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प्रतापगढ़ कांग्रेस सूची में नहीं कहीं प्रतापगढ़, सियासी गुटबाजी से हड़कंप
HUHITESH UPADHYAY
Nov 23, 2025 08:17:21
Pratapgarh, Rajasthan
प्रतापगढ़ कांग्रेस ने जिला अध्यक्षों की पहली सूची जारी कर दी है, जिसमें 50 में से 45 जिलों के नामों की घोषणा की गई। लेकिन इस सूची में प्रतापगढ़ का नाम शामिल नहीं किया गया। यह गैरमौजूदगी जिले के राजनीतिक गलियारों में चर्चा का प्रमुख विषय बन गई है। संगठन में सस्पेंस बढ़ गया है कि आखिर कांग्रेस प्रतापगढ़ में किस चेहरे पर भरोसा करेगी। वहीं, कार्यकर्ताओं में चर्चा है कि प्रतापगढ़ समेत पांच जिलों के नाम इसलिए रोके गए हैं क्योंकि कुछ सीटों पर जातीय संतुलन और संगठनात्मक समीकरणों को लेकर शीर्ष स्तर पर मंथन जारी है। वर्तमान कांग्रेस जिला अध्यक्ष भानुप्रताप सिंह का कहना है कि प्रतापगढ़ जिले का नाम सूची में इसलिए रोका गया है क्योंकि प्रदेश नेतृत्व फिलहाल जातिगत और रणनीतिक समीकरण देख रहा है। उन्होंने बताया कि राजसमंद और प्रतापगढ़ में राजपूत उम्मीदवार होने से इसी समुदाय से संतुलन बैठाने की चर्चा चल रही है। संभाग के बाकी जिलों जैसे उदयपुर, डूंगरपुर और बांसवाड़ा में ट्राइबल वर्ग से अध्यक्ष चुने गए हैं, जबकि सलूंबर में ब्राह्मण को मौका मिला है। भानुप्रताप का दावा है कि प्रतापगढ़ में दो राजपूत नेता टक्कर में हैं और 10–15 दिन में नाम घोषित होने की संभावना है। पिछले कुछ महीनों से कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान में प्रतापगढ़ का पैनल ही विवाद का बड़ा कारण रहा है। पूर्व विधायक रामलाल मीणा के गुट की पकड़ इस बार सबसे मजबूत बताई जा रही है। पैनल में शामिल छह नाम दिग्विजय सिंह, इंद्रा मीणा, नितिन जैन, भानुप्रताप सिंह, ओमप्रकाश ओझा और उदयलाल अहीर में से चार रामलाल मीणा के करीबी हैं। इंद्रा मीणा खुद जिला प्रमुख और रामलाल मीणा की पत्नी हैं, जबकि नितिन जैन उनके विशेष सहयोगी माने जाते हैं। इससे पुराने नेताओं और समर्पित कार्यकर्ताओं में असंतोष गहराया है। स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं का कहना है कि पार्टी में समर्पित पुराने चेहरों की उपेक्षा कर पैराशूट नेताओं को तरजीह दी जा रही है। जिलाध्यक्ष पद की सूची से प्रतापगढ़ का नाम बाहर रहना इस नाराजगी को और हवा दे गया है। पूर्व मंत्री उदयलाल आंजना द्वारा ओम ओझा का नाम छोटीसादड़ी ब्लॉक से सर्वसम्मति से भेजे जाने के बावजूद उसे अनदेखा किया गया। कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि ऐसे विवादित नामों को बढ़ावा दिया गया तो संगठन की एकजुटता और साख पर असर पड़ सकता है। फिलहाल, कांग्रेस के भीतर हर किसी की नजर दिल्ली से आने वाली अगली सूची पर टिकी है, जो यह तय करेगी कि प्रतापगढ़ की संगठनात्मक बाजी किसके हाथ में जाती है।
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