रावण की पुतलों का चलन कम होने से कारीगरों के कारोबार मे आई मंदी
रावण के पुतले बनाने वाले कारीगर मंदी की समस्या का सामना कर रहे हैं। टोहाना से पातड़ा आए कारीगरों ने बताया कि उन्हें केवल तीन पुतले बनाने का काम मिल रहा है। कारीगर बजरंग ने कहा कि वे पारिवारिक परंपरा को बनाए रखने के लिए पुतले बना रहे हैं। पहले यह काम 2-3 महीने तक चलता था, लेकिन अब दशहरा पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले जलाने का चलन घट रहा है। घटती मांग और बढ़ती महंगाई के कारण मजदूरी भी नहीं मिल रही। सोशल मीडिया के प्रभाव से दशहरे की रौनक भी कम हुई है, जिससे व्यापार में मंदी आ गई है।
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