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योगी ने देवीपाटन मंदिर को लोककल्याण का केंद्र बताकर युवाओं को दिया नैतिक संदेश
PTPawan Tiwari
Nov 11, 2025 05:11:02
Balrampur, Uttar Pradesh
25 वर्ष बाद भी जनमानस के लिए स्मरणीय हैं महंत महेंद्रनाथ जी महाराज के कार्य: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
“सेवा के माध्यम से लोककल्याण का केंद्र बनें धर्मस्थल” – मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
बलरामपुर के देवीपाटन पीठ के ब्रह्मलीन महंत योगी महेंद्रनाथ जी महाराज की 25वीं पुण्यतिथि पर सोमवार शाम मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहुंचे ,देर शाम कार्यक्रम के दौरान अपने वक्तव्य के दौरान सीएम ने उनके स्मरण में कहा “महंत महेंद्रनाथ जी ने न केवल देवीपाटन की सेवा की, बल्कि इस पूरे सीमावर्ती क्षेत्र के विकास की दिशा तय की। उनके कार्य आज भी जनमानस के लिए प्रेरणास्रोत हैं।”
मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत महेंद्रनाथ जी ने गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ जी के सानिध्य में रहकर मंदिर परिसर, शिक्षा, जनसेवा और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का जो अभियान शुरू किया था, आज 25 वर्षों बाद वह अपने मूर्त रूप में दिखाई दे रहा है。
इस अवसर पर देवीपाटन मंदिर परिसर में श्रीमद्भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने व्यासपीठ का पूजन किया और कथा व्यास संत बालकदास महाराज के श्रीमुख से श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण किया। उन्होंने कहा कि “भागवत कथा ज्ञान, भक्ति और वैराग्य की त्रिवेणी है। वैराग्य का अर्थ पलायन नहीं, बल्कि ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना है。”
*महंत महेंद्रनाथ जी ने सेवा को साधना बनाया*
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महंत महेंद्रनाथ जी ने गोरक्षपीठ की परंपरा को निभाते हुए देवीपाटन मंदिर के भौतिक और आध्यात्मिक विकास को नई दिशा दी।उन्होंने कहा कि जब महंत महेंद्रनाथ जी मंदिर की सेवा में आए थे, तब मंदिर परिसर सीमित सुविधाओं वाला था। धर्मशाला टूटी हुई थी, यात्रियों के लिए कोई विश्राम व्यवस्था नहीं थी, और श्रद्धालुओं को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था।
“जिस मंदिर के पास अपनी मूलभूत सुविधाएं न हों, वह दूसरों की सेवा कैसे कर सकता है? लेकिन महंत महेंद्रनाथ जी ने इस असंभव को संभव किया। उन्होंने मंदिर परिसर में धर्मशाला, यात्री विश्रामालय, प्रसाद वितरण केंद्र, गौसेवा केंद्र जैसी अनेक योजनाओं की नींव रखी। आज वह सब उनकी दूरदृष्टि का परिणाम है,” मुख्यमंत्री ने कहा。
*थारू जनजाति के बच्चों को दी शिक्षा की रोशनी*
मुख्यमंत्री ने बताया कि वर्ष 1994 में महंत महेंद्रनाथ जी ने सीमावर्ती थारू जनजाति के बच्चों के लिए एक उत्कृष्ट छात्रावास की स्थापना की थी।
उन्होंने कहा कि “यह छात्रावास पिछले 31 वर्षों से जनजातीय बच्चों को शिक्षा, अनुशासन और संस्कार की दिशा दे रहा है। आज इस छात्रावास से निकले अनेक बच्चे समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान दे रहे हैं — यही सच्चा राष्ट्रनिर्माण है।”
सीएम ने कहा कि भारत-नेपाल सीमा की संवेदनशीलता सर्वविदित है। इस क्षेत्र के थारू बहुल गांव कभी उपेक्षित थे, न सड़कें थीं, न स्कूल। “महंत महेंद्रनाथ जी ने उन बच्चों को मंदिर परिसर में लाकर शिक्षित और संस्कारित किया। उन्होंने दिखाया कि धार्मिक संस्थान यदि चाहें तो समाज के सबसे पिछड़े तबकों को भी मुख्यधारा से जोड़ सकते हैं。”
*“धार्मिक संस्थाएं केवल आस्था का नहीं, राष्ट्रीयता का केंद्र बनें”*
मुख्यमंत्री ने कहा कि धर्मस्थल केवल पूजा-पाठ या उपासना का स्थान नहीं हैं, बल्कि ये राष्ट्रीय चेतना के केंद्रबिंदु बन सकते हैं।उन्होंने कहा कि “देवीपाटन मंदिर ने इस दिशा में उत्कृष्ट कार्य किया है। यहां मां पाटेश्वरी के नाम से सीबीएसई बोर्ड से मान्यता प्राप्त विद्यालय संचालित हो रहा है, जहां स्थानीय और सीमावर्ती गांवों के बच्चे आधुनिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।”
योगी आदित्यनाथ ने कहा “अगर हमारे धार्मिक स्थल समाज को राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व का बोध कराने लगें, तो कोई भी विधर्मी या राष्ट्रविरोधी तत्व कभी पनप नहीं सकता।”
*राष्ट्र वंदना का अर्थ कर्तव्य है, केवल पूजा नहीं*
मुख्यमंत्री ने राष्ट्र वंदना को “कर्तव्य की साधना” बताते हुए कहा “वंदे मातरम केवल गीत नहीं है। जब कोई नागरिक ईमानदारी से अपने कर्तव्यों का पालन करता है, तब वही धरती माता की सच्ची वंदना है। शिक्षक जब छात्र को संस्कारवान बनाता है, व्यापारी ईमानदारी से कर देता है, पुलिसकर्मी ड्यूटी निभाता है, और विद्यार्थी अध्ययन में रत रहता है वही राष्ट्र वंदना है।”
उन्होंने कहा कि इस मठ ने ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए ही सेवा कार्यों की शुरुआत की। गोरक्षपीठाधीश्वर पूज्य महंत अवेद्यनाथ जी की प्रेरणा से महंत महेंद्रनाथ जी ने जो बीज बोए, वे आज वटवृक्ष बन चुके हैं。
सीएम ने कहा कि “जो भी अच्छा गोरखपुर में होता था, महंत महेंद्रनाथ जी उसे बलरामपुर में लाने का प्रयास करते थे। अच्छाई की नकल करनी चाहिए, बुराई की नहीं यही उनका संदेश था,”
*“कच्ची नींव पर पक्की इमारत नहीं बन सकती”*
मुख्यमंत्री ने युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि आज की युवा पीढ़ी को जागरूक होकर अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि “स्मार्टफोन जरूरी है, लेकिन इसका विवेकपूर्ण उपयोग करें। डिजिटल लाइब्रेरी या शिक्षा के कंटेंट के लिए तो यह आवश्यक है, लेकिन दिनभर इससे चिपके रहने से श्रम, शक्ति और सोचने की क्षमता खत्म हो जाएगी। मेहनत ही जीवन की सच्ची पूंजी है। कच्ची नींव पर पक्की इमारत नहीं बनती, पक्की नींव ही सफलता का आधार है।”
सीएम ने कहा कि युवाओं को सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए। “नकारात्मकता व्यक्ति का नहीं, राष्ट्र का भी नुकसान करती है। अध्ययन, परिश्रम और राष्ट्रभक्ति – यही सफलता के तीन सूत्र हैं。”
*“यह वर्ष भारत के लिए सौभाग्यशाली”*
अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2025 भारत के लिए ऐतिहासिक और सौभाग्यशाली है।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के 150 वर्ष पूरे हुए हैं, भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम के भी 150 वर्ष हो रहे हैं, आबा भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के 150 वर्ष पूरे हो रहे हैं, और डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान को भी 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि “यह वर्ष भारत की एकता, अखंडता और संविधान की आत्मा का उत्सव है,” ।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने दो बातें कही थीं
“देश की स्वतंत्रता का अर्थ केवल आज़ादी नहीं, बल्कि उसे अक्षुण्ण बनाए रखने का संकल्प भी है。”
*“वंदे मातरम” – एकता और बलिदान का गीत*
मुख्यमंत्री ने कहा कि “वंदे मातरम” केवल राष्ट्रगीत नहीं, बल्कि भारत माता की वंदना का मंत्र है।
उन्होंने कहा “हर क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी ने वंदे मातरम गाते हुए फांसी के फंदे को चूमा, लेकिन कभी विदेशी सत्ता के आगे झुका नहीं। यह गीत भारत माता को साक्षात देवी के रूप में स्थापित करता है और हमें हमारे राष्ट्रीय दायित्वों की याद दिलाता है।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की स्मृति में 15 नवंबर को “जनजातीय गौरव दिवस” घोषित किया है। यह निर्णय भारत की जनजातीय परंपराओं को सम्मान देने का उदाहरण है।
*“संविधान – भारत की आत्मा”*
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर को भारत के संविधान का शिल्पी बताते हुए कहा कि भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे सशक्त संविधान है।
उन्होंने कहा कि “यह संविधान हमें उत्तर से दक्षिण और पूरब से पश्चिम तक एकता के सूत्र में जोड़ता है। हर नागरिक को समान अधिकार देता है और सरकार चुनने की शक्ति आम जनता के हाथ में सौंपता है।”
सीएम ने कहा कि डॉ. आंबेडकर ने समाज के वंचित वर्गों को प्रेरित किया कि वे सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाएं। “उन्होंने कहा था कि आगे बढ़ना है तो जीवन में सकारात्मकता रखिए, नकारात्मकता केवल पतन लाती है। यही संतों और महापुरुषों का भी संदेश रहा है।”
*“सकारात्मक भाव से काम कर रही हैं सरकारें”*
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने 11 वर्षों में विकास की नई ऊँचाइयाँ छुई हैं।
“आज हर क्षेत्र में भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। प्रदेश सरकार भी ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प के साथ काम कर रही है। यह वंदे मातरम की भावना को व्यवहार में लाने का समय है। जब नागरिक, शिक्षक, व्यापारी, पुलिसकर्मी और छात्र – सब अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से करते हैं, तो वही राष्ट्र वंदना है।”
*महंत महेंद्रनाथ जी की विरासत – सेवा, शिक्षा और संस्कार*
मुख्यमंत्री ने कहा कि देवीपाटन मंदिर की यह परंपरा सिर्फ आस्था की नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण की परंपरा है।
महंत महेंद्रनाथ जी ने 25 वर्ष पूर्व जो कार्य प्रारंभ किए, वे आज समाजसेवा के नए प्रतिमान बन चुके हैं
जिसमें थारू छात्रावास से लेकर सीबीएसई विद्यालय तक,गौसेवा केंद्र से लेकर जनकल्याण परियोजनाओं तक,धर्मशाला व यात्री विश्रामालयों से लेकर निःशुल्क प्रसाद वितरण केंद्र तक शामिल है जो हर कार्य समाज को जोड़ने वाला है।
सीएम योगी ने कहा “महंत महेंद्रनाथ जी ने जो बीज बोया था, वह आज महकता हुआ वटवृक्ष बन चुका है। देवीपाटन मंदिर अब लोककल्याण का सशक्त केंद्र है।”
*“धर्मस्थल लोककल्याण के मजबूत केंद्र बनें”*
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि किसी भी धर्मस्थल का दायित्व केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं होना चाहिए。
“उसे समाज की आस्था का प्रतीक बनते हुए लोककल्याण और जनकल्याण के लिए समर्पित होना चाहिए। देवीपाटन मंदिर ने इस आदर्श को व्यवहार में उतारा है।
उन्होंने कहा कि जब मंदिर, मठ और धार्मिक संस्थाएं समाज के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और सेवा की योजनाएं चलाती हैं, तब धर्म अपने वास्तविक अर्थ में प्रकट होता है。“धर्म का अर्थ पूजा विधि नहीं, बल्कि वह व्यवस्था है जो लोक और परलोक दोनों के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करे,” सीएम ने कहा。
*“कर्तव्य ही राष्ट्र की शक्ति है”*
अपने विस्तृत संबोधन के अंत में मुख्यमंत्री ने कहा
“जब हर व्यक्ति अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन करता है, तभी देश मजबूत होता है। धर्म, शिक्षा और समाजसेवा — इन तीनों का समन्वय ही राष्ट्र निर्माण का सूत्र है। यही महंत महेंद्रनाथ जी की शिक्षाओं का सार है।”उन्होंने कहा कि आज जब देश अपने अमृत काल में प्रवेश कर रहा है, तब प्रत्येक व्यक्ति को अपने दायित्वों का स्मरण करना चाहिए।
“महंत महेंद्रनाथ जी जैसे संतों ने हमें सिखाया कि सेवा ही साधना है, और कर्तव्य ही पूजा। उनकी यह प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बनी रहेगी।"
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