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ग्रामीणों ने खुद बनाई सड़क, प्रशासन सोया रहा!
Betul, Madhya Pradesh
एंकर- बैतूल जिले के धौल गांव के ग्रामीणों ने प्रशासन की नींद तोड़ने के लिए खुद गैती-फावड़ा उठा लिया है। पिछले 15 वर्षों से सड़क निर्माण की मांग कर रहे ग्रामीण जब थक हार गए तो उन्होंने चंदा जमा कर अपनी मेहनत के दम पर सड़क बनाना शुरू कर दिया। धौल गांव को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाली सड़क बेहद जर्जर हालत में है। आए दिन सड़क पर कीचड़ और गड्ढों से गुजरते ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। बीमारों को अस्पताल ले जाना हो या छात्र-छात्राओं को स्कूल-कॉलेज पहुंचना,सबको करीब 8 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकारी लोग तो बस आश्वासन देते हैं। हम तो इतने सालों से सुन रहे हैं कि सड़क बनेगी। आखिर हम सबने मिलकर चंदा जमा किया और श्रमदान कर खुद ही एक किलोमीटर सड़क बना दी।ग्रामीणों की ये जद्दोजहद गर्भवती महिलाओं और बीमार लोगों की जान बचाने की मजबूरी बन चुकी है। पहले कीचड़ और दलदल भरे रास्ते से होकर एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती थी, कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते थे। ग्रामीणों ने सामूहिक चंदा जमा किया और श्रमदान कर करीब 1 किलोमीटर की सड़क बना दी है, लेकिन अभी भी लगभग 3 किलोमीटर का रास्ता और बनाना बाकी है। अब सवाल ये है कि क्या प्रशासन जागेगा या फिर बाकी सड़क भी ग्रामीणों को खुद ही बनानी पड़ेगी। प्रशासन की लापरवाही ने ग्रामीणों को खुद सड़क निर्माण का जिम्मा उठाने को मजबूर कर दिया है। ये तस्वीर न सिर्फ सिस्टम की पोल खोलती है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करती है कि जनता को बुनियादी सुविधाएं दिलाने के लिए आखिर कब तक उन्हें खुद ही सड़कें बनानी पड़ेंगी। पंचायत के जिम्मेदार सड़क मरम्मत के लिए राशि नहीं होने और ग्रेवल सड़क स्वीकृत नहीं होने का कारण बता कर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहे हैं। हालांकि इस मामले में जिला पंचायत के अधिकारी मीडिया से बात करने से बचते नजर आए।
बाइट -1- रतन भलावी,ग्रामीण धौल
बाइट -2- सविता बाई वरकड़े,ग्रामीण महिला धौल
बाइट -3- राजेश भलावी,सचिव ग्राम पंचायत
बाइट -4- अशोक कुमार वरकड़े,ग्रामीण धौल
WT -RUPESH MANSURE ZEE MEDIA BETUL
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