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खंडवा में सांप के काटने से गई महिला की जान

Jun 22, 2024 08:43:36
Khandwa, Madhya Pradesh

खंडवा में एक महिला को सांप ने काटा, जिसकी बाद में खंडवा जिला अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी जान चली गई। सूचना के अनुसार मृतका के परिजनों ने खालवा अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। वहीं उनका कहना है कि महिला को भर्ती करने के कई घंटे बाद तक एंटी वेनम नहीं दिया गया। हंगामे के बाद उसे खंडवा रेफर किया गया, जहां उसकी जान चली गई। जिसके चलते इस मामले की जांच पुलिस द्वारा करने की मांग की जा रही है।

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KCKashiram Choudhary
Nov 14, 2025 07:38:53
Jaipur, Rajasthan:जयपुर। राजस्थान में अब हाईवेज पर चलने वाले वाहनाें के लिए जरूरी नहीं है कि आपका चालान तभी कटे, जब कोई परिवहन विभाग का इंस्पेक्टर या ट्रैफिक पुलिसकर्मी रोककर जांच करे। दरअसल अब हाईवेज पर वाहनों के चालान केवल टोल डेटा के आधार पर भी किए जा रहे हैं। हालांकि यह चालान उन्हीं वाहनों के किए जा रहे हैं, जिनके दस्तावेज पूरे नहीं हैं। दरअसल राजस्थान में इन दिनों हाईवे पर भारी वाहनों और यात्री वाहनों के रोजाना 4 से 5 हजार चालान किए जा रहे हैं। ये चालान टोल डेटा के आधार पर किए जा रहे हैं। जितने भी वाहन टोल से गुजरते हैं। उनका रिकॉर्ड परिवहन विभाग को मिलता है। एनआईसी इसी रिकॉर्ड के आधार पर बगैर पूर्ण दस्तावेज वाले वाहनों का चालान कर रहा है। यह चालान वाहन सॉफ्टवेयर के साथ इंटिग्रेशन कर किए जा रहे हैं। दरअसल परिवहन विभाग ने इस योजना ई-डिटेक्शन सिस्टम की शुरुआत इसी साल 28 जुलाई से की है। इस योजना को अब तक करीब साढ़े 3 माह पूरे हो चुके हैं। बड़ी बात यह है कि अब तक 6 लाख 17 हजार से ज्यादा वाहनों के चालान किए जा चुके हैं। बस, ट्रक, पिक अप, टैक्सी आदि वाहनों के चालान दस्तावेज पूरे नहीं होने के आधार पर किए जा रहे हैं। चालान परिवहन वाहनों यानी यात्री वाहनों और भार वाहनों के किए जा रहे हैं। इन वाहनों का पंजीयन नवीनीकरण नहीं होने, परमिट नहीं होने, बीमा नहीं करवाने, टैक्स जमा नहीं करवाने, वाहन प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र यानी प्रदूषण जांच नहीं करवाने और वाहन की फिटनेस नहीं कराने के आधार पर किए जा रहे हैं। टोल डेटा से रोज 5 हजार वाहनों के चालान! - परिवहन विभाग ने 28 जुलाई से की ई-डिटेक्शन सिस्टम की शुरुआत - अब तक कुल 617280 चालान किए गए जारी - इनमें से 13819 चालान किए गए डिस्पोज - यानी ऑनलाइन पोर्टल पर वाहन मालिकों ने कम्पाउंड करवाए चालान - चालान कम्पाउंड से परिवहन विभाग को मिली 5.53 करोड़ राशि - हालांकि अब तक कुल 365 करोड़ राशि के चालान किए गए जारी - इस तरह महज 1.5 फीसदी वाहन मालिकों ने ही जुर्माना जमा किया - राज्य में NHAI के करीब 60 टोल के आधार पर किए जा रहे हैं चालान अब निजी वाहनाें पर लागू हो सकता सिस्टम! परिवहन विभाग अभी तक केवल ट्रांसपोर्ट वाहनों के ही चालान कर रहा है। लेकिन विभाग आगामी समय में इसे निजी वाहनों के लिए भी लागू कर सकता है। इनमें प्राइवेट कारें शामिल की जा सकती है। सूत्रों की मानें तो विभाग निजी कारों के बीमा नहीं होने और पीयूसीसी नहीं करवाने वाले वाहनों के चालान करने शुरू कर सकता है। वहीं दूसरी तरफ परिवहन विभाग के सॉफ्टवेयर से किए जा रहे इन चालानों में अभी भी खामियों की भरमार देखने को मिल रही है। ऐसी शिकायतों का विभाग ऑनलाइन पोर्टल पर प्राप्त ग्रीवांसेज के आधार पर समाधान कर रहा है। चालान गलत महसूस हो तो ऐसे करवाएं ठीक - https://echallan.parivahan.gov.in/gsticket वेबसाइट पर कर सकते शिकायत - पोर्टल पर “कंप्लेंट” ऑप्शन से अपनी शिकायत दर्ज करा सकते - इसमें शिकायतकर्ता का नाम, मोबाइल नंबर, चालान नंबर डालने होंगे - उपरोक्त विकल्प में दस्तावेज अपलोड करने का भी है प्रावधान - शिकायतकर्ता को कंप्लेंट संख्या मिलेगी, जिससे बाद में स्टेटस जान सकते - ईमेल transport.edetection@rasthan.gov.in पर भी कर सकते शिकायत - शिकायत प्राप्त होते ही विभाग जांच कर समाधान कर रहा
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KCKashiram Choudhary
Nov 14, 2025 07:38:25
Jaipur, Rajasthan:काशीराम चौधरी (हटाई गई) राजस्थान में हाईवे पर टोल डेटा से चालान अब कटते हैं। टोल रिकॉर्ड से 6.17 लाख चालान हुए, ई-डिटेक्शन सिस्टम अब ट्रांसपोर्ट व एकीकृत वाहनों पर कार्रवाई कर रहा है। बिना पूरे दस्तावेज के हाईवे पर चालान संभव है, और चालान राशि साढ़े 5 करोड़ रुपए जमा हो चुके हैं। हाईवे पर जा रहे वाहन अगर दस्तावेज संभाल कर न रखें तो चालान हो सकता है। विभाग अब निजी वाहनों को भी दायरे में ला सकता है और रोज औसतन 4 से 5 हजार चालान हो रहे हैं। अब हाईवे पर केवल ट्रांसपोर्ट वाहनों के बजाय निजी कारों के चालान पर भी विचार संभव है, यदि बीमा, पीयूसी, टैक्स आदि पूरे न हों। चालान न बनने या गलत होने पर शिकायत ऑनलाइन पोर्टल से दर्ज कराई जा सकती है; शिकायत मिलते ही विभाग जांच कर रहा है।
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ADAbhijeet Dave
Nov 14, 2025 07:38:10
Ajmer, Rajasthan:राज्यपाल हरि किशन राव बागड़े आज अजमेर पहुंचे, जहां उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के निवास पर पहुंचकर शोक संवेदनों व्यक्त कीं। देवनानी की पत्नी स्वर्गीय इंदिरा देवनानी के निधन पर राज्यपाल ने गहरा दु:ख प्रकट किया और उनकी तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी। राज्यपाल बागड़े ने शोक संतप्त परिजनों से मुलाकात की और इस कठिन समय में ढांढस बंधाया। उन्होंने ईश्वर से दिवंगत आत्मा की शांति तथा देवनानी परिवार को इस अपूर्णनीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना की। राज्यपाल के आगमन पर स्थानीय प्रशासन और कई जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे। पूरा माहौल श्रद्धा और संवेदनाओं से भरा रहा। राज्यपाल ने कहा कि स्व. इंदिरा देवनानी सरल, सौम्य और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहने वाली व्यक्तित्व थीं, जिनकी कमी लंबे समय तक महसूस की जाएगी।
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AKAtul Kumar Yadav
Nov 14, 2025 07:37:11
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SKSATISH KUMAR
Nov 14, 2025 07:36:58
Jaspur, Uttarakhand:पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का सरकार पर हमला बोले, यूसीसी से आधार की बाध्यता हटाना उत्तराखंड विरोधी कदम, सरकार और चुनाव आयोग पर भी साधा निशाना शहर रामनगर हरीश रावत ने राज्य में लागू यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) से आधार की अनिवार्यता खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले को उत्तराखंड विरोधी कदम बताया है, उन्होंने कहा कि यह फैसला राज्य की नागरिकता प्रणाली और नियंत्रण व्यवस्था को कमजोर करने वाला है। उन्होंने कहा कि जब UCC लागू किया गया था, तब आधार के आधार पर पंजीकरण को एक नियंत्रण व्यवस्था के रूप में रखा गया था, ताकि बाहरी लोगों की पहचान सुनिश्चित की जा सके, अब जब सरकार ने उस नियंत्रण को हटा दिया है, तो कोई भी व्यक्ति जो यहां UCC में पंजीकरण कराएगा, वह उत्तराखंड की नागरिकता का दावा कर सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा यह कदम उत्तराखंड की मूल भावना और स्थानीय हितों के खिलाफ है, आधार की बाध्यता हटाकर सरकार ने दरवाज़े खोल दिए हैं कि बाहर से आने वाला कोई भी व्यक्ति यहां पंजीकरण करा सके। यह न केवल हमारे सामाजिक ढांचे को प्रभावित करेगा बल्कि राज्य की जनसंख्या संरचना पर भी असर डाल सकता है। हरीश रावत ने आगे कहा कि सरकार द्वारा लिव-इन रिलेशनशिप में पंजीकरण प्रक्रिया को सरल करने के नाम पर जो बदलाव किए गए हैं, वे भी चिंताजनक हैं। उन्होंने कहा कि UCC को लेकर जो भावना राज्य के लोगों में थी कि इससे सामाजिक अनुशासन और नैतिक संतुलन बनेगा वह अब सरकार के ऐसे निर्णयों से कमजोर होती जा रही है। सरकार ने जो कहा था, वह पारदर्शिता और सुरक्षा का सिस्टम बनाने के लिए था, अब नियंत्रण हटाकर यह व्यवस्था शिथिल कर दी गई है, यह उत्तराखंड की संस्कृति, सामाजिक मूल्यों और स्थानीय हितों के लिए ठीक नहीं है. बिहार में आरजेडी नेता सुनील सिंह द्वारा चुनाव आयोग को चेतावनी देते हुए कहा गया कि अगर चुनाव परिणामों में गड़बड़ी हुई तो नेपाल जैसा दृश्य देखने को मिल सकता है, इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए हरीश रावत ने कहा कि जनता के भीतर गहरा अविश्वास और संदेह घर कर गया है। आज लोगों को लगने लगा है कि चुनावों को मैनिपुलेट किया जा रहा है,यह स्थिति बहुत खतरनाक है। लोकतंत्र में जब जनता का विश्वास हिल जाता है तो यह विध्वंसक परिणाम देता है। उन्होंने आगे कहा कि सरकार और चुनाव आयोग दोनों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों के मन में कोई संदेह न रहे, अगर पारदर्शिता नहीं बढ़ाई गई तो ऐसे बयान और माहौल लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित होंगे, चुनाव आयोग और सरकार को जनता का भरोसा कायम रखना चाहिए, संदेह बढ़ाना नहीं, खत्म करना उनका कर्तव्य है, जब यह भरोसा कमजोर पड़ता है, तभी ऐसी टिप्पणियाँ सामने आती हैं. संन्यास अभी नहीं, नए लोगों को उत्साहित करने का समय: जब हरीश रावत से पूछा गया कि पार्टी की नई टीम में उन्हें कोई नई जिम्मेदारी नहीं दी गई है, तो क्या इसका मतलब है कि वे अब संन्यास की तैयारी कर रहे हैं इस सवाल पर उन्होंने हंसते हुए जवाब दिया, अभी मैंने भगवा कपड़ा नहीं देखा है, लेकिन जब आप कहेंगे तो सिलवा लेंगे,संन्यास भी एक आदरणीय अवस्था है, पर अभी मेरा काम है नए लोगों को उत्साहित करना। रावत ने कहा कि कांग्रेस में नई पीढ़ी को आगे लाने का समय है और वे उन्हें सहयोग व मार्गदर्शन देने के लिए सक्रिय रहेंगे। उन्होंने कहा कि राजनीति केवल पद पाने का माध्यम नहीं, बल्कि सेवा और संघर्ष का रास्ता है, और वे अभी भी जनता के मुद्दों को उठाने के लिए पूरी तरह समर्पित हैं। हरीश रावत अभी तो बहुत कुछ बाकी है उन्होंने मुस्कराते हुए कहा। संक्षेप में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बयानों ने एक बार फिर राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है,जहाँ एक ओर उन्होंने UCC से जुड़ी केंद्र सरकार की नीति को उत्तराखंड की सामाजिक संरचना के खिलाफ बताया, वहीं दूसरी ओर उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं की निष्पक्षता पर उठते सवालों को लेकर चिंता जताई। हरीश रावत ने यह भी स्पष्ट किया कि भले ही उन्हें फिलहाल कोई नई जिम्मेदारी न दी गई हो, लेकिन वे अब भी राजनीतिक रूप से सक्रिय हैं और जनता के सवालों को उठाते रहेंगे बाइट हरीश रावत,पूर्व मुख्यमंत्री
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