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अरनिया गांव कोटा-बारां में स्थाई रूप से शामिल करने की मांग तेज
RJRahul Joshi
Nov 17, 2025 14:47:21
Kota, Rajasthan
सांगोद कोटा
कोटा जिले के अरनिया गांव की कहानी अन्य गांवों से निराली है। दो जिलों में होता है एक गांव के किसानों व ग्रामीणों का काम। जिला कोटा तो विधानसभा अंता व लोकसभा क्षेत्र झालावाड़-बारां तक फैला है। सांगोद तहसील के खडिया पंचायत क्षेत्र के एक छोटे से अरनिया गांव की कहानी दूसरे गांवों की तुलना में काफी अनोखी, रोचक व निराली है। पिछले कई वर्षो से गांव के ग्रामीणों का आधा काम बारां जिले में तो आधा काम कोटा जिले में होता आया है। गांव के अधिकतर लोग चाहते है कि उनके गांव को स्थाई रूप से या तो कोटा या फिर बारां जिले का हिस्सा बना दिया जाए। बपावर थाना क्षेत्र का अरनिया गांव पूर्व में जागिरी प्रथा का गांव रहा है। पहले यहा पर राज दरबार शिकार करने आते थे। कोटा जिले की स्थापना के समय यह गांव कोटा जिले का हिस्सा हुआ करता था। जिसके कई वर्ष बाद बारां जिले की स्थापना हुई तो परवन नदी की तीर पर बसे कोटा जिले के इस गांव को बारां तहसील व बारां जिले मे सम्मिलित कर लिया गया। ग्रामीणों की मांग व विरोध के चलते करीब 20 वर्ष पूर्व इस गांव को फिर से सांगोद तहसील व कोटा जिले में सम्मिलित कर लिया गया। बपावर थाना क्षेत्र के सभी 33 गांव (अरनिया सहित) सांगोद तहसील व कोटा जिले में सम्मिलित है। बपावर थाना क्षेत्र के इन 33 गांवों में से 32 गांव सांगोद विधानसभा व कोटा-बूंदी लोकसभा का हिस्सा है। जबकि अरनिया गांव अभी तक अंता विधानसभा व बारां-झालावाड़ लोकसभा में शामिल है। वर्तमान में गांव के किसानों को बिजली संबंधि कोई भी काम हो तो सहायक अभियंता कार्यालय बारां के लिए जाना पड़ता है। जबकि राजस्व कार्य के लिए सांगोद जाना पड़ रहा है। किसान क्रेडिट कार्ड या अन्यकोई ऋण लेने के लिए किसानों को कोटा व बारां जिले के बैंकों का सहारा है। तो जमीन संबंधि कार्य के लिए सांगोद तहसील मुख्यालय पर जाना पड़ता है। गांव के ग्रामीण व किसानों का कहना है कि बिना धणी की ढोर की तरह गांव की हालत हो रही है। गांव के लोगो व किसानों का कहना है कि अरनिया को कोटा या बारां जिले में स्थाई रूप से सम्मिलित किया जाना चाहिए। ताकि वर्षो से चली आ रही समस्या से ग्रामीणों को निजात मिल सके। 19 वर्ष से बदला पंचायत क्षेत्र- वर्ष 2005 तक अरनिया गांव बारां जिले की रटावद पंचायत में शामिल था। जिसे 2005 में खडिया पंचायत में शामिल कर दिया गया। करीब 300 की आबादी वाले इस गांव के किसान बिजली का बिल जमा कराने के लिए बारां जिला मुख्यालय पर जाते हैं। एक गांव के काम दो जिलों में विभाजित होने से ग्रामीण काफी परेशानी महसूस कर रहे हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गांव के किसानों के सभी काम जब तक बारां जिले में नहीं होंगे तब तक परेशान मिटने वाली नहीं है। परवन की देन से गांव परवान- अरनिया गांव परवन नदी के ठीक किनारे बसा हुआ होने से यहाँ पर परवन की काफी देन है। अभी भी नदी में करीब 10 फिट से अधिक पानी है। गांव के सभी खेत नदी की वजह से सरसब्ज होने से गांव में सम्पन्नता है। यहाँ पर गौस्वामी परिवार के सदस्यों की संख्या सबसे ज्यादा है।
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