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365 साल बाद कुई कांडा नाग दशहरा में लौटे, ढालपुर में श्रद्धा की भारी भीड़
MTManish Thakur
Oct 03, 2025 09:22:45
Kullu, Himachal Pradesh
जिला कुल्लू के मुख्यालय ढालपुर मैदान में अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए सैकड़ो देवी देवता पहुंचे हैं। तो वही युवाओं की आस्था को देखते हुए उप मंडल निरमंड के तांदी गांव से देवता कुई कांडा नाग भी आखिर 365 सालों के बाद ढालपुर मैदान पहुंचे हैं। साल 1960 में देवता ने एक बार ही अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव में भाग लिया था। लेकिन उसके बाद किन्हीं कारणों के चलते देवता ने दशहरा में आना बंद कर दिया था। इस साल देवता से जुड़े हुए श्रद्धालुओं के द्वारा दशहरा उत्सव में जाने के लिए अरदास की गई। जिसे देवता ने सहर्ष स्वीकार किया और हजारों की भीड़ के साथ देवता 200 किलोमीटर पैदल चलकर ढालपुर पहुंचे हैं। जहां पर रोजाना हजारों श्रद्धालु उनके दर्शनों के लिए आ रहे हैं।
जिला कुल्लू के उपमंडल निरमंड की उप तहसील निथर के तांदी गांव से देवता अपने हारियान व देवलु के संग दशहरा उत्सव के लिए पहुँच गए हैं। देवता ने पहला पड़ाव घियागी में किया। दूसरे दिन देवता शनि मंदिर और अपनी यात्रा के तीसरे दिन देवता भुंतर पहुंचें। देवता के पुजारी गोविंद शर्मा ने बताया कि कुई कांडा नाग देवता किसी भी प्रकार की छत, प्रवेश द्वार और टनल होकर नहीं गुजरते हैं। लगभग 180 किलोमीटर से पैदल चलकर देवता को हारियान व देवलु कुल्लू पहुंचे हैं। इस यात्रा में यह भी तय किया गया है कि तांदी से किस गांव के लोग देवता को उठाएंगे। इससे आगे कौन सा गांव का कार्य रहेगा यह सब तय गया था। वही, हर घर से एक व्यक्ति का आना अनिवार्य है।
देवता के पुजारी गोविंद शर्मा ने बताया कि स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि कुई कांडा नाग देवता 1660 में पहली बार दशहरा उत्सव में भाग लेने आए थे। इसके बाद से देवता ने दशहरा उत्सव में भाग नहीं लिया। अब 365 साल के बाद फिर से देवता उत्सव में भाग लेने आ रहे हैं। इसके लिए इस साल क्षेत्र के युवाओं के द्वारा मंदिर में बैठक की गई थी और देवता से भी अनुमति मांगी गई थी। ऐसे में देवता ने भी दशहरा उत्सव में भाग लेने के लिए अपनी अनुमति दी थी।
आपदा से बचाव करते हैं कुई कंडा नाग
पुजारी गोविंद शर्मा ने बताया कि तांदी के देवता कुई कांडा नाग को बूढ़ी नागिन माता का सबसे बड़ा पुत्र माना जाता है। इन्हें नौ नाग (नसेसर) के नाम से भी जाना जाता है। बूढ़ी नागिन माता के सरयोलसर झील में भी सभी देवता सीधे झील के चारों ओर परिक्रमा करते हैं लेकिन कुई कांडा नाग उलटी परिक्रमा देते हैं। विशेष रूप से सूखे या प्राकृतिक आपदाओं से बचाव के लिए देवता को जाना जाता है। उन्होंने बताया कि इस साल भी जब उनका पूरा इलाका बरसात से जूझ रहा था। तो सब ने मिलकर देवता से आपदा से बचाव की मांग रखी थी। जिसे देवता ने स्वीकार किया। देवता की कृपा से उनके पूरे इलाके में किसी भी व्यक्ति का कोई नुकसान नहीं हुआ है। वही, देवता महामारी को दूर भगाने, बारिश देने के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। तांदी, शेउगी, लटाडागई, घोरला, रूवा, ग्वाल, लुहरी में भी देवता के मंदिर है। देवता का मंदिर तीन गढ़ हिमरी, सिरिगढ, नारयण गढ की चोटी पर स्थित है। देवता के साथ छियारा, पांचवीर, जल देवता, मशान देवता, बंशीरा, न्या देवता, जाछनी देवता, काली भगवती भी वास करते हैं। देवता के रथ में माता भुवनेश्वरी माता, जलेश्वरी भी विराजमान है।
बाइट - गोविंद शर्मा पुजारी देवता कुई कांडा नाग
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