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बालेसर के चामुंडा मंदिर में अखंड ज्योति भक्तों के लिए रहस्य
RKRakesh Kumar Bhardwaj
Sept 29, 2025 07:33:18
Jodhpur, Rajasthan
बालेसर : जोधपुर
जिला रिपोर्टर: राकेश भारद्वाज
इनफॉर्मर:लक्ष्मण दान चारण
M : 9983952115
@LaxmanDanchara1
_बालेसर जोधपुर स्थापना से पहले का करीब 300 वर्ष पुराना मां चामुंडा माता का मंदिर बालेसर कस्बे में श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर में निरंतर प्रज्ज्वलित रहने वाली अखंड दिव्य ज्योति हर भक्त को अलग ही अनुभव कराती है। हजारों श्रद्धालु यहां मनोकामना पूर्ण करने के लिए आते हैं।
मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। महंत महाबलवीर गिरी के शिष्य खेत गिरी के अनुसार, मंडोर साम्राज्य के प्रतिहार शासक सूरसिंह के पुत्र राणा उगम सिंह इंदा ने विक्रम संवत 1306 में कंटालिया गांव (वर्तमान कुई इंदा) बसाया था,जो जोधपुर की स्थापना से भी पुराना है। इस क्षेत्र में मां चामुंडा का एक छोटा मंदिर था, जहां एक कैर के पेड़ के नीचे चमत्कारिक मूर्ति थी। बताया जाता है कि आकाशीय गर्जना के साथ स्वतः भूमि से प्रकट हुई थी। इस मूर्ति पर विक्रम संवत1119 का आलेख अंकित है। राणा उगम सिंह इंदा स्वयं इस मंदिर की पूजा-अर्चना किया करते थे।
*बाड़ी का थान नाम से है प्रसिद्ध*
बाड़ी का थान नाम से प्रसिद्ध मंदिर को बाड़ी का थान भी कहा जाता है। मंदिर के पुजारी खेतगिरी बताते हैं कि सिंध प्रांत से आए महंत मेघगिरी के
उत्तराधिकारी महंत भवानी गिरी ने विक्रम संवत 1750 में मंदिर
के चारों ओर मठ का निर्माण
किया और ज्वार के बीज बोकर
हरी-भरी बाड़ी स्थापित की। चैत्र
और आश्विन नवरात्रि के दौरान
इस बाड़ी की विशेष पूजा होती
है।
*अखंड दिव्य ज्योति*
मंदिर की अखंड दिव्य ज्योति की
परंपरा शुरू से आज तक लगातार जारी है।यह ज्योति बालेसर उपखंड के ढाई असवार गांव यानि बालेसर सत्ता,बालेसर दुर्गावता और कुई इंदा गांव के लोगों के सहयोग से जलती रहती है।
*अब तक बारह महंत*
अब तक इस मंदिर में 12 महंत गद्दी पर रह चुके हैं, जिनमें महंत मेघगिरी भवानी गिरी, रामगिरी, गुलाब गिरी, मोती गिरी, मंगलगिरी, सूरज गिरी.
लिष्मण गिरी, अमृत गिरी, अचलगिरी , गोकुल गिरी शामिल हैं वर्तमान में महंत बलवीर गिरी मंदिर की सेवा कर रहे हैं।
*मंदिर का भव्य रूप*
मंदिर ने वर्षों में एक भव्य स्वरूप
धारण किया है। नवरात्रि के दौरान यहां मेले जैसा वातावरण रहता है, जहां जोधपुर जिले और प्रदेश के कोने-कोने से श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर आते हैं। भामाशाहों और श्रद्धालुओं के
सहयोग से यह मंदिर क्षेत्र का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल बन गया है, जो भक्तों को शांति और सुकून प्रदान करता है।
1. महंत खेतपूरी जी महाराज
2. रमेश सांखला श्रद्धालु
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