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45 साल बाद बेटा लौट आया, गांव में जश्न का माहौल
GPGYAN PRAKASH
Nov 21, 2025 08:33:36
Paonta Sahib, Himachal Pradesh
सरमौर जिले के सतौन क्षेत्र के नाड़ी गांव का एक व्यक्ति की फिल्मी स्टाइल से 45 साल बाद यादाश्त लोटी और वो 45 साल बाद घर लौटा। गांव में इन दिनों खुशी में झूम रहा है। गांव का बेटा रिखी राम, 1980 में महज 16 साल की उम्र में लापता हो गया था। करीब 45 साल बाद अपने घर लौट आया। यह कहानी किसी फिल्मी पटकथा लगती है। मगर,यह एक सच्ची घटना है। जिसने पूरे गांव को भावुक कर दिया है। नाडी गांव के रिखीराम की कहानी किसी फिल्मी कहानी की तरह है। रिखीराम यादाश्त जाने की वजह से 45 साल पहले 16 वर्ष की उम्र में लापता हो गया था। दरअसल, साल 1980 में रिखी राम काम की तलाश में यमुनानगर गया था। यहां वह एक होटल में नौकरी करने लगा। लेकिन एक दिन होटल के साथी के साथ अंबाला जाते समय उसका गंभीर सड़क हादसा हुआ। सिर में चोट लगने से याददाश्त पूरी तरह चली गई और परिवार से संपर्क पूरी तरह टूट गया। युवक रिखीराम को अपने परिवार और अपनी पिछले जीवन के बारे में कुछ भी याद नहीं रहा और वह इधर-उधर भटकता रहा। साथियों ने उसका नाम बदलकर ‘रवि चौधरी’ रख दिया। नई पहचान के साथ रिखीराम मुंबई के दादर और फिर नांदेड़ पहुंचा। नांदेड़ में उसे एक कॉलेज में नौकरी मिली। 1994 में उसकी शादी संतोषी से हुई और उसके दो बेटियां व एक बेटा है। रिखी राम एक नई जिंदगी में रम गया था। पुरानी स्मृतियां दिमाग से पूरी तरह निकल चुकी थी। मगर नियति को कुछ और ही मंजूर था। कई दशकों बाद किस्मत ने दूसरा मोड़ लिया। कुछ महीने पहले एक और सड़क हादसा हुआ। हादसे से उसकी खोई यादें धीरे-धीरे लौटने लगीं। उसे बार- बार सपने आने लगे सपनों में उसे आम का पेड, सतौन का इलाका, गांव के झूले और पहाड़ी रास्ते बार-बार नजर आने लगे शुरू में उसने इस पर ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब दृश्य लगातार उभरने लगे तो उसने पत्नी को बताया और अपने अतीत की तलाश शुरू की। सपनों के आधार पर गूगल गूगल को खंगाल गया। गूगल में अपने क्षेत्र के बारे में देखा तो रिखीराम की याददाश्त लौटने लगी। गूगल पर दिखाया रास्ता सतोन के एक कैफे का नंबर मिला उसे नंबर से नदी गांव और वहां से गायब हुए रिखीराम के बारे में पता चला तो मस्तिष्क में पुरानी स्मृतियां लौटने लगी। यह कैफे रिखीराम के घर तक पहुंचने की अहम कड़ी बना। पढ़ा-लिखा कम होने के कारण उसने कॉलेज के एक छात्र से इंटरनेट पर मदद मांगी। खोजबीन में उसे सतौन के एक कैफे का नंबर मिला कैफे वालों ने उसे नाड़ी गांव के रुद्र प्रकाश से जोड़ दिया । रिखी राम ने अपनी पूरी कहानी रुद्र प्रकाश को बताई, लेकिन शुरुआत में रुद्र को संदेह हुआ कि कहीं यह कोई ठगी न हो।पर जब रिखी राम रोज कॉल कर अपने भाई-बहनों के बारे में बात करने लगे, तो धीरे-धीरे संदेह यकीन में बदलने लगा। उसके बाद रिखीराम के घर वापसी का रास्ता साफ हुआ और अंततह रिखी राम अपनी पत्नी और बच्चों के साथ अपने पैतृक गांव पहुंचा। गांव पहुंचने पर गांव के लोगों ने बैंड बाजा और ढोल नगाड़ों के साथ रिखीराम और उसके परिवार का स्वागत किया। फिलहाल रीखी राम गांव पर अपने घर पर परिजनों के साथ रह रहा है और बेहद खुश है। रिखी राम की गुम होने की और फिर वापस घर पहुंचने की यह फिल्मी अंदाज की कहानी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। हर कोई रीखी राम की किस्मत की सराहना कर रहा है।
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