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Jhansi284001

झांसी में मूसलाधार बारिश से बड़ा बाजार जलमग्न जिसके चलते दुकानदार हुए परेशान

Aug 05, 2024 11:02:06
Jhansi, Uttar Pradesh

झांसी में रात से हो रही झमाझम बारिश के कारण शहर का बड़ा बाजार क्षेत्र जलमग्न हो गया। नगर निगम की लापरवाही से नालियां कचरे से भरी होने के कारण ओवरफ्लो हो गईं। गंदा पानी दुकानों में घुस गया, जिससे दुकानदार परेशान हुए। उन्हें खुद अपने हाथों से पानी बाहर निकालना पड़ा। बाजार में आने-जाने वालों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ा।

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MKMohammad Khan
Dec 05, 2025 05:50:47
Bhilwara, Rajasthan:भीलवाड़ा। यूआईटी लॉटरी प्रक्रिया को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे है। इस कड़ी में एक और नया विवाद जुड़ गया है। इस बार विवाद का कारण है ट्रांसजेंडर को आवंटित भूखंड। दरअसल भीलवाड़ा के किन्नर समाज ने भूखंड आवंटन को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं। इसको लेकर फिर नया विवाद खड़ा हो गया है। दरअसल किन्नर समाज से आने वाली प्रिया बाई ने कहा कि जिले में किन्नर समाज के लोगों की संख्या करीब 25 है तो यूआईटी की ओर से आवंटित भूखंड की संख्या 35 कैसे हो गई। हमारे में से एक या दो लोगों ने आवेदन किया है बाकी ट्रांसजेंडर कहां से आ गए है। दूसरा, जिनकी लिस्ट निकाली गई प्राथमिक स्तर पर ऐसा लग रहा है कि वे फर्जी है क्योंकि जिन ट्रांसजेंडर आवेदकों को यह भूखंड आवंटित हुए हैं उनके नाम में पिता या अन्य किसी का नाम लग रहा है जबकि हमारे किन्नर समाज में गुरू शिष्य की pratha है। यानी हमारे आधार कार्ड या अन्य पहचान पत्र में हमारा स्वयं का नाम और पिता की जगह हमारे गुरू जैसे किरण बाई का नाम लगाया जाता है। लेकिन लिस्ट में गुरू के नाम पर उनके असली पिता और अन्य का नाम, जाति आदि सभी दिखाई दे रहा है। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आखिर ये लोग कौन है। प्रिया बाई ने तो यहां तक कहा कि जिन ट्रांसजेंडर को भूखंड आवंटन हुआ है उनकी जांच होनी चाहिए क्योंकि हमारे समाज के लोगों का हक किसी और को नहीं छीनने देंगे। उन्होंने प्रशासन से अपील की है कि ट्रांसजेंडर आवेदकों की सत्यता पता लगाने के लिए कमिटी का गठन हो जिसमें हमारे समाज का प्रतिनिधि भी शामिल हो क्योंकि कोई फर्जी दस्तावेज लगाकर भूखंड प्राप्त न कर लें। इधर, यूआईटी सचिव ललित गोयल ने कहा कि ट्रांसजेंडर के लिए पूरे राजस्थान से आवेदन आए है जिन्हें भूखंड आवंटित किए हैं। दस्तावेजों के सत्यापन के साथ ही कलेक्टर के यहां जारी होने वाला सर्टिफिकेट भी अनिवार्य कर दिया है। ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए आवंटित भूखंड उन्हें दिए जाएंगे अन्य किसी को नहीं। अगर किसी ने दस्तावेजों में हेरफेर किया है तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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Dec 05, 2025 05:48:42
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RKRupesh Kumar
Dec 05, 2025 05:48:23
Betul, Madhya Pradesh:बैतूल की दुर्लभ शिल्पकला भरेवा आर्ट को GI टैग मिला है. इसी साल भोपाल आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को CM डॉ मोहन यादव ने भरेवा शिल्पकला से निर्मित पुष्पक विमान उपहार में दिया था, जो बैतूल के ही टिगरिया गाँव में बनाया गया था. भरेवा आर्ट बैतूल जिले की पहली शिल्पकलाओं में से एक है जिसे GI टैग मिला है. बैतूल जिले के टिगरिया गाँव के भरेवा कलाकारों की मेहनत के चलते इस गाँव को क्राफ्ट विलेज के नाम से भी जाना जाता है. भारत सरकार के बौद्धिक संपदा अधिकार चेन्नई की ओर से भरेवा आर्ट को GI टैग दिया गया है. भरेवा कला बैतूल की प्राचीनतम शिल्पकलाओं में से एक है जिसमें मिट्टी के सांचे बनाकर उनमें पिघली हुई पंचधातु को भरा जाता है और एक से बढ़कर एक शिल्पकलाएँ बनाई जाती हैं. हर कलाकृति खुद में बेजोড় दिखती है और इन्हें बनते हुए देखना भी खास होता है. बैतूल के भरेवा कलाकारों द्वारा बनाई गई मोर चिमनी काफी प्रसिद्ध है. अब GI टैग मिलने से भारत के प्रधानमंत्री और राजदूत इन शिल्पकलाओं को दूसरे देशों के राजदूतों को उपहार स्वरूप दे सकते हैं, वहीं भरेवा कला अब पूरी दुनिया के आर्ट गैलरी तक पहुंच पाएगी. GI टैग मिलने से भरेवा शिल्पकारों को ना सिर्फ दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचने का मौका मिलेगा बल्कि इस लुप्त होती कला को नया जीवन मिल गया है. अब से लगभग दो दशक पहले भरेवा शिल्पकरी लगभग लुप्त हो चुकी थी लेकिन भरेवा कलाकारों ने अपनी जनजातीय संस्कृति और रोजमर्रा के जीवन से जुड़े सामानों और अनुभवों को भरेवा शिल्पकारी से व्यक्त किया तो इस कला को पुनर्जीवन मिल गया है.
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RMRam Mehta
Dec 05, 2025 05:47:17
Baran, Rajasthan:छबड़ा में खाद के टोकन नहीं मिलने से नाराज किसानों ने शुक्रवार को स्टेट हाईवे 51 के आंबेडकर सर्किल पर विरोध प्रदर्शन किया। किसानों ने सड़क जाम कर दी, जिससे लगभग 2 घंटे तक यातायात बाधित रहा। सूचना मिलने पर कृषि विभाग के अधिकारियों और छबड़ा थाना पुलिस ने मौके पर पहुंचकर किसानों को समझाया, जिसके बाद जाम हटा दिया गया। किसानों का आरोप था कि वे सुबह 4 बजे से ही खेल मैदान में टोकन लेने के लिए लाइन में खड़े थे, लेकिन टोकन वितरित नहीं किए गए। इससे वे आक्रोशित हो गए और आंबेडकर सर्किल पर पहुंचे करजाम लगा दिया। किसानों ने बताया कि खाद न मिलने के कारण उन्हें अपनी फसलों के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
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WMWaqar Manzoor
Dec 05, 2025 05:46:53
:Chief Secretary, Atal Dulloo, while chairing a meeting to review the feasibility of establishing a large-scale Solar Park in Jammu & Kashmir under the Ministry of New & Renewable Energy’s (MNRE) Solar Park Scheme directed the divisional administrations to expedite the identification of suitable, encumbrance-free land parcels for the project. The meeting was attended by Commissioner Secretary, Forests; Secretary, Science & Technology; Divisional Commissioner, Jammu/Kashmir; Managing Director, JKPDC; and other senior officers. Taking a district-wise review, the Chief Secretary stressed the importance of identifying sizeable land patches that are not earmarked for other developmental works and can be swiftly transferred for establishing clean energy infrastructure in the UT. The Chief Secretary appreciated the Science & Technology Department for the progress achieved so far and the formulation of modalities required for advancing the initiative. He emphasized that harnessing solar power at large scale is pivotal for strengthening J&K’s renewable energy portfolio and reducing dependence on conventional power sources. Secretary, Science & Technology, Dr. Shahid Iqbal Choudhary, briefed the meeting on the contours of the MNRE Solar Park Scheme and highlighted successful models implemented in Rajasthan, Karnataka, and Madhya Pradesh. He informed that under the scheme, MNRE provides Central Financial Assistance (CFA) of up to ₹20 lakh per MW or 30% of project cost including grid connectivity for infrastructure development, in addition to up to ₹25 lakh per solar park for preparation of Detailed Project Reports (DPRs). Dr. Choudhary further informed that J&K has an assessed solar energy potential of around 20–22 GW, of which 72 MW has already been harnessed through solar rooftop installations on government buildings. He added that as an initial step, the department has proposed setting up a Solar Park of 200–250 MW capacity, requiring approximately 5–7 acres per MW along with the necessary electrical and evacuation infrastructure. The meeting also discussed the range of opportunities for J&K in the renewable energy sector, various implementation models available under the Solar Park Scheme, and the preliminary land parcels identified by the Divisional Commissioners. It further deliberated on key financial parameters, cost implications, and the overall viability of establishing the Solar Park in the UT. The Chief Secretary directed all concerned departments to work in close coordination and complete land feasibility assessments at the earliest, enabling J&K to take a significant step towards adoption of clean and sustainable energy.
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