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राजस्थान और MP के बीच चीता कॉरिडोर खटाई में, एंट्री और मंजूरी उलझी
ACAshish Chauhan
Oct 24, 2025 14:35:57
Jaipur, Rajasthan
राजस्थान-मध्य प्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर खटाई में-कंचरवेशन अथॉरिटी का राजस्थान में एंट्री से इंकार,एमपी ने कॉरिडोर की नहीं दी मंजूरी
जयपुर-राजस्थानमध्य प्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर प्रोजेक्ट मुश्किल में है.क्योंकि टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने स्पष्ट किया है कि एमपी की चीतों की राजस्थान में बसाहट नहीं होगी.ऐसे में अब ये माना जा रहा है कि दोनों राज्यों के बीच चीता कॉरिडोर खटाई में है..आखिरकार चीता कॉरिडोर कैसे खटाई में चला गया...देखे इस खास रिपोर्ट में!
चीता कॉरिडोर खटाई की दो बड़ी वजह-
राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर खटाई में चला गया.इसकी दो सबसे बडी वजह है.पहला रिपोट्स की माने तो टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी ने मुहर लगाई है जिसमें मध्यप्रदेश के चीतों की राजस्थान में बसाहट नहीं होगी.दूसरी वजह मध्यप्रदेश ने अब तक राजस्थान को चीता कॉरिडोर की मंजूरी नहीं दी.चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन शिखा मेहरा का कहना है कि दोनों राज्यों के बीच अब तक एमओयू नहीं हुआ.मध्यप्रदेश को कॉरिडोर का प्रपोजल भेजा हुआ है,लेकिन राजस्थान को अब तक मंजूरी नहीं दी गई.हालांकि चीतों की राजस्थान में एंट्री की रोक पर उन्होंने कहा कि ऐसा लिखित में अब तक कोई आदेश जारी नहीं किया गया.दोनों ही वजहों के लगता है कि राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चीता कॉरिडोर पूरी तरह से खटाई में चला गया.दोनों स्टेट के बीच 17 हजार वर्ग किलोमीटर का चीता कॉरिडोर बनना था.
कॉरिडोर में राजस्थान का 6500 वर्ग किमी एरिया-
चीता कॉरिडोर के तहत मध्यप्रदेश का 10,500 वर्ग किमी क्षेत्र और राजस्थान का 6500 वर्ग किमी क्षेत्र शामिल था,कॉरिडोर में चीते कूनो नेशनल पार्क से राजस्थान के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व से होते हुए गांधी सागर सेंचुरी तक मूव कर पाते.ये कॉरिडोर राजस्थान के कोटा,बूंदी,बांरा,झालावाड,सवाईमाधोपुर,करौली,चितोडगढ में आता.राजस्थान ने वर्ल्ड वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट से अनुरोध कर कॉरिडोर के लिए सर्वे भी कराया.
इन क्षेत्रों में बनता कॉरिडोर-
मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व, शेरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, रामगढ़ विषधारी टाइगर रिजर्व, रणथंभौर टाइगर रिजर्व और भैंसरोड़गढ़ सेंचुरी क्षेत्र में चीता कॉरिडोर बनता.चीता कॉरिडोर के तहत वन्यजीव जंगल से खुद अपना रास्ता बनाते.इस कॉरिडोर से चीता संरक्षण को मजबूत करना,जैव विविधता बढ़ाना और पर्यटन को बढ़ावा देना था.राज्य में धौलपुर से लेकर रावतभाटा तक 400 किलोमीटर के वन एरिया में चीता कॉरिडोर बनना था.चीतों के संरक्षण के लिए 25 सालों की प्लानिंग थी.
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