
ग्राम धमधौली में विगत दिनों हुए रास्ता विवाद की जांच करने एस पी ग्रामीण मौके पर पहुंचे विवाद के कारणों की जांच की
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दिल्ली की सत्ता से आम आदमी पार्टी के हटने के बाद पार्टी में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आने लगी है। संगम विहार विधानसभा के नादान बस्ती में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान आम आदमी पार्टी के दो नेता आपस में भिड़ गए। इस झगड़े का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में आप पार्षद भगवीर पूर्व विधायक दिनेश मोहनिया से गाली-गलौज और हाथापाई करते नजर आ रहे हैं। कार्यक्रम में मौजूद कार्यकर्ताओं ने बीच-बचाव कर किसी तरह मामले को शांत कराया। इस घटना पर जब ज़ी मीडिया ने पूर्व विधायक दिनेश मोहनिया से बात की तो उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि भगवीर अब आम आदमी पार्टी का हिस्सा नहीं हैं, क्योंकि विधानसभा चुनावों के दौरान उन्होंने कांग्रेस का प्रचार किया था और पार्टी विरोधी बयान दिए थे। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम में भगवीर को नहीं बुलाया गया था, फिर भी वह जबरन पहुंचे और माइक छीनने की कोशिश करने लगे। इस दौरान उन्होंने गाली-गलौज भी की। मोहनिया ने कहा, “अगर मैं चाहता तो पलटवार कर सकता था, लेकिन मेरे संस्कार मुझे ऐसा करने की इजाजत नहीं देते।” उन्होंने आरोप लगाया कि भगवीर दो नावों की सवारी करना चाहते हैं – कांग्रेस में भी रहना चाहते हैं और आम आदमी पार्टी में भी, जो संभव नहीं है। मोहनिया ने कहा कि इस घटना का पूरा वीडियो और विवरण पार्टी नेतृत्व, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और नेता प्रतिपक्ष आतिशी को भेज दिया गया है। यह घटना आम आदमी पार्टी के अंदर बढ़ती आपसी कलह को उजागर करती है, जो पार्टी की छवि और संगठनात्मक मजबूती पर सवाल खड़े करती है।
सादुलपुर विधानसभा क्षेत्र के नीमा गांव में आज सुबह मौसम ने अचानक करवट ली। तेज आंधी के साथ घने बादलों की गड़गड़ाहट के बीच मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। गर्मी और सूखे से जूझ रहे किसानों के लिए यह बारिश राहत लेकर आई, जिससे खेतों में खड़ी फसलें तरोताजा हो उठीं। जिन किसानों की जुताई अधूरी थी, उन्हें अब खेत तैयार करने का अवसर मिलेगा। हालांकि, तेज आंधी और बारिश के चलते जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया। गांव में बिजली आपूर्ति पूरी तरह से बाधित हो गई है। कई जगह बिजली के तार टूटने और पोल हिलने की आशंका जताई जा रही है। बारिश से खेतों की मेड़ें टूट गईं, जिससे पानी का बहाव बेकाबू हो गया और कुछ फसलों को नुकसान भी हुआ। कुछ खेतों में जलभराव व मिट्टी बहने की स्थिति बन गई।
वहीं, आंधी से कई जगहों पर पेड़ गिरने की खबरें हैं। पशु-पक्षी भी मौसम के प्रकोप से प्रभावित हुए हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द बिजली बहाल करने और खेतों का सर्वे कर नुकसान का आकलन करने की मांग की है।
रायगढ़ ज़िले के घरघोड़ा थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम कुर्मीभौना (सुकबासीपारा) में ज़मीन के मुआवजे को लेकर हुए विवाद में 70 वर्षीय मंगलू राठिया ने अपने भतीजे पवन कुमार राठिया की लकड़ी के बहिंगा से पीट-पीटकर हत्या कर दी। दोनों के बीच 9 एकड़ पुश्तैनी ज़मीन का मुआवजा विवाद चल रहा था, जिसे एसईसीएल कोयला खदान द्वारा अधिग्रहित किया जाना प्रस्तावित है। आरोपी मंगलू ने गांव में ₹2 लाख उधार लिया था, जिसमें हिस्सा मांगने पर पवन से झगड़ा हुआ और आरोपी ने उस पर ताबड़तोड़ वार कर दिया। गंभीर हालत में पवन को रायगढ़ मेडिकल कॉलेज लाया गया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। पुलिस ने आरोपी मंगलू राठिया को गिरफ्तार कर घटना में प्रयुक्त खून से सना बहिंगा बरामद कर लिया है। उसे न्यायिक रिमांड पर जेल भेजा गया है।
मुरैना जिले के जौरा कस्बे में बीती रात चोरों ने पुलिस गश्त की पोल खोलते हुए एक बार फिर बड़ी चोरी की वारदात को अंजाम दिया। मंडी गेट के बाहर स्थित थोक व्यापारी राहुल गर्ग की दुकान और गोदाम से चोर करीब ₹2 लाख का सामान और ₹7,000 नगद चोरी कर ले गए। चोरी की जानकारी मिलते ही व्यापारियों में आक्रोश फैल गया और बड़ी संख्या में व्यापारी जौरा थाने पहुंचकर घेराव करने लगे। राहुल गर्ग की दुकान से चोरी के लिए चोरों ने सुनियोजित तरीके से पीछे के खुले मैदान से एक चार पहिया वाहन लगाकर सामान निकालने का रास्ता बनाया। यही नहीं, सामने स्थित रामकुमार शर्मा बीज भंडार में भी सेंध लगाने की कोशिश की गई, लेकिन सेंट्रल लॉक होने की वजह से चोर दुकान में प्रवेश नहीं कर सके। व्यापारियों ने पुलिस गश्त पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह पहली घटना नहीं है। 31 मई को भी किराना व्यापारी शिवदीप शर्मा की दुकान से ₹2 लाख की चोरी हुई थी। तब भी व्यापारियों ने प्रदर्शन कर पुलिस को 7 दिन का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। लगातार हो रही चोरियों से व्यापारियों में भारी आक्रोश है और उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था सुदृढ़ करने की मांग की है।
उदयपुर मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में वाटर कूलर से करंट लगने से अजमेर के रेजिडेंट डॉक्टर रवि शर्मा की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना के विरोध में अजमेर में रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने एकजुट होकर 2 घंटे का कार्य बहिष्कार कर विरोध प्रदर्शन किया और जमकर नारेबाजी की। एसोसिएशन का आरोप है कि पूरे मामले को दबाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर गंभीर लापरवाही और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हेरफेर के भी आरोप लगाए हैं। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। रेजिडेंट डॉक्टर्स ने चेतावनी दी है कि जब तक डॉक्टर रवि शर्मा को न्याय नहीं मिलता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।
सीकर में सोमवार सुबह मौसम ने अचानक करवट ली और तेज बारिश का दौर शुरू हो गया। करीब आधे घंटे तक हुई मूसलाधार बारिश के चलते शहर के कई निचले इलाकों में जलभराव हो गया। नवलगढ़ पुलिया, लोहारू स्टैंड, राधाकिशनपुरा अंडरपास जैसे इलाकों में पानी भरने से स्कूली बच्चों को ट्रैक्टर में बैठकर कोचिंग जाना पड़ा। राहगीरों और वाहन चालकों को भी भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। लगातार दो दिनों से बादलों की आवाजाही के बाद सोमवार सुबह हुई तेज बारिश से तापमान में गिरावट दर्ज की गई, जिससे गर्मी से राहत मिली और मौसम सुहाना हो गया। किसानों के चेहरे पर भी खुशी की लहर दौड़ गई। मौसम विभाग के अनुसार, 26 जून तक तेज हवाओं के साथ बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। सोमवार को न्यूनतम तापमान 30.02 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि रविवार को न्यूनतम तापमान 26 डिग्री और अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस था।
फतेहाबाद जिले के गांव मढ़ के लोग आज भी नाव के सहारे बरसाती घग्गर नदी पार करने को मजबूर हैं। यह नदी गांव को दो हिस्सों में बांटती है और ग्रामीणों को अपनी जमीन और खेतों तक पहुंचने के लिए नाव से सफर करना पड़ता है। नदी की चौड़ाई केवल 300-400 मीटर है, लेकिन सड़क मार्ग से यह दूरी करीब 18 किलोमीटर तक हो जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि वे पिछले 50 वर्षों से लगातार सरकारों से नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब तक किसी भी सरकार ने उनकी बात नहीं सुनी। बरसात के मौसम में जब नदी उफान पर होती है, तब यह सफर और भी खतरनाक हो जाता है। मढ़ गांव से घग्गर के पार पंजाब की सीमा शुरू होती है, जहां रोजाना हजारों लोग सड़कों से लंबा रास्ता तय करते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि पुल बन जाने से समय, पैसे और जान के जोखिम—all तीनों की बचत होगी। पंचायती जमीन से लेकर खेती योग्य भूमि भी नदी के उस पार है, जिसे देखने के लिए लोगों को नाव का सहारा लेना पड़ता है।