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Jalore343001

जालोर में मूसलधार बारिश से किसानों की फसलें खतरे में!

HBHeeralal Bhati
Jul 16, 2025 04:31:34
Jalore, Rajasthan
जालोर जालौर में लगातार मानसून सक्रिय है जिलेभर में मंगलवार बादल छाए रहे और धूप-छांव होती रही। जालौर शहर सहित जिले के अलग-अलग इलाकों में तेज हवाओं के साथ मूसलाधार बारिश का दौरा शुरू हुआ जिसमें मंगलवार देर शाम से रात भर रुक रुक कर बारिश होती रही, जालोर शहर में देर शाम तेज मूसलाधार बारिश हुई जिससे सड़कों पर पानी बाहर और निचले इलाकों में जल का भराव हो गया।देर शाम हुई तेज बारिश के चलते सड़कों पर आवागमन में वाहन चालकों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा, मुख्य मार्ग सहित निचले इलाकों के सड़क मार्ग ऊपर पानी का भराव हुआ जिससे निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। जिले के भीनमाल आहोर सायला रानीवाड़ा सहित कई इलाकों में देर शाम को अचानक मौसम में बदलाव के साथ तेज हवाओं का दौर शुरू हुआ और तेज हवाओं के साथ रात भर रुक-रुक कर बारिश जारी रही। इधर लगातार हो रही बारिश के चलते किसानों को फसलों की चिंता सता रही है तो वहीं दूसरी और क्षेत्र के नदी नालों में पानी की आवक जारी है। ।जल संसाधन विभाग के अनुसार मंगलवार सुबह 8 बजे तक 24 घंटे में जालोर में 61 एमएम दर्ज की है।इसके अलावा आहोर में 35, सायला में 2, भीनमाल में 32, जसवंतपुरा में 9, भाद्राजून में 7, बागोड़ा में 36, रानीवाड़ा में 20, चितलवाना में 55 और सांचौर में 5 एमएम बारिश दर्ज की है। वहीं केवीके के अनुसार मंगलवार को अधिकतम तापमान 33.2 डिग्री और न्यूनतम 23.2 डिग्री दर्ज किया है। दिनभर की उमस के बाद शाम 6.45 बजे से 7.15 बजे तक लगातार तेज बारिश होती रही। बारिश इतनी तेज थी कि 10 मिनट में शहर की सड़कों पर 2 फीट तक पानी आ गया। ऐसे में हैड पोस्ट ऑफिस रोड, तिलकद्वार, पंचायत समिति, स्वरूपपुरा रोड, नया बस स्टैंड, सिरे मंदिर रोड पर तेज गति से पानी बहा। इस बार 11 जुलाई से बारिश का दौर शुरू हुआ और 4 दिन में ही जिले में औसत 68.10 एमएम बारिश हो चुकी है। जबकि पिछले साल 2024 में पूरे सावन में 180.4 एमएम हुई थी, जिसमें सर्वाधिक जालोर में 293 एमएम हुई थी। इस वर्ष भी अब तक जालोर में सर्वाधिक 141 एमएम बारिश हो चुकी है। किसानों का मानना है की फसलों की बुवाई के बाद लगातार हो रही बारिश के चलते मूंग बाजरे की फसल को नुकसान पहुंचाने की आशंका है ऐसे में किसानों के चेहरे पर साथ मायूसी है। अब फसलों को खुले मौसम की आवश्यकता है लेकिन लगातार हो रही बारिश के चलते बुवाई के बाद फसलों को नुकसान पहुंच रहा है । इसके चलते किसानों का फसलों की दोबारा फसलों की बुवाई से आर्थिक बोझ बढ़ेगा।
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