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बैजनाथ में दशहरे पर रावण दहन नहीं, लोग उसे ज्ञानी मानते हैं
ACAnup Chand Dhiman
Sept 30, 2025 14:02:53
Palampur, Himachal Pradesh
लोकेशन कांगड़ा बैजनाथ एक ऐसा शहर जहाँ नहीं जलाया जाता रावण का पुतला ना होती है रामलीला ना होता दशहरा देखिए ख़ास रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश के बैजनाथ में दशहरे के दिन यहाँ नहीं होता है रावण दहन यहाँ बच्चा बच्चा करता भगवान भोले का गुणगान वहीँ शिव भक्त रावण को भी मानते हैं एक ज्ञानी हिमाचल प्रदेश के जिला काँगड़ा के बैजनाथ शहर में पार्वती के श्राप के चलते नहीं है आज तक कोई सुनियार की दुकान हिमाचल प्रदेश की खुबसूरत वादियों में बसा बैजनाथ शहर है वहीँ आज बैजनाथ में हर कोई यही जनता है की रावण कोई राक्षस नहीं वल्कि एक ज्ञानी है, बैजनाथ में दशहरे के दिन यहाँ रावण दहन नहीं होता है और ना ही यहाँ रामलीला का आयोजन होता है, यहाँ बच्चा बच्चा भगवान भोले का गुणगान करता है और क्योंकि रावण शिवभक् था यही कारण है की बैजनाथ में रावण दहन नहीं होता आज तक जिस किसी ने भी रावण का पुतला जलाने की कोशिश की वो या तो अगले वर्ष तक जिंदा न रहा या बहुत हानी झेलनी पड़ी आज कई वर्ष हो गए हैं और यहाँ पर दशहरा नहीं मनाया गया और न ही अब किसी ने दोवारा रावन का पुतला जलने की कोशिश की आदि भाग समाप्त हुआ। बैजनाथ शिव मन्दिर में आप बस रेल व् हवाई यात्रा से पहुच सकते हैं, इस मंदिर का इतिहास त्रेत युग से जुडा है जिसमें इसी स्थान पर लंकाधिपति रावन द्वारा शिव की आराधना करने का उल्लेख ग्रंथों में है यहाँ शिवलिंग दो भागों में बंटा हुआ है एक तरफ भगवान शिव हैं व दूसरी तरफ माता पार्वती यहाँ पर भगवान अर्धनारेश्वर शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं मान्यता है की यहाँ पर रावण ने त्रेत युग में भगवान की तपस्या की, भगवान जब प्रसन्न नहीं हुए तब उसने अपने दस सिर भगवान को अर्पित किए और भगवान ने अर्धनारेश्वर के रूप में रावण को दर्शन दिए और पूछा की आप क्या चाहते हो तव रावण ने कहा की वो उन्हें लंका ले जाना चाहते हैं तब भगवान ने कहा की मैं तो जा नहीं सकता लेकिन मैं तुम्हीं आत्म लिंग देता हूँ उसे आप ले जाओ लेकिन रास्ते में उसे कहीं आपने स्थापित नहीं करना है लेकिन झारखंड के देवघर में जब रावण को लघुशंका लगी तव रावण ने उसे वहाँ स्थापित कर दिया और वो भगवान को लंका ले जाने में कामयाब नहीं हुया वहीं नवमी स्ताव्दी में इस शिवलिंग को छत प्रदान कि पांडवों न जब वो हिमालय कि तरफ़ जा रहे थे और एक रात यहाँ रुके तो उनहोंने एक ही रात में इस मन्दिर का निर्माण कर दिया था। इस शहर में आपको हर चीज़ मिल जायेगी लेकिन अगर नहीं कुछ मिलेगा तो वो हैं सुनियार, कहते हैं की एक वार जब लंका की प्रतिष्ठा हो रही थी सबसे पहले विस्व्कर्मा की पूजा होनी थी लेकिन एक सुनियार विस्व्कर्मा के रूप में वहां पहुंच गया और अपना हिस्सा ले गया इतने में वहां विस्व्कर्मा आ गये यह देख कर माता पार्वती गुस्सा हो गई और सुनियार को श्राप दिया की जहाँ शिव पार्वती इक्ट्ठे वास करेंगे वहाँ सुनियार नहीं वस पाएंगे तभी से बैजनाथ में आज तक कोई सुनियार अपनी दुकान नहीं चला सका आज बैजनाथ देश का एसा शहर है जहाँ रावण का मन्दिर बना है जहाँ रावण का पैर मौजूद है और लोग यहाँ पूजा के लिए आते रहते हैं व Chopra की खबरें अभी भी प्रचलित हैं। फिर भी देश में इसे लोगों की भी कमी नहीं जो रावण को न सिर्फ शिव भक्त बल्कि एक ज्ञानी के रूप में पूजते भी हैं
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