Back
जयपुर में वन सिटी वन कॉर्पोरेशन, बदलेगा राजनीतिक और विकास खाका
DGDeepak Goyal
Oct 14, 2025 08:15:50
Jaipur, Rajasthan
राजधानी में अब एक ही नगर निगम होगा। दो हिस्सों में बंटे ग्रेटर और हेरिटेज के छह साल पुराने प्रयोग को राज्य सरकार ने खत्म कर दिया है। सरकार ने 150 वार्डों की अधिसूचना जारी कर दी है और पहली बार नगर सीमा का विस्तार किया गया है। इसका असर सिर्फ नक्शे या वार्ड लिस्ट तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि आने वाले महीनों में राजधानी के सियासत, प्रशासनिक ढांचा, और आम नागरिकों के रोज़मर्रा के जीवन तक गहराई से महसूस किया जाएगा।
:::::::::::::::::::::
वीओ-1- छह साल का बंटवारा अब खत्म हो चुका है। जयपुर फिर एक नक्शे पर लौट आया है। शहर में एक ही नगर निगम होने पर मुहर लगने के साथ ही परिदृश्य में आमूलचूल परिवर्तन की शुरुआत हो गई है। शहर, शहरवासियों के साथ ही सियासत, सत्ता और सिस्टम पर भी बदलाव का असर पड़ेगा। आगामी निगम चुनाव में 150 वार्डों का भूगोल, सियासी सीन बिलकुल नए दिखेंगे। फिर बदलेगा निगम का खाका। अफसर से स्टाफ तक कम होंगे। वाडों की सीमा और जनसंख्या बढ़ने से जनप्रतिनिधियों की पावर बढ़ेगी। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने बेहतर स्थानीय शासन की सोच के साथ जयपुर को दो हिस्सों हेरिटेज और ग्रेटर में बांटा था। मकसद था कामकाज की रफ्तार में तेजी और ज़मीनी स्तर पर जवाबदेही। लेकिन नतीजा उल्टा निकला। सीमाओं के विवाद, विभागीय टकराव, और विकास कार्यों के असमान बंटवारे ने व्यवस्था को उलझा दिया। अब भाजपा सरकार ने फिर से वन सिटी, वन कॉर्पोरेशन मॉडल लागू हुआ है। एक्सपर्ट का मानना है इस बार शहर की प्लानिंग और प्रशासनिक एलाइनमेंट पहले से कहीं ज़्यादा संगठित और जवाबदेह होगा। 30 साल बाद पहली बार शहरी सीमाओं का विस्तार किया गया है। इसका असर सीधे राजनीतिक पटल पर भी दिखेगा। मौजूदा बोर्ड की तुलना में 100 पार्षद कम हो जाएंगे, चेयरमैन की संख्या घट जाएगी और कई अधिकारी पद भी खत्म होंगे। वहीं महापौर और पार्षदों का राजनीतिक कद और जिम्मेदारी दोनों बढ़ेंगी। सरकार दो अतिरिक्त आयुक्त लगाने पर विचार कर रही है। संभावना है कि आयुक्त के लिए सीनियर आइएएस और अतिरिक्त आयुक्त के लिए दो जूनियर आइएएस को को नियुक्त नियुक्त किया जाएगा।
:::::::::::::::::::::::::::
बाइट-अशोक सिंह, पूर्व लॉ डायरेक्टर
बाइट-जगरूप सिंह यादव, पूर्व नगर निगम कमिश्नर
:::::::::::::::::::::::::::
वीओ-2- दोनों निगमों के अस्तित्व में रहने से शहर हैरिटेज और ग्रेटर के बीच बंट गया था। कहीं सफाई का बजट ज्यादा, कहीं सीवरेज का टेंडर लटका हुआ। अब एक ही निगम होने से एक ही बजट, एक ही एजेंसी और एक ही जवाबदेही होगी। इससे उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाओं का लाभ हर वार्ड तक समान रूप से पहुंचेगा। जो क्षेत्र अब तक उपेक्षित कहलाते थे, वहाँ विकास की रफ्तार बढ़ सकती है। दो निगमों के समय में न सिर्फ प्रशासनिक खर्चे दोगुने हुए, बल्कि आय का अंतर भी बढ़ गया। अब एकीकृत निगम में वाहन, दफ्तर और चेयरमैन की संख्या घटने से लाखों रुपए की बचत होगी। उधर एकीकृत नगर निगम होने से जयपुर मेयर का क्षेत्र सांसद से बडा होगा......जयपुर संसदीय क्षेत्र में विद्याधर नगर, मालवीय नगर, सांगानेर, किशनपोल, आदर्श नगर, हवामहल, बगरू और सिविल लाइनों विधानसभा क्षेत्र आते हैं..... वहीं नगर निगम की नई सीमा में झोटवाड़ा और आमेर विधानसभा का भी हिस्सा शामिल हो गया है....मेयर किस वर्ग से होगा, फैसला जल्द राज्य सरकार लॉटरी से करेगी। इसके बाद वाडों में आरक्षण प्रक्रिया शुरू होगी। वाडों की सीमा और मतदाता बढ़ने से पार्षदों की पावर और कद भी बढ़ेगा। विकास कार्य की राशि भी ज्यादा मिलेगी। फिलहाल ग्रेटर और हैरिटेज नगर निगम में 56 चेयरमेन हैं। इनके वाहनों और कार्यालयों पर सालाना लाखों रुपए खर्च होते हैं। अब संख्या घटने से खर्चा भी कम होगा। अभी बोर्ड को 21 और राज्य सरकार को 7 समितियां बनाने का अधिकार है। नए बोर्ड में कुल 28 समितियां काम करेंगी। अभी तक 250 पार्षद हैं, जिनमें से 100 कम हो जाएंगे। यानी जनता का सीधा प्रतिनिधित्व घट जाएगा। हालांकि, वार्डों का दायरा बढ़ने से जनसंख्या भी बढ़ी है। ऐसे में विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त बजट मिलना तय है। निगम के लिए राजस्व जुटाना चुनौती रहेगा। 6 साल पूर्व एकीकृत निगम में भाजपा बोर्ड का अंतिम बजट 2019-20 में 1870 करोड रुपए का था। 6 साल में दोनों नगर निगम का बजट 2200 से 2500 करोड़ तक पहुंच गया। हालांकि दोनों निगम के खर्च बढ़े....हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि एकीकृत नगर निगम होने से आर्थिक नुकसान कम होगा। आय बढ़ने से विकास कार्यों पर भी समान खर्च होगा।
:::::::::::::::::::::::::::
बहरहाल, बहरहाल, एक निगम, एक मेयर मॉडल से सत्ता का केंद्रीयकरण होगा। अब निर्णय प्रक्रिया में स्पष्टता आएगी और विभागों के बीच विवादों में कमी आने की उम्मीद है। शहर के लिए यह सिर्फ प्रशासनिक नहीं, बल्कि राजनीतिक संतुलन का भी नया अध्याय होगा....जहां कम पार्षद, बड़े वार्ड और अधिक जनसंख्या के साथ जवाबदेही का पैमाना भी बढ़ जाएगा। छह साल का बंटवारा अब खत्म हो चुका है। जयपुर फिर एक नक्शे पर लौट आया है लेकिन इस बार सवाल यह होगा कि एक निगम की यह नयी कहानी, आम नागरिक के लिए कितना नया सवेरा लेकर आएगी?
0
Report
हमें फेसबुक पर लाइक करें, ट्विटर पर फॉलो और यूट्यूब पर सब्सक्राइब्ड करें ताकि आप ताजा खबरें और लाइव अपडेट्स प्राप्त कर सकें| और यदि आप विस्तार से पढ़ना चाहते हैं तो https://pinewz.com/hindi से जुड़े और पाए अपने इलाके की हर छोटी सी छोटी खबर|
Advertisement
VRVIJAY RANA
FollowOct 14, 2025 11:31:460
Report
AMAsheesh Maheshwari
FollowOct 14, 2025 11:31:300
Report
RRRakesh Ranjan
FollowOct 14, 2025 11:31:050
Report
OBOrin Basu
FollowOct 14, 2025 11:30:570
Report
2
Report
AMALI MUKTA
FollowOct 14, 2025 11:28:290
Report
KNKumar Nitesh
FollowOct 14, 2025 11:28:140
Report
0
Report
IKIsateyak Khan
FollowOct 14, 2025 11:27:410
Report
AMAsheesh Maheshwari
FollowOct 14, 2025 11:27:250
Report
RKRishikesh Kumar
FollowOct 14, 2025 11:27:160
Report
RRRakesh Ranjan
FollowOct 14, 2025 11:27:010
Report
TSTripurari Sharan
FollowOct 14, 2025 11:26:470
Report
SKSanjay Kumar Verma
FollowOct 14, 2025 11:26:350
Report
ADAnup Das
FollowOct 14, 2025 11:25:010
Report