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या 3,36,598 है, जो इस क्षेत्र को सियासी तौर से काफी महत्वपूर्ण बनाता है. इस सीट पर जातीय समीकरण काफी अहम माना जाता है।जातीय समीकरण को समझिए। बेगूसराय विधानसभा का जातीय समीकरण काफी अहम किरदार अदा करता है, जो चुनाव नतीजों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाता है. यहां अनुसूचित जाति के मतदाता 15.67 फीसदी हैं, जबकि मुस्लिम मतदाता 13.9 फीसदी हैं. अनुसूचित जनजाति की संख्या 0.03 फीसदी है. भूमिहार मतदाता 11.4 फीसदी, पासवान 8.2 फीसदी, महत्व 7.5 फीसदी, सैनी 3 फीसदी, यादव 2.2 फीसदी, ब्राह्मण 1.9 फीसदी, बनिया 1.2 फीसदी, तांती 0.7 फीसदी और कायस्थ 0.6 फीसदी के करीब हैं. इन विभिन्न जातीय समूहों के वोटों का संतुलन प्रत्याशियों की जीत-हार तय करता है।
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