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उदयपुर मास्टर प्लान-2031 में ड्राफ्टिंग एरर, कोर्ट ने सुधार के निर्देश दिए
RKRakesh Kumar Bhardwaj
Dec 17, 2025 18:30:31
Jodhpur, Rajasthan
जोधपुर—राजस्थान हाईकोर्ट ने उदयपुर मास्टर प्लान-2031 में हुई एक गंभीर तकनीकी त्रुटि को स्वीकार करते हुए ऐसा फैसला दिया है, जो न केवल याचिकाकर्ताओं बल्कि शहर के भविष्य के शहरी विकास के लिहाज से भी अहम माना रहा है। जस्टिस सुनील बेनीवाल की एकलपीठ ने फतेहसागर झील के पास स्थित भूमि को लेकर स्पष्ट किया कि मास्टर प्लान के लैंड यूज मैप में ड्राफ्टिंग एरर के कारण जमीन को गलत तरीके से ग्रीन जोन-1 में दिखाया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को एक महीने के भीतर इस गलती को सुधारने के निर्देश दिए हैं। इस फैसले के बाद सिसारमा गांव स्थित संबंधित भूमि पर होटल या रिसॉर्ट निर्माण का रास्ता आसान हो गया है। याचिकाकर्ता पीयूष मारू, चिराग मारू, मोनिका और सोनाली के पास गिरवा तहसील के खसरा नंबर 1697 में 0.8600 हेक्टेयर कृषि भूमि है। वे इस जमीन पर पर्यटन से जुड़ी परियोजना विकसित करना चाहते थे, लेकिन मास्टर प्लान में भूमि को ग्रीन जोन-1 दर्शाए जाने के कारण किसी भी प्रकार का निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित था। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एम.एस. सिंघवी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने दलील दी कि मास्टर प्लान-2031 के क्लॉज 5.6.2 के अनुसार फतेहसागर झील के फुल टैंक लेवल (एफटीएल) से 100 मीटर तक का क्षेत्र ही ग्रीन जोन-1 में आता है। इससे बाहर का क्षेत्र ग्रीन जोन-2 (जी-2) माना जाता है, जहां शर्तों के साथ निर्माण की अनुमति है। उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ताओं की जमीन झील से लगभग 129 से 150 मीटर की दूरी पर है और बीच में सड़क व राजीव गांधी पार्क भी स्थित है। इस मामले में खास बात यह रही कि खुद तत्कालीन अर्बन इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (यूआईटी), जो अब उदयपुर विकास प्राधिकरण (यूडीए) है, ने अपनी रिपोर्ट में गलती स्वीकार की। 19 जून 2019 और फिर 9 दिसंबर 2021 की रिपोर्ट में यूआईटी ने साफ कहा कि यह भूमि एफटीएल से 100 मीटर से अधिक दूरी पर है और इसे जी-2 जोन में होना चाहिए था। बाद में जोनल डेवलपमेंट प्लान की प्रक्रिया के दौरान भी इसे ड्राफ्टिंग एरर माना गया। हालांकि, बाद में राज्य सरकार और यूआईटी अपने ही रुख से पलट गए और पूर्व आदेश को वापस लेने की कोशिश की, जिस पर हाईकोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई। अतिरिक्त महाधिवक्ता की इस दलील को भी कोर्ट ने खारिज कर दिया कि जमीन खरीदते समय याचिकाकर्ताओं को ग्रीन जोन-1 होने की जानकारी थी। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि याचिकाकर्ता मास्टर प्लान में बदलाव नहीं मांग रहे, बल्कि उसकी परिभाषा के अनुरूप नक्शे में हुई तकनीकी गलती को ठीक कराने की मांग कर रहे हैं। साथ ही, गोविंद अग्रवाल की याचिका में यूडीए को मौके पर मुआयना कर दूरी मापने और रिपोर्ट के आधार पर निर्णय लेने के निर्देश दिए गए हैं।
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