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बिहार में अंधेरे से रोशन तक: 2005 के बाद बिजली आपूर्ति में क्रांतिकारी बदलाव
RKRampravesh Kumar
Oct 31, 2025 14:24:51
Noida, Uttar Pradesh
आप सभी को पता है वर्ष 2005 से पहले बिहार में बिजली की क्या हालत थी? पूरा प्रदेश अंधेरे में डूबा रहता था। राज्य के गांवों की बात तो दूर, राजधानी पटना में मुश्किल से लोगों को 7 से 8 घंटे ही बिजली मिल पाती थी। कभी-कभी रात में बिजली आने पर सोये हुये लोग जल्दी से उठकर पानी का मोटर चलाने के लिये दौड़ पड़ते थे क्योंकि लोगों को यह भरोसा नहीं रहता था कि बिजली फिर कितने घंटे बाद आयेगी। बिजली के खंभों पर जो तार थे, वह भी बेहद जर्जर अवस्था में थे। ट्रांसफार्मर जले रहते थे। राज्य के ग्रामीण इलाकों में नहीं के बराबर बिजली की आपूर्ति होती थी। ऐसे में खंभों पर बिजली की तारों को लोग कपड़े सुखाने के उपयोग में लाते थे। थोड़ी-बहुत बिजली की आपूर्ति होती भी थी, तो इतना कम वोल्टेज होता था कि बल्ब भी ठीक से नहीं जल पाते थे। वर्ष 2005 से पहले राज्य में बिजली की अधिकतम आपूर्ति 700 मेगावाट तक होती थी, जबकि राज्य में बिजली का उत्पादन नगण्य था। किसानों के लिए बिजली की कोई व्यवस्था नहीं थी। कृषि कार्य के लिए कोई डेडिकेटेड फीडर नहीं थे। बिजली के अभाव में उद्योग-धंधे दम तोड़ चुके थे एवं राज्य का आर्थिक विकास पूरी तरह थम गया था। बिजली आपूर्ति की बात तो दूर, राज्य के हजारों गांवों तक तो बिजली पहुंची ही नहीं थी। किसानों के खेत सूखे पड़े रहते थे, कारखाने बंद थे, और युवाओं के सपने अंधरे में खो जाते थे। वो दौर केवल बिजली की कमी का नहीं था, वो दौर था बदइंतज़ामी का, लापरवाही का और ऐसी सरकार का, जिसने न कभी योजना बनाई, न नीयत दिखाई। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि वर्ष 2005 में राज्य में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत मात्र 75 यूनिट थी तथा उपभोक्ताओं की संख्या मात्र 17 लाख 31 हजार थी। ऐसे में बिजली से सरकार को राजस्व भी बहुत कम मिल पाता था। राज्य में सौर ऊर्जा की भी व्यवस्था नहीं थी तथा राज्यवासी पूरी तरह से लालटेन युग में जीने को मजबूर थे। राज्य में बिजली की स्थिति बदतर थी, ऊपर से तत्कालीन सरकार की प्रशासनिक अक्षमता के कारण बिजली की चोरी आम बात थी। 24 नवंबर 2005 को राज्य में जब हमलोगों की सरकार बनी तो बिजली व्यवस्था में सुधार के संकल्प के साथ अनेक कार्य किए गए। विद्युत आपूर्ति, बिजली का उत्पादन तथा पावर ट्रांसमिशन प्रणाली आदि को प्राथमिकता के आधार पर ठीक किया गया। ग्रामीण विद्युतीकरण की दिशा में कई कदम उठाये गये। हमारी सरकार बिजली-व्यवस्था में सुधार के लिए लगातार प्रयासरत रही। 15 अगस्त 2012 को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पटना के गांधी मैदान में मैंने कहा था कि ‘हम बिजली की स्थिति सुधारेंगे। अगर बिजली की स्थिति में हम सुधार नहीं लायेंगे तो 2015 के चुनाव में मैं वोट मांगने लोगों के बीच नहीं आऊंगा’। इसके लिए 31 अक्टूबर 2012 को तत्कालीन बिहार राज्य विद्युत बोर्ड को समाप्त कर 5 विद्युत कंपनियां बनायीं गयीं तथा बिजली के क्षेत्र में संरचनात्मक सुधार किये गये। हमारी सरकार ने वर्ष 2015 में ‘हर घर बिजली‘ निश्चय की शुरुआत की, जिसके तहत निर्धारित समय के दो माह पूर्व ही अक्टूबर 2018 में सभी इच्छुक घरों को विद्युत कनेक्शन दे दिया गया। इस काम को पूरा करने के लिए बड़े पैमाने पर आधारभूत संरचनाओं का निर्माण किया गया। बड़ी संख्या में नये ग्रिड उपकेंद्र तथा नये विद्युत शक्ति उपकेंद्रों की स्थापना की गयी। साथ ही नये ट्रांसफार्मर एवं तार लगाये गये। किसानों के खेत तक सस्ती बिजली पहुंचाने के लिए डेडीकेटेड कृषि फीडर का निर्माण कराया गया है। किसानों को अनुदानित दर पर मात्र 55 पैसे प्रति यूनिट की दर से सस्ती बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है तथा कृषि के लिए निःशुल्क विद्युत कनेक्शन दिये गये हैं। इसके लिए हमारी सरकार ने वर्ष 2024-25 में 4 हजार 395 करोड़ रूपये का अनुदान दिया है। राज्य के सरकारी एवं निजी भवनों पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने की व्यवस्था की गयी है तथा राज्य भर में सोलर पावर प्लांट लगाये जा रहे हैं। आज शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में 24 घंटे निर्बाध बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित हो सकी है। अब राज्य में बिजली की अधिकतम आपूर्ति 700 मेगावाट से बढ़कर 8 हजार मेगावाट से भी ज्यादा हो गयी है तथा बिजली उत्पादन क्षमता 540 मेगावाट से बढ़कर 8 हजार 850 मेगावाट से भी अधिक हो गयी है। प्रति व्यक्ति ऊर्जा की खपत 5 गुणा से भी ज्यादा बढ़कर 363 यूनिट हो गयी है तथा विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 12 गुणा से भी ज्यादा बढ़कर करीब सवा दो करोड़ हो गयी है। राज्य में फिलहाल ग्रिड उपकेंद्रों की संख्या चार गुणा बढ़कर 172 हो गयी है, जबकि विद्युत शक्ति उपकेंद्रों की संख्या तीन गुणा बढ़कर 1 हजार 260 हो गयी है। बिजली वितरण ट्रांसफार्मर की संख्या 10 गुणा बढ़कर 3 लाख 50 हजार हो गया। विद्युत संचरण लाइन की कुल लंबाई 3 गुणा बढ़कर 20 हजार किलोमीटर से भी अधिक हो गयी है, जबकि 33 केवी वितरण लाइन की लंबाई 3 गुणा बढ़कर 19 हजार किलोमीटर हो गयी है। राज्य के नागरिकों पर बिजली बिल का भार कम पड़े इसके लिए हमलोग शुरू से ही उपभोक्ताओं को अनुदानित दर पर बिजली उपलब्ध करा रहे हैं। इसके लिये वर्ष 2024-25 में बिजली उपभोक्ताओं को राज्य सरकार द्वारा 15 हजार 343 करोड़ रुपये का विद्युत अनुदान दिया गया है। इस अनुदान के अतिरिक्त अब तो हमारी सरकार राज्य के सभी घरेलू उपभोक्ताओं को 125 यूनिट तक मुफ्त बिजली दे रही है, जिसका फायदा हर बिहारवासी को मिल रहा है। हमलोगों ने यह भी तय किया है कि अगले तीन वर्षों में सभी घरेलू उपभोक्ताओं से सहमति लेकर उनके घर की छतों पर अथवा नजदीकी सार्वजनिक स्थल पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाकर लाभ दिया जाएगा। हमारी सरकार ने बिजली के क्षेत्र में बिहार को आत्मनिर्भर बनाकर ‘ऊर्जस्वित बिहार‘ के संकल्प को पूरा किया है। इसे याद रखियेगा। आगे भी हमलोग ऐसे ही काम करते रहेंगे। हमलोग जो कहते हैं, उसे पूरा करते हैं। राज्य के चहुंमुखी विकास के लिए हम निरंतर कार्य करते रहेंगे। अब बिहार का भविष्य रोशनी से भरा है। हमलोगों ने बिजली के क्षेत्र में इतना काम कर दिया है कि अब लालटेन युग कभी नहीं लौटेगा。
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