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रानू साहू के करीबी की जमानत खारिज: व्हाइट कॉलर अपराध ने राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था हिलाई
SSSHAILENDAR SINGH THAKUR
Nov 01, 2025 01:15:17
Bilaspur, Chhattisgarh
बिलासपुर। सिंडिकेट बनाकर कोयला परिवहन पर जबरन अवैध कोल लेवी वसूली के आरोपी रायगढ़ के पूर्व कलेक्टर रानू साहू के करीबी की जमानत आवेदन को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है, कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न न्यायदृष्टांत को रखते हुए कहा कि आर्थिक अपराध जान बूझकर व्यक्तिगत लाभ पर नज़र रखते हुए समुदाय पर पड़ने वाले परिणामों की परवाह किए बिना किया जाता है। हत्या गुस्से या भावनाओं में बहकर की जा सकती है। लेकिन आर्थिक अपराध ठंडे दिमाग से और जानबूझकर व्यक्तिगत लाभ पर नज़र रखते हुए किया जाता है। व्हाइट कॉलर क्राइम देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचाता है। इसके साथ कोर्ट ने आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज कर दिया।आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो की शिकायत पर एसीबी ने अपराध पंजीबद्ब कर रायगढ़ के रामगुड़ी पारा निवासी नवनीत तिवारी को जनवरी 2024 को हिरासत में लिया। उसके खिलाफ 420, 120-बी, 384, 467, धारा 468, 471 और प्रिवेंशन ऑफ़ करप्शन एक्ट, 1988 की धारा 7, 7-, 12 के तहत जुर्म दर्ज किया गया है।अभियोजन के अनुसार, 11 जनवरी 2024 को संदीप आहूजा, डिप्टी डायरेक्टर, डायरेक्टरेट ऑफ़ एनफोर्समेंट, रायपुर ने फरहान कुरैशी, डिप्टी सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस के ज़रिए डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस एंटी करप्शन ब्यूरो और इकोनॉमिक ऑफेंस विग, छत्तीसगढ़ के सामने एक शिकायत दर्ज कराई। यह शिकायत मनी लॉन्ड्रिंग की जांच के दौरान पाए गए एक खास अपराध से जुड़ी थी, प्रिवेंशन ऑफ़ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट, 2002 की धारा 66(2) के तहत की गई थी।इसके बाद 17.01.2024 को पुलिस स्टेशन एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर में 35 आरोपियों अर्थात सौम्या चौरसिया, समीर बिस्नोई, रानू साहू के खिलाफ एफआईआर के तहत अपराध पंजीबद्ध किया गया है। रानू साहू, संदीप कुमार नायक, शिवशंकर नाग, सूर्यकांत तिवारी, मनीष उपाध्याय, रोशन कुमार सिह, निखिल चंद्राकर, राहुल सिह, पारेख कुर्रे, मोइनुद्दीन कुरैशी, वीरेंद्र जायसवाल, रजनीकांत तिवारी, हेमंत जायसवाल, जोगिंदर सिंह, नवनीत तिवारी, दीपेश टौंक, देवेंद्र डड़सेना, राहुल मिश्रा, रामगोपाल अग्रवाल, देवेंद्र सिह यादव, शिशुपाल सोरी, रामप्रताप सिह, विनोद तिवारी, अमरजीत भगत, चंद्रदेव प्रसाद राय, बृजपत सिह, इदरीश गांधी, गुलाब कमरो, यू.डी. मिंज, सुनील कुमार अग्रवाल, जय, चंद्रप्रकाश जायसवाल, लक्ष्मीकांत तिवारी और अन्य। अभियोजन का आगे का मामला यह है कि एक सिंडिकेट में प्राइवेट लोग और राज्य सरकार के अधिकारी सौम्या चौरसिया, डायरेक्टर, जियोलॉजी और माइनिंग डिपार्टमेंट और कुछ पॉलिटिकल अधिकारियों के सपोर्ट से जानबूझकर नीति में परिवर्तन।सुनियोजित साजिश के तहत, आवेदक ने राजनेताओं और कुछ वरिष्ठ राज्य सरकार के अधिकारियों के सक्रिय समर्थन से तत्कालीन भूविज्ञान और खनिकर्म निदेशक को प्रभावित करने में कामयाबी हासिल की और 15.07.2020 को एक सरकारी आदेश जारी करवाया जो परिवहन परमिट जारी करने की ऑनलाइन प्रणाली को मैनुअल प्रणाली में परिवर्तित करके इस जबरन वसूली प्रणाली का स्रोत बन गया। उन्होंने छत्तीसगढ़ राज्य में परिवहन किए जाने वाले कोयले के प्रति टन 25 रुपये वसूलने के लिए जबरन वसूली का एक नेटवर्क शुरू किया। रानू साहू के सह पर कोल ट्रांसपोर्टस और दूसरे बिजनेसमैन से एक्सटॉर्शन मनी वसूलने में उसके साथियों की मदद की व गैर-कानूनी उगाही की गई थी। जेल में बंद आरोपी ने मामले की सुनवाई में विलंब होने व उसके खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं होने के आधार पर जमानत आवेदन पेश किया था।आवेदन पर जस्टिस नरेन्द्र कुमार व्यास की एकलपीठ में सुनवाई हुई।एकलपीठ ने सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न न्यायादृष्टांत जिसमें पी चिदंम्बरम के मामले में किए गए टिप्पणी का उल्लेख करते हुए इसे गंभीर अपराध माना है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि आवेदक रिकॉर्ड पर ऐसा कोई सबूत पेश नहीं किया है जिससे यह साबित हो कि ट्रायल सिर्फ़ अभियोजन की वजह से लेट हो रहा है। आवेदक के वकील की ओर से यह भी कहा गया कि आवेदक को अवैध रूप से गिरफ्तार किया गया है क्योंकि आवेदक के खिलाफ कोई सीधा सबूत नहीं है। इस दलील पर इस स्तर पर विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि गिरफ्तारी को अवैध घोषित करना आरोपी का बचाव है। आवेदक ने जमानत याचिका में आय के स्रोत के बारे में कहीं भी नहीं बताया है जो अंतिम रिपोर्ट में दिखाया गया है, जिससे साफ पता चलता है कि एसीबी व ईओडब्ल्यू ने आवेदक के खिलाफ कुछ सबूत एकत्र किए हैं। अभियोजन पक्ष ने आवेदक के खिलाफ यह सबूत इकट्ठा किया है कि उसने कोयला ट्रांसपोर्टरों से अवैध रूप से पैसे लिए हैं।इस प्रकार केस डायरी में उपलब्ध सामग्री को देखने से, धारा 420, 120 बी, 384 के साथ-साथ धारा 7, 7 और 12 के तहत अपराध करने में आवेदक की संलिप्तता, जो एक आर्थिक अपराध है, प्रथम दृष्टया झलकती है। सुप्रीम कोर्ट ने पी. चिदंबरम बनाम निदेशालय प्रवर्तन, के मामले में आर्थिक अपराध की गंभीरता पर विचार करते हुए कहा है आर्थिक अपराध जानबूझकर व्यक्तिगत लाभ पर नज़र रखते हुए समुदाय पर पड़ने वाले परिणामों की परवाह किए बिना किया जाता है। व्हाइट कॉलर क्राइम को हल्के में लेते हैं तो देश की अर्थव्यवस्था और राष्ट्रीय हित को नुकसान होगा। आर्थिक अपराधों को गंभीरता से देखा जाना चाहिए और देश की अर्थव्यवस्था को समग्र रूप से प्रभावित करने वाले गंभीर अपराधों के रूप में माना जाना चाहिए। इसके साथ कोर्ट ने आरोपी नवनीत तिवारी की जमानत याचिका खारिज कर दी।
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