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अल्मोड़ा के कसार देवी मंदिर: चुंबकीय ऊर्जा और NASA की खोज
DBDEVENDRA BISHT
Nov 20, 2025 03:38:07
Almora, Uttarakhand
उत्तराखंड में आपको कई मंदिर दिख जाएंगे, जिनका अपना महत्व है, लेकिन अल्मोड़ा के कसार देवी का एक अलग ही ऐतिहासिक महत्व है, जहां ये मंदिर अपने चुंबकीय प्रभाव के लिए मशहूर है. अगर आप नवरात्रि में देवी के मंदिर में जाने का सोच रहे हैं, तो एक बार इस मंदिर में जरूर जाएं. अल्मोड़ा के कसार देवी क्षेत्र में ध्यान, शांति, मेडिटेशन के लिए दुनियां भर से लोग पहुंचते हैं. यहाँ रहकर साधना करने वाले साधक और विद्वानों में स्वामी विवेकानंद और गोविंदा लामा जैसी शख्सियतें रही हैं. अब नासा के वैज्ञानिक भी इस क्षेत्र को खास मानने लगे हैं.
ऊर्जा होती है महसूस
अल्मोड़ा के कसारदेवी मंदिर में अलग तरह की उर्जा महसूस करने के लिए मिलती है. आपको बता दें कि अल्मोड़ा का कसार देवी क्षेत्र प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर चीड़, देवदार और बांज के वृक्षों से भरा जंगल है. यहाँ पर कसार देवी क्षेत्र की चोटी पर्वत की चोटी पर खड़ा होकर सीधे हिमालय दिखाई देता है. यहां पहुंचने वाले साधकों, श्रद्धालुओं और सैलानियों का कहना है कि यहाँ गजब की शांति महसूस होती है.
नासा के वैज्ञानिक
नासा के वैज्ञानिकों के मुताबिक कसार देवी क्षेत्र में वैन एलेन बेल्ट है. यानि कसार पर्वत के ठीक नीचे धरती में विशाल भू-चुंबकीय पिंड है, जिसके चारों और चार्ज विद्युतीय कणों की परत है. जिसे रेडिएशन भी कहा जाता है. यह भूगर्भीय घटना पर शोध कर रहें हैं खासकर विद्युतीय कणों के चार्ज होने के कारणों और प्रभाव पर शोध किया जा रहा है. वहीं इस क्षेत्र में वैन एलेन बेल्ट के बनने की वजहों को भी जानने की कोशिश की जा रही है. और ये भी जानने की कोशिश की जा रही है कि मानव मस्तिष्क और प्रकृति पर इस चुंबकीय पिंड का क्या असर पड़ता है. इतिहासकार बताते हैं कि कसार देवी आध्यात्मिक और वैज्ञानिक उर्जा का केन्द्र हैं. दूसरी शताब्दी ई. पूर्व के कसार देवी क्षेत्र में पत्थरों पर अभिलेख उत्कीर्ण मिले हैं. स्वामी विवेकानंद को यह पर्वत इतना पसंद आया थी कि उन्होंने अपने लेखन में कसार देवी का जिक्र किया है.
वैन एलेन बेल्ट
दरअसल वैन एलेन बेल्ट इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन से बना वो सर्कल है, जो धरती को चारों ओर तरफ से घेरता है. इस बेल्ट की खोज करने वाले वैज्ञानिक एलेन के नाम पर ही इसे वैन एलेन बैल्ट कहा जाता है. वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया है कि अल्मोड़ा के कसारदेवी क्षेत्र दक्षिणamerika के पेरू स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग में अद्भुत समानताएं हैं. जहां इन जगहों पर कुदरती खूबसूरत के दर्शन होते हैं वहीं तीनों जगहों पर शक्ति का विशेष पुंज है.
यहां शांत हो जाता है मन
कसार देवी क्षेत्र में चार्ज शक्ति पुंज यहाँ पहुंचने वाले साधकों, पर्यटकों और भक्तों का अशांत मन शांत कर देता है। यही वजह रही कि कसार देवी में स्वामी विवेकानंद, गोविंदा लामा, प्रसिद्ध चित्रकार, वैज्ञानिक और शोद्यार्थी यहां पहुंच चुके हैं। कसार देवी में चार्ज शक्ति पुंज का असर विदेशियों पर भी हुआ है। शांति की खोज में कसार आये सैकड़ों विदेशियों ने अब यहीं जमीन खरीद कर अपना घर बना लिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भागदौड़ भरी जिंदगी में मन अशांत होने पर कसार देवी में ध्यान करने से मन शांत हो जाता है.
ठहर चुके हैं विद्धान
अल्मोड़ा के कसार देवी में गजब की शांति के कारण कई विद्धान और साधक यहां ठहर चुके हैं. नासा वैज्ञानिकों के शोध ने साबित कर दिया है कि कसार देवी क्षेत्र उर्जा का केन्द्र है. भारत में एकमात्र अनोखे चुंबकीय चमत्कार से लैस है. कसार देवी क्षेत्र में मौजूद चार्ज शक्ति पुंज यहाँ पहुँचने वाले साधकों, पर्यटकों और भक्तों के अशांत मन को शांत कर देता है। यही वजह है कि कसार देवी में स्वामी विवेकानंद, गोविंदा लामा, प्रसिद्ध चित्रकार, वैज्ञानिक और शोधार्थी तक पहुंच चुके हैं.
कसार देवी के इस अद्भुत शक्ति पुंज का असर विदेशियों पर भी गहराई से हुआ है। शांति की खोज में कसार आये सैकड़ों विदेशी आज यहीं जमीन खरीदकर स्थायी रूप से बस चुके हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि भागदौड़ भरी जिंदगी में मन अशांत होने पर कसार देवी में ध्यान करने से मन तुरंत शांत हो जाता है.
ठहर चुके हैं विद्वान, NASA के शोध ने बढ़ाई विश्व में पहचान
अल्मोड़ा के कसार देवी में गजब की शांति के कारण अनेक विद्वान और साधक यहाँ ठहर चुके हैं। NASA वैज्ञानिकों के शोध ने साबित किया है कि कसार देवी क्षेत्र ऊर्जा का केंद्र है। भारत में एकमात्र, अनोखे चुंबकीय चमत्कार से लैस यह स्थान वैज्ञानिक समुदाय के लिए भी लंबे समय से आकर्षण का विषय रहा है.
दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व का मंदिर, अद्भुत चुंबकीय शक्ति के लिए प्रसिद्ध
कसार देवी मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कसार देवी गांव की कश्यप पहाड़ी की चोटी पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो देवी कात्यायनी को समर्पित है। यह मंदिर अपनी अद्भुत चुंबकीय शक्ति और शांत वातावरण के लिए प्रसिद्ध है, जहाँ स्वामी विवेकानंद सहित कई आध्यात्मिक हस्तियों ने ध्यान किया है।
मंदिर का निर्माण दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था और यहाँ हर साल कार्तिक पूर्णिमा पर मेला आयोजित किया जाता है.
मंदिर से जुड़ी मुख्य बातें:
स्थान: अल्मोड़ा से लगभग 8 किलोमीटर दूर कसार देवी गांव।
निर्माण काल: दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व।
धार्मिक महत्व: देवी कात्यायनी को समर्पित शक्तिपीठ。
चुंबकीय शक्ति: दुनिया के कुछ स्थानों में पाई जाने वाली शक्तिशाली भू-चुंबकीय ऊर्जा。
आध्यात्मिक इतिहास: स्वामी विवेकानंद ने 1890 के दशक में यहाँ की गुफा में कठोर ध्यान किया。
अन्य मंदिर: परिसर में भगवान शिव और भैरव बाबा के मंदिर भी मौजूद हैं。
कई शोधों के अनुसार, कसार देवी का मैग्नेटिक एनर्जी क्षेत्र इतना अनोखा है कि NASA तक इसके रहस्य को पूरी तरह समझ नहीं पाया। वैज्ञानिकों ने माना कि मंदिर परिसर में “Giant Geomagnetic Field” पाया जाता है, जो शरीर और मन दोनों पर प्रभाव डालता है।
कसार देवी मंदिर परिसर के द्वार के पास चिन्हित GPS-8 बिंदु इसी अद्भुत ऊर्जा का प्रमाण माना जाता है। NASA के विशेषज्ञों ने इसे “Gravity Point” के रूप में दर्ज किया है।
स्वामी विवेकानंद और कसार देवी क्षेत्र का गहरा संबंध दर्ज है। 1890 में वे कई महीनों तक यहाँ रुके और ध्यान किया। उनकी गुफा आज भी ध्यान-साधना का प्रमुख केंद्र है। बौद्ध गुरु लामा अंगरिका गोविंदा ने भी यहाँ विशेष साधना कर इस स्थल की अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत किया।
रहस्य का केंद्र: 1400 वर्ष पुराना शिलालेख अभी भी नहीं पढ़ा जा सका
कसार देवी मंदिर परिसर में मिला प्राचीन शिलालेख अब भी विशेषज्ञों के लिए रहस्य बना हुआ है। यह शिलालेख मंदिर के पीछे एक विशाल चट्टान पर उकेरा गया है, लेकिन चट्टान तीन ओर से टूटी होने और कई अक्षरों के घिस जाने के कारण इसे आज तक पूरी तरह पढ़ा नहीं सका है।
इतिहासकारों का मानना है कि इसकी लिपि ब्राह्मी से मिलती-जुलती दिखाई देती है, पर अक्षरों की असमानता, घिसावट और स्थानीय लेखन शैली के प्रभाव ने इसे समझना और कठिन बना दिया है।
शोधकर्ताओं के अनुसार शिलालेख का अधूरापन, दिशा का स्पष्ट न होना और समय के साथ प्राकृतिक क्षरण इसकी सबसे बड़ी बाधाएं हैं। इसके बावजूद अधिकांश इतिहासकार इस पर सहमत हैं कि यह लगभग 5वीं से 7वीं शताब्दी, यानी करीब 1400 वर्ष पुराना है.
पुरातत्वविद मानते हैं कि यह शिलालेख कसार देवी के धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास को समझने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कड़ी है, और इसके संरक्षण व वैज्ञानिक अध्ययन की अत्यंत आवश्यकता है.
कसार देवी केवल एक मंदिर नहीं, बल्कि शांति, ऊर्जा, विज्ञान और अध्यात्म का अनोखा संगम है। यहाँ की शक्ति साधकों को ध्यान में स्थिर करती है, वैज्ञानिकों को शोध के लिए आकर्षित करती है और यात्रियों को मन की अनोखी शांति प्रदान करती है। इसी अलौकिक मिश्रण ने कसार देवी को विश्व-स्तरीय पहचान दिलाई है.
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