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एसएसआईआर दबाव से बीएलओ की मौत: शहडोल में शिक्षक की मौत पर सवाल
PCPUSHPENDRA CHATURVEDI
Nov 26, 2025 06:38:52
Shahdol, Madhya Pradesh
एंकर – शहडोल ज़िले में एसएसआईआर के बढ़ते दबाव के बीच एक दर्दनाक घटना सामने आई है। सोहागपुर तहसील में पदस्थ बीएलओ और प्राथमिक शिक्षक मनोहर नापित की सोमवार शाम हार्ट अटैक से मौत हो गई। परिवार का गंभीर आरोप है कि मतदाता सूची पुनरीक्षण के काम और अधिकारियों के लगातार फोन ने उन्हें मानसिक रूप से तोड़ दिया था। हालांकि कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने इन आरोपों से इंकार किया है और कहा है कि मौत ड्यूटी के दौरान नहीं हुई।
वीओ-01-शहडोल जिले की सोहडपुर ब्लॉक की प्राथमिक शाला पतेरिया टोला में 54 वर्षीय शिक्षक मनोहर नापित पदस्थ थे और एसएसआईआर अभियान में बीएलओ का काम देख रहे थे। सोमवार को वे मतदाता सूची के डिजिटাইজेशन में व्यस्त थे। बेटे आदित्य के अनुसार, पूरे दिन काम और लगातार कॉल्स के चलते वे तनाव में थे। शाम को फोन पर बात करते समय अचानक गिर पड़े और बेहोश हो गए।
वीओ-02-परिजन उन्हें तुरंत अस्पताल ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। परिवार का कहना है कि वे पहले से ही शुगर और बीपी के मरीज थे, ऊपर से एसएसआईआर का दबाव इतना ज्यादा था कि वे मानसिक दबाव सह नहीं पाए। बेटे ने आरोप लगाया कि कई दिनों से अधिकारियों के फोन और काम के बोझ ने उन्हें परेशान कर रखा था।
वीओ-03-आदित्य ने बताया– “पिता जी रो-रोकर कहते थे कि एसएसआईआर ने जान ले ली… इतना काम था कि खाने-पाने तक का समय नहीं मिल रहा था।” सोमवार को वे दोपहर तक ऑफिस में थे, फिर शाम को पतेरिया टोला भेजे गए थे डिजिटाइजेशन के लिए।
वीओ-04-बीएलओ मनोहर नापित बूथ क्रमांक 212 के प्रभारी थे। सोमवार तक 676 मतदाताओं में से 453 का डिजिटाइजेशन पूरा कर चुके थे, यानी 67.01% काम हो चुका था। शिक्षक समुदाय में इस घटना को लेकर शोक के साथ आक्रोश भी है। परिवार का कहना है कि काम का दबाव ही मौत का कारण बना।
कलेक्टर का पक्ष
वीओ-05-कलेक्टर डॉ. केदार सिंह ने परिवार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मनोहर नापित की मौत ड्यूटी के दौरान नहीं हुई।
कलेक्टर ने बताया
वह बिना बताए घर चले गए थे,
घर पहुंचने के लगभग एक घंटे बाद पानी पीने के बाद तबीयत बिगड़ी,
और वहीं उनकी मृत्यु हो गई।
कलेक्टर के अनुसार—
उनका काम पहले ही 60–70% पूरा हो चुका था,
घर और विद्यालय में कोई दूरी नहीं थी,
इस तरह का कोई अत्यधिक दबाव नहीं था जो मानसिक संतुलन बिगाड़े।
फोन कॉल के आरोप पर कलेक्टर ने कहा कि—
“परिजन यह तो कह रहे हैं कि बहुत फोन आते थे, लेकिन यह नहीं बता रहे कि किसका फोन था और क्यों आ रहा था।”
उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी कर्मचारियों को देय आर्थिक सहायता दी जाएगी और अतिरिक्त मदद के प्रयास भी होंगे।
अब बड़ा सवाल यह है कि
क्या एसएसआईआर जैसे अभियानों में बढ़ते कार्यभार की समीक्षा की जरूरत है?
और
क्या सिस्टम की निगरानी में कोई कमी है जो कर्मचारियों को मानसिक तनाव की स्थिति में ला रही है?
बाइट 01 – आदित्य नापित (मृतक का बेटा)
बाइट 02 – डॉ. केदार सिंह, कलेक्टर शहडोल
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