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ब्रजरज उत्सव में भ्रमर गीत ने मथुरावासियों को भाव-विभोर कर दिया
KLKANHAIYA LAL SHARMA
Nov 06, 2025 16:18:04
Mathura, Uttar Pradesh
मथुरा--ब्रज रज उत्सव में कृष्ण-गोपी विरह लीला भ्रमर गीत का अविस्मरणीय मंचन
- गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के प्रशिक्षुओं की अभूतपूर्व प्रस्तुति
- 8 नवंबर तक रहेगी ब्रजरज उत्सव की धूम, सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के साथ मनोरंजन का भी लुफ्त उठा सकेंगे मथुरावासी
मथुरा। ब्रजरज उत्सव के अंतर्गत गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी, वृंदावन के प्रशिक्षु छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत “भ्रमर गीत” रासलीला का मंचन दर्शकों के लिए अविस्मरणीय अनुभव बन गया। इस भावपूर्ण नाट्य प्रस्तुति में नृत्य, संगीत और अभिनय का अनूठा समन्वय देखने को मिला, जिसे देख दर्शक भावविभोर हो गए।
धौली प्याऊ स्थित रेलवे ग्राउंड पर आयोजित ब्रजरज उत्सव के 12 वें दिन बृहस्पतिवार को विशाल मंच पर प्रस्तुत “भ्रमर गीत” श्रीकृष्ण और गोपियों के विरह की करुणा और समर्पण से ओतप्रोत लीला है। इस रासलीला का निर्देशन गीता शोध संस्थान एवं रासलीला अकादमी के निदेशक प्रो. दिनेश खन्ना ने किया, जबकि संयोजन संस्थान के कोऑर्डिनेटर चंद्र प्रताप सिंह सिकरवार ने निभाया।
मंचन में प्रशिक्षु कलाकार श्रेयांश, हैरी चोटाला, कामिनी शर्मा, चांदनी, सुमिति भारद्वाज, निर्जला मिश्रा, जयंती त्यागी, प्रिया शर्मा, आकांक्षा शर्मा, रोशनी शर्मा, डोली ठाकुर, समीक्षा यादव, प्राची डे, विनीता शर्मा, वैष्णवी शाही, दीक्षा शर्मा, मोनिका गोला, रक्षिता, राधिका, गुंजन ने श्रीकृष्ण, राधा और गोपियों के रूप में अद्भुत अभिनय किया।
संगीत संयोजन आकाश शर्मा का रहा। वाद्य सहयोग में मनमोहन कौशिक (सारंगी), नंदी राम (बांसुरी) और सुनील पाल (तबला) शामिल रहे। वस्त्र विन्यास रितु सिंह ने किया तथा रोचना शर्मा ने प्रशिक्षुओं को नृत्य प्रशिक्षण प्रदान किया। “भ्रमर गीत” का काव्यात्मक आधार वृंदावन निवासी सुप्रसिद्ध कवि स्व. छैल बिहारी उपाध्याय ‘छैल’ की रचना पर आधारित था। गीत, संगीत, नृत्य और अभिनय के इस संगम ने मंचन को अद्वितीय बना दिया।
इस प्रस्तुति में दर्शक दीर्घा तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी। इस नृत्य-नाटिका में मथुरा एवं वृंदावन के विभिन्न शिक्षण संस्थानों के बालक-बालिकाओं ने भाग लेकर ब्रज संस्कृति की जीवंत परंपरा को साकार किया। अंत में, प्रो. दिनेश खन्ना ने कहा कि “भ्रमर गीत” के माध्यम से विद्यार्थियों ने न केवल कला का प्रदर्शन किया, बल्कि ब्रज की भक्ति परंपरा को मंच पर सजीव कर दिया। यही इस उत्सव की सबसे बड़ी उपलब्धि रही।
इसके अलावा अन्य मंचीय प्रस्तुतियों के साथ भक्ति संगीत और लोकनृत्यों की झंकार पूरे परिसर को जीवंत बना रही है। भजनों की प्रस्तुति ने दर्शकों में भक्ति का जोश भर दिया। ब्रज की माटी में रचा यह उत्सव श्रद्धा, संस्कृति और मनोरंजन का अनुपम संगम बनकर हर आगंतुक के लिए यादगार अनुभव साबित हो रहा है। उत्सव स्थल पर इन दिनों उल्लास और रौनक का अनोखा संगम देखने को मिल रहा है। हस्तशिल्प, लोककला, पारंपरिक परिधान, खिलौनों और स्थानीय व्यंजनों के स्टॉल पर भीड़ उमड़ रही है। बच्चे झूलों का आनंद ले रहे हैं तो महिलाएं खरीदारी में व्यस्त हैं। यह उत्सव अभी दो दिन और 8 नवंबर तक चलेगा।
इस दौरान कलाकारों को एसीईओ मदन चंद्र दुबे, डिप्टी सीईओ सतीश चंद्र, सहायक अभियंता आरपी यादव आदि ने
सम्मानित किया।
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