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मध्यप्रदेश में शव वाहन के बिना नाबालिग की दुखद विदाई!
DSDeepesh shah
FollowJul 17, 2025 17:32:03
Vidisha, Madhya Pradesh
एंकर - एक बार फिर मध्यप्रदेश का स्वास्थ्य तंत्र बेबस और शर्मनाक तस्वीरों के साथ कटघरे में खड़ा है। विदिशा जिले की सिरोंज तहसील से सामने आई ये तस्वीरें सिस्टम की संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर देती हैं। जहां एक नाबालिग की मौत के बाद भी उसे शव वाहन तक नसीब नहीं हुआ और परिजनों को दोपहिया वाहन पर शव ले जाने को मजबूर होना पड़ा।
वीओ 1 –
ये तस्वीरें सिरोंज तहसील के राजीव गांधी अस्पताल की हैं , जहां 15 वर्षीय आकाश अहिरवार की मौत के बाद भी सिस्टम ने उसे सम्मानजनक विदाई तक नहीं दी। अस्पताल में दम तोड़ने के बाद भी आकाश को शव वाहन नहीं मिला। मजबूर परिजनों को अपने बेटे की लाश को मोटरसाइकिल पर रखकर, बारिश में भीगते हुए गांव ले जाना पड़ा।
वीओ 2 –
परिजन सिरोंज के राजीव गांधी अस्पताल पहुंचे थे, जब आकाश को पेट दर्द की शिकायत हुई। अस्पताल में इलाज के दौरान ही उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने पहले भोपाल रेफर किया लेकिन एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं हो सकी। और जब उसकी जान चली गई… तब भी शव वाहन नहीं मिला।
वीओ 3 –
पीछे से चाचा, मां और गांव के लोग चीख-चीखकर सिर्फ एक सवाल पूछते रहे — "एम्बुलेंस कहां है
गांव से अस्पताल आए थे इस उम्मीद में कि बेटा ठीक होकर लौटेगा... लेकिन अब वो भीगते पानी में आखिरी सफ़र पर था — बिना किसी सहूलियत, बिना किसी संवेदना।
बाइट – मृतक के परिजन
"डॉक्टर बोले भोपाल ले जाओ, एम्बुलेंस मांगी तो कहा नहीं है… बेटा वहीं चल बसा। गांव ले जाने के लिए भी एम्बुलेंस नहीं मिली। मजबूरी में बाइक पर ले गए... क्या करें?"
वीओ 4 –
सवाल ये है कि क्या सरकारी अस्पतालों की जवाबदेही सिर्फ इलाज तक सीमित है? क्या मौत के बाद भी गरीब की तकलीफें खत्म नहीं होतीं? और आखिर ऐसे हालात में किससे उम्मीद की जाए — जब सिस्टम ही मौन हो जाए?
आज एक मौत हुई या फिर सिस्टम की?
बाइट - मृतक के परिजन।
बाइट - हर्ष चौधरी एसडीम, सिरोंज।
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