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उज्जैन के शमशान में तांत्रिक साधना से स्थिर लक्ष्मी और चुनावी असर
ASANIMESH SINGH
Oct 19, 2025 14:30:48
Ujjain, Madhya Pradesh
धनतेरस की कालरात्रि पर विक्रांत भैरव शमशान में गूंजे तंत्र मंत्र – चुनावी जीत और स्थिर लक्ष्मी के लिए गुप्त साधना! उज्जैन की रात... धनतेरस की ‘कालरात्रि’... और शिप्रा नदी के किनारे बसा विक्रांत भैरव शमशान घाट —जहां दीपों की नहीं, रहस्यों की लौ जलती है... जहाँ मंत्रों की गूंज में रात का सन्नाटा काँप उठता है... और जहाँ इस बार, दिवाली के पहले की रात तांत्रिकों की गुप्त साधना से हिल उठा पूरा माहौल। उज्जैन धर्मनगरी — भगवान महाकाल की नगरी, अष्ट भैरव चारों दिशाओं की रक्षा करते हैं। इन्हीं में से एक हैं विक्रांत भैरव —जिनका शमशान घाट तंत्र साधकों के लिए सिद्धपीठ माना जाता है। दीपावली की कालरात्रि पर यहां जुटे साधकों ने रातभर की साधना शुरू की —स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति, मंत्र सिद्धि और चुनावी विजय के लिए। विक्रांत भैरव शमशान, जो शिप्रा नदी के पास स्थित है, उस रात रहस्य से भर गया था। पेड़ों की शाखाएँ लगातार हिल रही थीं, कहीं दूर से कुत्तों के चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं, और सन्नाटे में गूंज रहे थे सिर्फ तंत्र मंत्रों के स्वर। यह दृश्य देखने वालों के रोंगटे खड़े कर देने वाला था। साधक पहले भगवान विक्रांत भैरव को तामसिक भोग चढ़ाते हैं —मदिरा की धार अर्पित करते हैं, और फिर श्मशान के खाली चिता-स्थलों के बीच बैठकर अपनी तांत्रिक क्रियाएं आरंभ करते हैं। उसी क्रम में उज्जैन के आचार्य जयवर्धन माता कामाख्या साधक ने अपनी विशेष साधना संपन्न की। उनका कहना है — तामसिक भोग के साथ-साथ मिष्ठान का भोग भी माता को अर्पित किया जाता है। दस महाविद्याओं — माता के अलग-अलग स्वरूपों — का आह्वान किया गया और अंतरिक्ष चरण के साथ भोग आरती की गई, जिससे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। इन दिनों बिहार में चल रहे चुनावों के बीच यह चर्चा तेज है कि कुछ नेता अपनी विजय सुनिश्चित करने के लिए उज्जैन के तांत्रिक स्थलों का सहारा ले रहे हैं। विक्रांत भैरव शमशान घाट पर हुई यह साधना इसी दिशा में की गई बताई जा रही है। हालांकि साधक जयवर्धन ने यह बताने से साफ इंकार कर दिया कि उन्होंने किस नेता या पार्टी के लिए विशेष पूजन किया है। गुप्त साधनाओं और रहस्यमय पूजाओं का यह दौर दीपावली के पांच दिवसीय महापर्व के दौरान लगातार जारी है। यह दृश्य एक बार फिर साबित करता है कि उज्जैन केवल भक्ति और अध्यात्म की नगरी नहीं, बल्कि तंत्र की राजधानी भी है जहां आस्था और रहस्य एक साथ सांस लेते हैं। दीपावली की रात जहां हर घर में लक्ष्मी का स्वागत हुआ, वहीं श Ship्रा तट के इस शमशान में स्थिर लक्ष्मी की साधना ने उज्जैन की तांत्रिक परंपरा को फिर जीवित कर दिया। कह सकते हैं —यह वही नगरी है, जहां महाकाल की छत्रछाया में भक्ति और तंत्र दोनों का संतुलन आज भी कायम है।
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