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जयपुर जिले में अमरसर से पंचायत राजनीति में नया संतुलन बना
DGDeepak Goyal
Dec 31, 2025 02:34:53
Jaipur, Rajasthan
कई महीनों की खींचतान और फाइलों की आवाजाही के बाद आखिरकार सरकार ने जयपुर को एक नई पंचायत समिति का तोहफा दे दिया। अमरसर अब आधिकारिक रूप से नई पंचायत समिति बन गई है। ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग की ताज़ा अधिसूचना ने न सिर्फ अमरसर की पहचान बदली, बल्कि जयपुर जिले की पंचायत राजनीति का पूरा गणित ही नए सिरे से लिख दिया। अब जयपुर जिले में पंचायत समितियों की संख्या 22 और ग्राम पंचायत की संख्या 597 हो गई है। वही पंचायत समितियो के वार्डो का निर्धारण कर प्रारूप प्रकाशन कर दिया है जिस पर आपत्ति मांगी गई है। अगले साल होने वाले चुनावों में यही नया ढांचा मैदान में होगा।
काफी लंबे समय से चल रही खींचतान के बाद आखिरकार जयपुर की पंचायत राजनीति में बड़ा बदलाव सामने आया है। राज्य सरकार ने अमरसर को नई पंचायत समिति का दर्जा देकर न सिर्फ एक क्षेत्रीय मांग को पूरा किया है। बल्कि पूरे जिले के ग्रामीण सत्ता-संतुलन को नए सिरे से गढ़ दिया है। ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग की ताज़ा अधिसूचना के साथ अमरसर अब औपचारिक रूप से एक अलग पहचान के साथ प्रशासनिक नक्शे पर उभर आया है। जिसमें 22 ग्राम पंचायतों को शामिल किया गया है। इस फैसले के बाद जयपुर जिले में पंचायत समितियों की संख्या बढ़कर 22 हो गई है। वही जयपुर जिले में ग्राम पंचायत की संख्या 597 हो गई है। खास बात यह है कि इसी नए ढांचे के आधार पर अगले साल पंचायत चुनाव कराए जाएंगे। यानी गांव की राजनीति में अब नए चेहरे, नए केंद्र और नए समीकरण देखने को मिलेंगे। पुनर्गठन ने पुरानी पंचायत समितियों के कद-काठी को भी बदल दिया है। बस्सी अब जिले की सबसे बड़ी पंचायत समिति बनकर उभरी है, जहां 41 ग्राम पंचायतें हैं। दूसरी ओर झोटवाड़ा और शाहपुरा ऐसी पंचायत समितियां बन गई हैं, जिनका दायरा अब सिमटकर 19-19 ग्राम पंचायतों तक रह गया है। वहीं जमवारामगढ़, चाकसू, चौंमू और आंधी जैसी पंचायत समितियां ऐसी हैं, जहां 30 से ज्यादा ग्राम पंचायतें होने के कारण प्रशासनिक दबाव भी ज्यादा रहेगा और राजनीतिक महत्व भी।
पुनर्गठन के बाद जयपुर जिले की ग्राम पंचायतें और पंचायत समितियों के प्रस्तावित वार्ड की संख्या
पंचायत समिति::ग्राम पंचायत:::पंचायत समितियों में प्रस्तावित वार्डों की संख्या
फागी::::::::::::::::::26::::::::::15
जमवारामगढ़::::::40::::::::::23
आंधी:::::::::::::::::::::34::::::::::19
चाकसू:::::::::::::::::::::32::::::::::17
कोटखावदा:::::::::::::::::::::27::::::::::15
बस्सी:::::::::::::::::::::41::::::::::25
तूंगा:::::::::::::::::::::25::::::::::15
जालसू:::::::::::::::::::::25::::::::::15
जोबनेर:::::::::::::::::::::28::::::::::19
गोविंदगढ़:::::::::::::::::::::27::::::::::19
दूदू:::::::::::::::::::::25::::::::::15
शाहपुरा:::::::::::::::::::::19::::::::::15
माधोराजपुरा:::::::::::::::25::::::::::15
मौजमाबाद:::::::::::::::::::::27::::::::::17
सांभरलेक:::::::::::::::::::::26::::::::::17
झोटवाड़ा:::::::::::::::::::::19::::::::::15
आमेर:::::::::::::::::::::25::::::::::::21
सांगानेर:::::::::::::::::::::23::::::::::15
किशनगढ़-रेनवाल:::::26::::::::::19
अमरसर:::::::::::::::::::::22::::::::::15
रामपुरा डाबड़ी::::::::::::::21::::::::::15
चौंמू:::::::::::::::::::::34::::::::::25
कुल:::::::::::::::::::::597::::::::::386
दरअसल जब सरकार ने इस साल पंचायत समितियों के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू की थी। तब जयपुर जिले में 19 पंचायत समितियां थीं। उस समय जिला प्रशासन की ओर से चौंमू, रामपुरा-डाबरी, अमरसर और बांसखो को नई पंचायत समिति बनाने का प्रस्ताव रखा गया था। नवंबर में चौंमू और रामपुरा-डाबरी को हरी झंडी मिल गई, लेकिन अमरसर और बांसखो का मामला अटक गया। अब नए सिरे से समीक्षा के बाद अमरसर को पंचायत समिति बनाने को मंजूरी मिल गई है। जबकि बांसखो अब भी इंतजार की कतार में है। इस पूरे बदलाव का एक अहम पहलू राजनीतिक ताकत के गणित से जुड़ा है। पंचायत समितियों के साथ-साथ वार्डों का निर्धारण भी कर दिया गया है। जिसकी प्रारूप प्रकाशन कर दिया गया है 5 जनवरी तक आमजन इन पर आपत्तियां दर्ज कर सकता है। बस्सी और चौंमू ऐसी पंचायत समितियां बन गई हैं, जहां सबसे ज्यादा यानी 25-25 वार्ड प्रस्तावित किए गए हैं। यही नहीं जिला परिषद स्तर पर भी तस्वीर बदलने वाली है। जहां 51 की जगह अब 57 वार्ड प्रस्तावित किए गए हैं।
बहरहाल, स्थानीय स्तर पर इसे प्रशासनिक सुविधा, विकास और राजनीतिक प्रतिनिधित्व तीनों के लिहाज से बड़ा कदम माना जा रहा है। अमरसर की एंट्री के साथ जयपुर जिले की पंचायत राजनीति में नया संतुलन, नई ताकतें और नए समीकरण बन चुके हैं। सत्ता की हिस्सेदारी अब पहले से ज्यादा बंटेगी और चुनावी मुकाबला और तीखा होगा। जयपुर जिले के लिए यह पुनर्गठन आने वाले पंचायत चुनावों से पहले एक बड़ा राजनीतिक प्रयोग है, जिसका असर गांव-गांव की राजनीति में साफ दिखाई देगा।
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