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अजमेर शरीफ दरगाह पर चिश्तिया लंगर की सदियों पुरानी परंपरा जारी
MKMohammed Khan
Dec 24, 2025 05:32:50
Ajmer, Rajasthan
चिश्तिया सिलसिले के मुताबिक़ सैकड़ो सालो से आज भी सूफी ख़ानक़ाहों पर खास ओ आम अक़ीदत मंदो के लिए लंगर का अहतेमाम किया जाता है। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से शुरू हुई लंगर की रिवायत आज भी आले रसूल के दरबार मे नज़र आती है। अजमेर शरीफ दरगाह पर तक़रीबन आठ सालों से लंगर का अहतमाम जारी है। दुनिया भर में मशहूर सूफी हज़रत ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैहि की दरगाह में हिन्दू मुस्लिम तमाम मज़हब के अक़ीदत मंदो के लिए वेजिटेरियन लंगर बनाया जाता है। दरगाह में शाही देगो में एक बादशाह अकबर ने नज़र की थी जिसमे 120 मन मीठा चांवल बनाया जाता है जबकि छोटी देग बादशाह जहाँगीर ने पेश की जिसमे 60 मन लंगर पकता है। खास बात ये है कि इन देगों में खाना बनते वक़्त इसका ऊपरी हिस्सा बिल्कुल गर्म नही होता,जिसे बच्चा भी छू सकता है। अक़ीदत मंद अपनी मुराद पूरी होने पर इसमे नज़राना और खाने पीने का सामान भी नज़र डालते है। वही दरगाह के गद्दीनशीन पीर सैय्यद अफ़सर नियाज़ी के मुताबिक़ नबी करीम हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दौरे नबूवत वसीई लंगर का अहथमाम किया गया था, उसके बाद से ही उनकी आल इस सिलसिले को जारी रखी हुई है। वही दरगाह के गद्दीनशीन पीर सैय्यद फखर काज़मी चिश्ती के मुताबिक़ हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज खुद जौ का दलिया नौश फरमाते थे और लोगो को उम्दा से उम्दा लंगर खिलाया करते थे। यही वजह है कि दरगाह में सुबह शाम 2 वक़्त आज भी वही लंगर जारी है। ख्वाजा साहब को मुग़लिया हुकुमत में कुछ गाँव बादशाहों ने नज़र किये जहा आज भी खेती होती है और जौ का दलिया आता है जिसे पका कर तक़सीम किया जाता है। इस लंगर में रूहानियत के वजूद से अक़ीदत मंदो को अल्लाह शिफ़ा अता करता है और आम लोगो से लेकर बादशाहो ने इस लंगर को लाइन में लग कर हासिल किया है। खास बात ये है कि जब कभी कोई पीर अपने मुरीद को वाज़ाइफ की इजाज़त देते है तो उन्हें इस लंगर के इस्तेमाल की ताक़ीद करते है। रोज़ा रखना और इस लंगर का इस्तेमाल करना विर्दो वाज़ाइफ में बेहद फायदेमंद होता है। वही दरगाह के गद्दीनशीन पीर सैय्यद फखर काज़मी चिश्ती के मुताबिक़ हज़रत ख्वाजा गरीब नवाज खुद जौ का दलिया नौश फरमाते थे और लोगो को उम्दा से उम्दा लंगर खिलाया करते थे। यही वजह है कि दरगाह में सुबह शाम 2 वक़्त आज भी वही लंगर जारी है। वही दरगाह के गद्दीनशीन पीर सैय्यद ज़मन चिश्ती, खादिम, दरगाह शरीफ, अजमेर ( काली टोपी,ग्रे कलर वेस्कॉट )
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