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आपातकाल के 50 साल: कांग्रेस का लोकतंत्र पर कुठाराघात!
Sakti, Chhattisgarh
आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर भाजपा ने उस दौर के विभीषिका की दिलाई याद,,, प्रेस वार्ता कर आपातकाल के दौर को कांग्रेश के मनमानी का कार्यकाल बताया,,,कांग्रेस के लोकतंत्र पर कुठाराघात के 50 वर्ष,,
एंकर ,,,,पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष राजा पांडे का सक्ती जिले में आगमन हुआ जहां उन्होंने अपने दौरे में आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर उस समय कठिन दिनों के बारे में बताया। उनका आरोप था कि कांग्रेस हमेशा बीजेपी पर आरोप लगाती है कि संविधान को बदल दिया जाएगा एसटी एससी का आरक्षण खत्म कर दिया जाएगा लेकिन आपातकाल के माध्यम से कांग्रेस ने उस दौर में कई बार संविधान के साथ खिलवाड़ किया है। आपातकाल एक कठिन दौर था जिसमें समाज के सभी वर्गों को दबाया गया एवं बोलने की आजादी का अधिकार छीन लिया गया,,राजा पांडे ने कहा कि उसे दौर में पत्रकार, एवं पत्रकारिता संस्थाओं को भी उनके अधिकार छीन ले गए थे। कृषि तरह सरकार के खिलाफ जाने उनको बंदिशों का सामना करना पड़ता था। कीसी तरह से कांग्रेस के खिलाफत करने पर उनको प्रतिबंधित कर जेल में डाला जाता था,, आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला घोटते हुए सभी वर्ग के लोगों पर बंदिशें से लगाई थी, चाहे वे पत्रकार, वकील, राजनीतिक पार्टियों हों सभी पर आपातकाल का असर दिखा। लोगों के द्वारा कांग्रेस का विरोध करने पर बेवजह जेल में डाला जाता था।
राजा पाण्डेय ने अपने उद्बोधन मे कहा की 25 जून 1975 की आधी रात को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ''''आंतरिक अशांति'''' का बहाना बनाकर भारत पर आपातकाल थोप दिया। यह निर्णय किसी युद्ध या विद्रोह के कारण नहीं, बल्कि अपने चुनाव को रद्द किए जाने और सत्ता बचाने की हताशा में लिया गया था। कांग्रेस पार्टी ने इस काले अध्याय में न केवल लोकतांत्रिक संस्थाओं को रौंदा, बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता, न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचलकर यह स्पष्ट कर दिया कि जब-जब उनकी सत्ता संकट में होती है, वे संविधान और देश की आत्मा को ताक पर रखने से पीछे नहीं हटते। आज 50 वर्ष बाद भी कांग्रेस उसी मानसिकता के साथ चल रही है, आज भी सिर्फ तरीकों का बदलाव हुआ है, नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है।
इसके साथ ही बिहार में कांग्रेस सरकार के खिलाफ असंतोष बढ़ने लगा और 1975 में हुए गुजरात विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा। 12 जून 1975 को कोर्ट ने इंदिरा गांधी को चुनाव में दोषी ठहराया और उन्हें 6 वर्षों तक किसी भी निर्वाचित पद पर रहने से अयोग्य करार दिया। इसके बाद राजनीतिक अस्थिरता तेजी से बढ़ी, जिससे घबराकर इंदिरा गांधी ने 25 जून 1975 को ''''आंतरिक अशांति'''' का हवाला देकर राष्ट्रपति से आपातकाल लगा दिया।
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