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गणतंत्र दिवस 2026 पर कर्तव्य पथ पर मूक योद्धाओं की अनोखी झलक
RRRakesh Ranjan
Dec 31, 2025 08:26:54
Noida, Uttar Pradesh
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कर्तव्य पथ पर भारतीय सेना के ‘मूक योद्धा’: गणतंत्र दिवस 2026 पर खास झलक
गणतंत्र दिवस 2026 पर इस बार कर्तव्य पथ पर एक खास और भावनात्मक दृश्य देखने को मिलेगा। भारतीय सेना के पशु दस्ते पहली बार इतने बड़े और संगठित रूप में परेड में शामिल होंगे। ये पशु न केवल सेना की ताकत दिखाएंगे, बल्कि यह भी बताएंगे कि देश की रक्षा में उनके योगदान को कितनी अहम जगह दी जाती है।
इस विशेष दस्ते में दो बैक्ट्रियन ऊँट, चार ज़ांस्कर पोनी, चार शिकारी पक्षी (रैप्टर्स), भारतीय नस्ल के 10 सेना के कुत्ते और सेना में पहले से काम कर रहे 6 पारंपरिक सैन्य कुत्ते शामिल होंगे।
दस्ते की अगुवाई करेंगे बैक्ट्रियन ऊँट, जिन्हें हाल ही में लद्दाख के थँडे रेगिस्तानी इलाकों में तैनात किया गया है। ये ऊँट बहुत ठंडे मौसम और 15,000 फीट से ज्यादा ऊँचाई पर आसानी से काम कर सकते हैं। ये 250 किलो तक का सामान ढो سکتے हैं और कम पानी-चारे में लंबी दूरी तय करते हैं। इससे सेना को दूरदराज और कठिन इलाकों में रसद पहुँचाने में बड़ी मदद मिलती है.
इसके बाद कदम से कदम मिलाकर चलेंगी ज़ांस्कर पोनी, जो लद्दाख की एक दुर्लभ और स्वदेशी नस्ल हैं। आकार में छोटी होने के बावजूद इनमें जबरदस्त ताकत और सहनशक्ति होती है। ये पोनी माइनस 40 डिग्री तापमान और बहुत ऊँचाई वाले इलाकों में 40 से 60 किलो वजन लेकर चल सकती हैं। साल 2020 से ये सियाचिन जैसे कठिन क्षेत्रों में सैनिकों के साथ सेवा दे रही हैं और कई बार एक दिन में 70 किलोमीटर तक गश्त करती हैं।
परेड में शामिल चार शिकारी पक्षी (रैप्टर्स) सेना की नई और स्मार्ट सोच को दिखाते हैं। इनका इस्तेमाल निगरानी और हवाई सुरक्षा से जुड़े कामों में किया जाता है, जिससे सेना के अभियान ज्यादा सुरक्षित बनते हैं।
इस परेड का सबसे भावुक हिस्सा होंगे भारतीय सेना के कुत्ते, जिन्हें प्यार से “मूक योद्धा” कहा जाता है। इन कुत्तों को मेरठ स्थित रिमाउंट एंड वेटरनरी कॉर्प्स केंद्र में प्रशिक्षित किया जाता है। ये आतंकवाद विरोधी अभियानों, विस्फोटक और बारूदी सुरंगों की पहचान, खोज-बचाव कार्यों और आपदा राहत में सैनिकों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करते हैं। कई बार इनके ने अपनी जान की परवाह किए बिना सैनिकों की जान बचाई है।
‘आत्मनिर्भर भारत’ के तहत सेना अब मुधोल हाउंड, रामपुर हाउंड, चिप्पीपराई, कोम्बई और राजापलायम जैसी भारतीय नस्लों के कुत्तों को भी बड़े स्तर पर शामिल कर रही है। यह भारत की अपनी क्षमताओं पर बढ़ते भरोसे का साफ संकेत है।
गणतंत्र दिवस 2026 पर जब ये पशु कर्तव्य पथ से गुजरेंगे, तो वे यह याद दिलाएंगे कि देश की रक्षा सिर्फ हथियारों से नहीं होती। सियाचिन की बर्फीली चोटियों से लेकर लद्दाख के ठंडे रेगिस्तान तक, इन पशुओं ने चुपचाप लेकिन मजबूती से अपना फर्ज निभाया है।
ये सिर्फ सहायक नहीं हैं, बल्कि भारतीय सेना के सच्चे साथी और चार पैरों पर चलने वाले वीर योद्धा हैं。
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