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शिमला के धामी हलोग में पत्थर का मेला: खून चढ़ाने की परंपरा पर घोर बहस
ADAnkush Dhobal
Oct 21, 2025 15:32:00
Shimla, Himachal Pradesh
शिमला के धामी का ‘अनोखा’ मेला धामी के हलोग में पत्थर का मेला भद्रकाली को किया जाता है खून से तिलक मानव बलि को रोकने के लिए धामी रियासत की रानी हुई थी सती आज करीब 25 मिनट तक हुई पत्थरों की बारिश 60 साल के सुभाष को लगा पत्थर, मां काली को चढ़ाया खून हिमाचल की राजधानी शिमला से करीब 30 किलोमीटर दूर धामी के हलोग में पत्थरों का एक अनोखा मेला लगता है. सदियों से मनाए जा रहे इस मेले को पत्थर का मेला कहा जाता है. दीपावली से दूसरे दिन मनाए जाने वाले इस मेले में दो समुदायों के बीच पत्थरों की जमकर बरसात होती है. जिसका नमूना आज भी धामी में देखने को मिला. जहां दोनों तरफ से पत्थरों की जमकर बरसात हुई. ये सिलसिला तब तक जारी रहा, जब तक कि एक पक्ष लहूलुहान नहीं हो गया. सालों से चली आ रही इस परंपरा में सैकड़ों की संख्या में लोग धामी मैदान में शामिल हुए. इस बार 60 साल के सुभाष को मां काली के मंदिर में खून चढ़ाने का मौका मिला. इस बार यह पत्थर मेला करीब 25 मिनट तक चला. सुभाष को पत्थर लगते ही पत्थर खेल को तुरंत बंद कर दिया गया. इस खतरनाक खेल में केवल स्थानीय खुंद के लोग ही भाग लेते हैं. इस मेले में महिलाओं और बच्चों को भाग लेने की अनुमति नहीं होती है. धामी रियासत के राजा पूरे शाही अंदाज में मेले वाले स्थान पर पहुंचे. माना जाता है कि पहले यहां हर वर्ष भद्रकाली को नर बलि दी जाती थी, लेकिन धामी रियासत की रानी ने सती होने से पहले नर बलि को बंद करने का हुक्म दिया था. इसके बाद पशु बलि शुरू हुई. कई दशक पहले इसे भी बंद कर दिया गया. इसके बाद पत्थर का मेला शुरू किया गया. मेले में पत्थर से लगी चोट के बाद जब किसी व्यक्ति का खून निकलता है तो उसका तिलक मां भद्रकाली के चबूतरे में लगाया जाता है. आज तक पत्थर लगने से किसी की जान नहीं गई है. पत्थर लगने के बाद मेले को बंद कर सती माता के चबूतरे पर खून चढ़ाया जाता है. इस मेले में एक ओर राज परिवार की तरफ से जठोली, तुनड़ू और धगोई और कटेड़ू खानदान की टोली और दूसरी तरफ से जमोगी खानदान की टोली के सदस्य ही पत्थर बरसाने के मेले भाग ले सकते हैं. अन्य लोग पत्थर मेले को देख सकते हैं, लेकिन वह पत्थर नहीं मार सकते. 'खेल का चौरा' गांव में बने सती स्मारक के एक तरफ से जमोगी दूसरी तरफ से कटेडू समुदाय पथराव करता है. मेले की शुरुआत राजपरिवार के नरसिंह पूजन के साथ होती है.
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