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पानीपत प्रदूषण: सड़कें धूल से बड़ा कारण, उद्योग ने नियमों पर सवाल उठाए
RBRAKESH BHAYANA
Dec 28, 2025 11:47:51
Panipat, Haryana
प्रदूषण के नाम पर व्यापारियों को क्यों बनाया जा रहा है निशाना? पानीपत में प्रदूषण की असली वजह सड़कें, न कि इंडस्ट्री: खंडेलवाल बंद कमरों में फैसले या ज़मीनी हकीकत? मॉनिटरिंग सिस्टम पर उद्योग जगत का सवाल पानीपत में प्रदूषण को लेकर लागू की जा रही नई मॉनिटरिंग व्यवस्था पर अब उद्योग जगत ने सवाल खड़े कर दिए हैं। हरियाणा चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के प्रदेश अध्यक्ष और सेक्टर-29 इंडस्ट्रीयल एरिया संगठन ने इसे व्यापारियों को परेशान करने वाली नीति बताया है। खंडेलवाल का कहना है कि प्रदूषण मॉनिटरिंग कोई नई व्यवस्था नहीं है। यह सिस्टम पहले से ही लंबे समय से लागू है, इसके बावजूद बार-बार नए नियम लाकर उद्योग और व्यापारियों पर दबाव बनाया जा रहा है। ये मॉनिटरिंग सिस्टम कोई नया नहीं है, ये बहुत समय से लगा हुआ है और पहले से इस पर कार्रवाई हो रही है। सवाल ये है कि जो नए-नए नियम आते हैं, वे ज़मीन से जुड़े लोग तय करते हैं या बंद कमरों में फैसलों होते हैं? क्या इसमें कभी व्यापारी वर्ग या एसोसिएशन को शामिल किया जाता है?” खंडेलवाल का कहना है कि जब भी प्रदूषण का मुद्दा उठता है, तो सीधे तौर पर उद्योगों को ज़िम्मेदार ठहरा दिया जाता है। जबकि इस समय एक्सपोर्ट, लेबर और व्यापार पहले से ही भारी दबाव में हैं। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि हर बार व्यापारियों को ही परेशान करने की नीयत से काम होते हैं। पीएम साहब चाहते हैं कि व्यापारी को बेनिफिट मिले, लेकिन हरियाणा में प्रदूषण के नाम पर लोग बेहद परेशान हैं। इस मॉनिटरिंग सिस्टम को बंद किया जाना चाहिए।” उन्होंने दावा किया कि पानीपत में प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह इंडस्ट्री नहीं, बल्कि बदहाल सड़कें और उड़ती हुई धूल हैं। खंडेलवाल ने कहा कि अगर सर्वे कराया जाए तो सच्चाई सामने आएगी कि सड़कें और रोड डस्ट सबसे बड़ा कारण हैं। इंडस्ट्री ने सरकार के हर निर्देश का पालन किया है।” वहीं पानीपत सेक्टर-29 इंडस्ट्रीयल एरिया संगठन के कार्यकारिणी सदस्य विकास ने भी इंडस्ट्री पर लगाए जा रहे आरोपों को खारिज किया। कार्यकारिणी सदस्य ने कहा कि “सर्दियों में पूरे देश में प्रदूषण बढ़ता है। दिल्ली-एनसीआर में सिर्फ फैक्ट्रियां ही ज़िम्मेदार नहीं हैं। व्हीकुलर पॉल्यूशन सबसे बड़ा फैक्टर है, उसके बाद कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी और रोड डस्ट।” विकास ने बताया कि कुल प्रदूषण में इंडस्ट्री का योगदान केवल 6 से 10 प्रतिशत तक ही सीमित है। “पिछले दो-तीन सालों से सरकार के सभी निर्देश हमने लागू किए हैं। अक्टूबर में समीर ऐप के आंकड़ों में 12 से 20 अक्टूबर का औसत AQI 230 रहा। लेकिन दिवाली और छठ पूजा के दौरान, जब इंडस्ट्री पूरी तरह बंद थी, तब भी AQI में कोई बड़ा सुधार नहीं दिखा।” एंकर आउट: उद्योग संगठनों का कहना है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए ज़मीनी स्तर पर काम और सभी हितधारकों से चर्चा ज़रूरी है। सिर्फ इंडस्ट्री को निशाना बनाना समस्या का समाधान नहीं है।
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