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र रूस जाने के नाम पर भारतीय युवकों को सेना में भर्ती, परिवार दहल गया
RBRAKESH BHAYANA
Dec 25, 2025 11:31:45
Panipat, Haryana
“वॉर ज़ोन में फंसे भारतीय युवक: नौकरी का सपना दिखाकर रूस भेजे गए, जबरन आर्मी में झोंके गए”
नौकरी और बेहतर भविष्य का सपना दिखाकर भारतीय युवाओं को रूस भेजने का एक भयावह और चौंकाने वाला मामला सामने आया है। उत्तराखंड मूल का एक युवक, जो पढ़ाई के कारण पंजाब में रह रहा था, उसने रूस में भारतीय युवकों के साथ हुई अमानवीय घटनाओं की दिल दहला देने वाली कहानी बयां की है।
पीड़ित युवक ने बताया कि एक भारतीय एजेंट ने उसे और करीब 100–150 अन्य युवाओं को रूस में अच्छी नौकरी दिलाने का झांसा दिया। सभी युवकों को एक साथ फ्लाइट से रूस भेजा गया। शुरुआत में 15–20 दिन तक एक कंपनी में काम भी करवाया गया, लेकिन इसके बाद हालात अचानक बदल गए।
युवक के अनुसार, एक दिन रूसी पुलिस ने सभी भारतीयों को पकड़ लिया और बताया कि उनके पास जो वीज़ा है, वह टूरिस्ट वीज़ा है, जिस पर काम करना गैर-कानूनी है। पुलिस ने दो ही विकल्प रखे—या तो लंबी जेल, या फिर रूसी आर्मी में भर्ती। जेल की हालत इतनी खराब बताई गई कि दिन में एक बार खाना दिया जाता था, वह भी बीफ, जिसे अधिकांश भारतीय युवकों ने खाने से इनकार कर दिया।
मजबूरी में कई युवाओं को रूसी आर्मी जॉइन करनी पड़ी। शुरुआत में कहा गया कि केवल ट्रेनिंग होगी और उन्हें युद्ध में नहीं भेजा जाएगा। ولكن जैसे ही युवकों ने रूसी भाषा समझनी शुरू की, उन्हें बंदूकें थमा दी गईं और सीधे खतरनाक इलाकों में भेज दिया गया। कई दिनों तक बिना खाना-पानी गाड़ियों में घुमाया गया।
पीड़ित युवक ने बताया कि कुछ भारतीय युवकों को रेडियो और ड्रोन ऑपरेट करने जैसे काम भी दिए गए। आदेश साफ थे—आगे बढ़ो, वापस नहीं आना। पीछे लौटने की कोशिश करने वालों को जान से मारने की धमकियां दी जाती थीं। वीडियो बनाने या भारत में संपर्क करने वाले युवकों के अचानक गायब होने के कई मामले सामने आए।
सबसे दर्दनाक पहलू यह है कि मारे गए भारतीय युवकों की लाशें भारत भेजने के नाम पर उनकी गरीब परिवारों से 8–9 लाख रुपये तक वसूले जा रहे हैं। जिन परिवारों ने बच्चों को विदेश भेजने के लिए सब कुछ बेच दिया, उनके लिए यह रकम जुटाना असंभव हो जाता है। कई मामलों में डीएनए रिपोर्ट के नाम पर लाशें जानबूझकर रोकी जा रही हैं।
पीड़ित ने दावा किया कि यह पूरा रैकेट केवल विदेशी नहीं, बल्कि कुछ भारतीय एजेंट भी चला रहे हैं, जो युवकों को टैक्सी में बैठाकर ले जाते हैं, फर्जी दस्तावेजों पर साइन करवा देते हैं और उन्हें पता भी नहीं चलता कि वे सेना में भर्ती हो चुके हैं।
इस पूरे मामले में पंजाब, कर्नाटक, मुंबई, हैदराबाद समेत कई राज्यों के युवकों के शामिल होने की बात कही गई है। हैरानी की बात यह है कि यह प्रक्रिया अब भी पूरी तरह बंद नहीं हुई है और रूस के कुछ शहरों से लगातार नए युवकों की भर्ती की जा रही है।
पीड़ित ने भारत सरकार से अपील की है कि वह एजेंट फ्रॉड पर सख्त कार्रवाई करे और विदेशों में फंसे भारतीय युवकों को सुरक्षित वापस लाने के लिए ठोस कदम उठाए। यह सिर्फ अंतरराष्ट्रीय संबंधों का ही नहीं, बल्कि हजारों भारतीय परिवारों की ज़िंदगी और भविष्य से जुड़ा गंभीर मानवीय मुद्दा बन चुका है।
बाइट पीड़ित युवक निवासी पौड़ी गढ़वाल
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