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भीलवाड़ा के राजोला स्कूल: जर्जर भवन के चलते 90 बच्चों की पढ़ाई संकट में
MKMohammad Khan
Dec 12, 2025 11:18:18
Bhilwara, Rajasthan
भीलवाड़ा। जहां एक ओर सरकारें 'शिक्षा का अधिकार' और 'स्कूल चलें हम' जैसे नारों से शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा करती हैं, वहीं पंचायत समिति सुवाणा की ग्राम पंचायत देवली के राजोला गांव में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय (आठवीं तक संचालित) के लगभग 90 विद्यार्थियों का भविष्य दांव पर लग गया है। स्कूल भवन के जर्जर होने और वैकल्पिक व्यवस्था खत्म होने के बाद, अब ग्रामीण प्रदर्शन कर स्कूल पर तालेबंदी करने को मजबूर हो गए हैं। जर्जर भवन बना मुसीबत, प्रशासन ने किया था बंद : राजोला का राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय लंबे समय से जर्जर भवन में संचालित हो रहा था। छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए, प्रशासन ने कुछ समय पहले इस जर्जर भवन को बंद करवा दिया था। इसके बाद, ग्रामीणों के सहयोग से विद्यालय को करीब चार महीने से एक निजी जगह पर संचालित किया गया था। यह अस्थाई व्यवस्था बच्चों की पढ़ाई को जारी रखने का एकमात्र सहारा थी। निजी जगह का भी सहारा छूटा : दुर्भाग्यवश, जिस निजी भवन में स्कूल चल रहा था, उसके मालिक ने अब अपनी जरूरत बताते हुए जगह देने से मना कर दिया है। इसके चलते, स्कूल के सामने संचालन का कोई विकल्प नहीं बचा है। शुक्रवार को मजबूरी में ग्रामीणों ने स्कूल की तालेबंदी कर दी और प्रदर्शन शुरू कर दिया। ग्रामीणों की एकमात्र मांग है कि जर्जर हो चुके भवन को तुरंत जमींदोज कर उसकी जगह नया और सुरक्षित भवन बनााय जाए ताकि बच्चों की पढ़ाई बिना किसी बाधा के शुरू हो सके। बच्चों का भविष्य खतरे में : राजोला विद्यालय में पढ़ने वाले ये 90 विद्यार्थी गांव के भविष्य की नींव हैं। स्कूल पर ताला लगने का सीधा अर्थ है, इन बच्चों के शिक्षा के मौलिक अधिकार का हनन। शिक्षा के अभाव में उनका भविष्य अंधकारमय हो सकता है। यह घटना सरकार के 'सबको शिक्षा, अच्छी शिक्षा' के वादे पर एक गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है। ग्रामीणों का कहना है, "हम चार महीने तक जैसे-तैसे बच्चों को निजी जगह पर पढ़ा रहे थे, लेकिन अब वह भी बंद हो गया। सरकार एक तरफ कहती है, 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', और दूसरी तरफ हमारे बच्चों को पढ़ने के लिए एक सुरक्षित छत तक नहीं मिल पा रही है। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि तत्काल जर्जर भवन को तोड़कर नया भवन निर्माण शुरू करे, या कम से कम तब तक के लिए कोई स्थाई और सुरक्षित वैकल्पिक जगह उपलब्ध कराए। प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की उम्मीद : यह मामला केवल भवन का नहीं, बल्कि शिक्षा को बढ़ावा देने के सरकारी वादे की विश्वसनीयता का है। जिला प्रशासन और शिक्षा विभाग को इस गंभीर स्थिति का तुरंत संज्ञान लेते हुए, बच्चों की पढ़ाई सुनिश्चित करने के लिए त्वरित कदम उठाने चाहिए। जर्जर भवन को गिराकर नया भवन निर्माण जल्द से जल्द शुरू किया जाना चाहिए, ताकि राजोला के बच्चों को फिर से अपने 'शिक्षा के मंदिर' में लौटना नसीब हो सके। सवाल यह है कि 90 बच्चों की पढ़ाई को चार महीने से भी ज्यादा समय तक वैकल्पिक व्यवस्था के सहारे क्यों छोड़ा गया, और नए भवन के लिए अब तक कोई ठोस पहल क्यों नहीं की गई?
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