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जयपुर फायर ब्रिगेड संकट: 50 लाख आबादी के लिए सिर्फ 60 दमकल, संसाधन भारी कमी
DGDeepak Goyal
Oct 15, 2025 11:29:06
Jaipur, Rajasthan
दीपक गोयल/जयपुर ने राजधानी की चमक-दमक के पीछे छिपा एक डरावना सच दिखाया है. अगर जयपुर में कहीं अलग-अलग लोकेशन पर एक साथ बड़ी आग लग जाए, तो बुझाने वाला सिस्टम खुद धुएं में गुम हो जाएगा. पचास लाख की आबादी वाला राजधानी जयपुर में आग बुझाने का जिम्मा संभालने वाला फायर ब्रिगेड खुद ‘बुझी हुई चिंगारियों’ Sabit हो रहा है. शहर की ऊंची इमारतें, बढ़ती आबादी और तंग गलियां सबके बीच फायर ब्रिगेड का सिस्टम संसाधनों के अभाव में धुआं-धुआं हो चुका है. नेशनल फायर प्रोटेक्शन एसोसिएशन (NFPA) के मानक कहते हैं हर 50 हजार आबादी पर एक दमकल जरूरी हैं. यानी जयपुर जैसे शहर को चाहिए कम से कम 100 फायर टेंडर होने चाहिए, लेकिन हकीकत यह कि शहर के पास केवल 60 दमकलें हैं. बाकी जरूरतें कागजों की आग में जल रही हैं. जिन्हें दमकल को आग पर काबू पाना होता है, वे खुद मेंटेनेंस के अभाव में धुआं उगल रही हैं. इंजन पुराने, टायर घिसे, पाइप लीक और फिटिंग जर्जर हालत में हैं; कई बार दमकल मौके पर पहुंचती है, पर खुद फायर फिट नहीं होती. पूरे शहर में सिर्फ एक 72 मीटर की हाइड्रोलिक प्लेटफॉर्म एरियल लैडर काम कर रही है, जबकि चारदीवारी क्षेत्र के लिए 42 मीटर की लैडर डेढ़ साल से घाटगेट फायर स्टेशन पर जंग खा रही है. सेंसर खराब हैं और मरम्मत के नाम पर फाइलें धूल खा रही हैं. सिर्फ वाहन ही नहीं, फायरमैन और तकनीकी स्टाफ की कमी भी गंभीर है. कई फायर स्टेशन ऐसे हैं जहां एक पूरी पारी का स्टाफ एक दमकल के बराबर नहीं. बिल्डिंग परमिशन से लेकर एनओसी तक कागजों पर सब ‘सुरक्षित’ दिखता है, लेकिन जब हादसा होता है तो सिस्टम नाकाम साबित होता है. फायर स्टेशनों और दमकलों की कमी से दूरी और फेरे ज्यादा लगाने पड़ते हैं. अजमेर रोड भांकरोटा में आगजनी की घटना हो जाए तो मानसरोवर या बिंदायका से दमकलों को बुलाया जाता है, जिसके लिए दमकलकर्मियों को 10 से 12 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती है. इसी तरह आगरा रोड पर आगजनी की घटना होने पर बस्सी या घाटगेट फायर स्टेशन से दमकलों को बुलाना पड़ता है, जब तक आग विकराल रूप ले लेती है. निगमन हैरिटेज-ग्रेटर में फायर स्टेशनों की संख्या-12, छोटी-बड़ी दमकलों की संख्या-60, CF0-1, FO-3, AFO-8, फायरमैन-474, ड्राइवर-174. ये बड़ी कमियाँ हैं. वर्तमान में 12 फायर स्टेशन, कुछ के प्रस्ताव कागजों में. जयपुर शहर और नगर निगम का दायरा तेजी से फैल रहा है. जयपुर में 12 फायर स्टेशन हैं जो शहर के लिए काफी नहीं हैं. नगर निगम की फायर समिति ने नए स्टेशनों का प्रस्ताव मंजूर किया, लेकिन यह कागजों में ही रह गया. वर्तमान में VKI, झोटवाड़ा, बिंदायका, मानसरोवर, सीतापुरा, जगतपुरा, मालवीय नगर, बाइस गोदाम, चौगान स्टेडियम, घाटगेट, आमेर और बनीपार्क में फायर स्टेशन हैं, और मानसरोवर पत्रकार कॉलोनी, वैशाली- पृथ्वीराज नगर, आगरा रोड, भांकरोटा में प्रस्तावित हैं. 10 लाख की आबादी पर भी 169 पद सृजित और 50 लाख की आबादी पर भी 169 पद. फायर ब्रिगेड बेड़े में 169 पद तब सृजित हुए थे जब शहर की आबादी 10 लाख हुआ करती थी. आज 50 लाख की आबादी पर भी यही पद हैं. जो अतिरिक्त भर्तियां हुई हैं, वे संविदा पर हैं. बड़े हादसों के लिए ये लोग इसलिए तैयार नहीं क्योंकि इनके लिए लॉन्ग टर्म के प्रॉपर ट्रेनिंग प्रोग्राम नहीं. इन्हें सिर्फ 15 दिन की ट्रेनिंग मिली है. फायर सूट ही नहीं, कैसे बचे लपटों से जिंदगी. आग में फंसे लोगों को निकालने के लिए सबसे अहम संसाधन फायर सूट बेड़े में होना जरूरी है, लेकिन फायर ब्रिगेड के पास यह नहीं है. ऐसे में धधकती लपटों के बीच से जिंदगी को बचाना आसान नहीं है. एल्युमिनियम और एसबेस्टस के बने इस सूट को पहनकर फायरमैन लोगों को बचा सकते हैं. 50 लाख की आबादी वाले शहर में 72 मीटर की सिर्फ एक हाइड्रोलिक प्लेटफ़ॉर्म एरियल फायर लैडर है. यह एक गाड़ी मानसरोवर के फायर स्टेशन पर रहती है, जबकि चौगान-घाटगेट क्षेत्र के लिए 42 मीटर ऊंचाई तक आग बुझाने वाला एरियल लैडर पिछले दो साल से खराब पड़ा है. गलियों में अग्निकांडों से निबटने के लिए ठोस इंतजाम नहीं हैं. कम संसाधनों में आग के बीच जाना खतरा बना रहता है. फायरफाइटर बताते हैं कि ट्रैफिक और गलियों की तंगाई के कारण मौके पर समय से पहुंचना मुश्किल होता है. अगर फायर सूट मिले जाते, तो भी ड्यूटी जल्दबाज़ी से करनी पड़ती है. हालांकि आग से बढ़ती घटनाओं के अनुसार इक्विपमेंट मौजूद नहीं है, इसकी प्रशासन से डिमांड की गई है. सवाल यह है कि बड़े होटल, मॉल और मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में फायर सेफ्टी अनिवार्य है, फिर जयपुर की सेंट्रल फायर सेफ्टी इतनी पंगु क्यों है? जयपुर जैसी राजधानी में आग बुझाने वाला सिस्टम अब खुद में जांच की आग में है. कहीं अगली बड़ी आग सिर्फ इमारतें नहीं, सिस्टम की लापरवाही को भी राख बना दे.
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DMDILEEP MISHRA
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FollowOct 15, 2025 13:39:44Noida, Uttar Pradesh:जयपुर। राजेश कुमावत को निगम हैरिटेज में चेयरमैन बनाया गया। NULM कमेटी का चेयरमैन नियुक्त किया गया। मोहम्मद जकरिया के इस्तीफे के बाद चेयरमैन बनाया गया। DLB डायरेक्टर ने आदेश जारी किए।
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FollowOct 15, 2025 13:38:05Noida, Uttar Pradesh:इस अवसर पर श्रीराम राजा लोक प्रथम चरण निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया गया।
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